बहुत पहले
मौत ने मेरा दरवाज़ा खटखटाया था
उसकी वह असामयिक अप्रत्याशित शक्ल
मुझे अन्दर तक हिला गई थी !
घबराकर मैंने दरवाज़ा बन्द करना चाहा
पर मौत ने पुरजोर हमला किया
दहशत से पुकारा था मैंने 'उसे '
पर वक़्त की बंदिशों का ताला
मेरे गले से कोई आवाज़ नहीं निकली ...
मौत से जूझने का इरादा न था
समय की मांग कहो
या जीने की चाह
मेरी मौत से ठन गई !
भय से थरथराते कदम
धरती पर संतुलन बनाने लगे
हर चुनौती से हाथ मिलाने लगे
आँधियों में जलाये कंपकंपाते दीये !
मौत स्तब्ध हुई
अँधेरा और किया
पर बंदिशों के बांध उजालों की खातिर
ढहने लगे !
अब मैं और मेरी बंदिशें
खुद को खुद की दृष्टि से देखते हैं
मौत के साए के आगे
ज़िन्दगी के गीत गाते हैं ....
आँधियों में जलाये कंपकंपाते दीये !
जवाब देंहटाएंमौत स्तब्ध हुई
अँधेरा और किया
पर बंदिशों के बांध उजालों की खातिर
ढहने लगे !
अब मैं और मेरी बंदिशें
खुद को खुद की दृष्टि से देखते हैं
मौत के साए के आगे
ज़िन्दगी के गीत गाते हैं ....
जिन्दगी के इन गीतों में सकारात्मक सोच एवं अदम्य साहस ही आपके सुर से सुर मिला रहा है ....आभार इस प्रस्तुति के लिये ।
एक बार देर रात पन्ने पलटते यह गीत पढ़ा था , बार -बार पढ़ा जिंदगी का यही गीत ...
जवाब देंहटाएंडर से बचने का कोई तरीका ना हो तो बेहतर है इसकी आँखों में आँखें ही डाल दी जाये ...
साहस , हौसले और उम्मीदों का बेहतरीन गीत !
बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना.... दिल में गहरे बैठती हुई......! :)
जवाब देंहटाएंभय से थरथराते कदम
धरती पर संतुलन बनाने लगे
हर चुनौती से हाथ मिलाने लगे....! बेहद खूबसूरत पंक्तियाँ ...! :)
On The Lighter Notes... Reminds me The Tag Line Of Mountain Dew.... "डर के आगे जीत है."...! :) :)
मौत के साए के आगे
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी के गीत गाते हैं ....
बस यही सकारात्मकता जीने को प्रेरित करती है……………सुन्दर अभिव्यक्ति।
हिम्मत आवश्यक है ....शुभकामनायें आपको !
जवाब देंहटाएंसमय की मांग कहो
जवाब देंहटाएंया जीने की चाह
मेरी मौत से ठन गई !
बस जिस ने ठान लिया वही आगे बढा। अच्छी रचना बधाई।
अब मैं और मेरी बंदिशें
जवाब देंहटाएंखुद को खुद की दृष्टि से देखते हैं
मौत के साए के आगे
ज़िन्दगी के गीत गाते हैं ....
सार्थक सोच से लवरेज, बहुत सुन्दर रचना...मौत से आँखें मिला कर ही मौत का सामना किया जा सकता है..बहुत प्रेरक..आभार
अब मैं और मेरी बंदिशें
जवाब देंहटाएंखुद को खुद की दृष्टि से देखते हैं
मौत के साए के आगे
ज़िन्दगी के गीत गाते हैं ....
dar mansik hi hai ...!!
sunder rachna .
मौत के साए के आगे
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी के गीत गाते हैं ....
शुभकामनायें आपको !
आदरणीय रशिम प्रभा माँ
जवाब देंहटाएंनमस्कार
मेरे गले से कोई आवाज़ नहीं निकली ...
मौत से जूझने का इरादा न था
समय की मांग कहो
या जीने की चाह
मेरी मौत से ठन गई !
......सुन्दर अभिव्यक्ति।
एक और सुन्दर कविता आपकी कलम से !
जीवन जीने को प्रेरित करती अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबेहद गंभीर चित्रण । आत्मविश्वास बढाती कविता ।
जवाब देंहटाएंsach kha rashmee ji...jb chah ho to badi se badi muskil se insaan bhid jata hai..or jit hausle ki hi hoti hai...bahut sundar rachna hai aapki...
जवाब देंहटाएंसमय की मांग कहो
जवाब देंहटाएंया जीने की चाह
मेरी मौत से ठन गई !
बस जिस ने ठान लिया वही आगे बढा।
बेहद गंभीर चित्रण । आत्मविश्वास बढाती कविता ।शुभकामनायें आपको !
जिंदगी के लिए लड़ती हुई बेहद सकारत्मक कविता.
जवाब देंहटाएंरश्मि जी
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह सोचने पर विवश करती संवेदनशील पोस्ट. नाज़ुक एहसासों में रची बसी पोस्ट...
मेरे गले से कोई आवाज़ नहीं निकली ...
मौत से जूझने का इरादा न था
समय की मांग कहो
या जीने की चाह
मेरी मौत से ठन गई
मर्मस्पर्शी ...
जवाब देंहटाएंमनोभावों को बेहद खूबसूरती से पिरोया है आपने.......
जो मौत के आगे जीवन के गीत गाता है, वही इतिहास के पन्नों में याद रखा जाता है।
जवाब देंहटाएंbhut positive soch se bhari hai apki rachna har bar ki tarah ek prena deti hui...
जवाब देंहटाएंअब मैं और मेरी बंदिशें
जवाब देंहटाएंखुद को खुद की दृष्टि से देखते हैं
मौत के साए के आगे
ज़िन्दगी के गीत गाते हैं ....
...जिन्दा दिल इंसान ही मौत को मात देने में सक्षम होते हैं...बहुत बढ़िया सकारात्मकता से भरी प्रस्तुति के लिए आभार
'मौत के साए के आगे
जवाब देंहटाएंजिंदगी के गीत गाते हैं '
...........हौसला प्रणम्य है
..........जिंदगी जीने की कला सिखाती है आपकी सुन्दर रचना
मौत से अटखेलियों के बाद ही जिंदगी का मतलब समझ आता है...यू उजालों से वास्ता रखना...शम्मा के पास भी हवा रखना...
जवाब देंहटाएंबहुत ही मर्मस्पर्शी प्रस्तुति, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंalag kism ki......bahut khoobsurat.
जवाब देंहटाएंbahut sunder ...........
जवाब देंहटाएंअब मैं और मेरी बंदिशें
जवाब देंहटाएंखुद को खुद की दृष्टि से देखते हैं
मौत के साए के आगे
ज़िन्दगी के गीत गाते हैं ....
बहुत सुंदर ..... कमाल की पंक्तियाँ हैं रश्मिजी
मौत दरवाजा कई बार खटखटाता है। हम उसकी आहट समझ नहीं पाते।
जवाब देंहटाएंकभी कभी शब्द कही दूर तक बेध जाते है ,ऐसे ही दूर तक अहसासों से सनी है आपकी कविता, बेहतरीन साहित्य धरोहर
जवाब देंहटाएंखुद को खुद की दृष्टि से देखना...एक अर्थपूर्ण रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत ही मर्मस्पर्शी प्रस्तुति, धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंसकारत्मक सोच जिन्दगी जीने के लिए ....बहुत अच्छी और भावपूर्ण रचना दीदी
जवाब देंहटाएंदीदी, इससे पहले भी आपकी यह रचना मैं पढ़ चूका हूँ ... और जितनी बार पढता हूँ मुझे इसमें से एक प्रेरणा मिलती है जीवन के उतार-चढाव से लड़ने के लिए ..
जवाब देंहटाएंमौत से जूझने का इरादा न था
जवाब देंहटाएंसमय की मांग कहो
या जीने की चाह
मेरी मौत से ठन गई !
भय से थरथराते कदम
धरती पर संतुलन बनाने लगे
हर चुनौती से हाथ मिलाने लगे
bahut sunder.......
अब मैं और मेरी बंदिशें
जवाब देंहटाएंखुद को खुद की दृष्टि से देखते हैं
मौत के साए के आगे
ज़िन्दगी के गीत गाते हैं ....
ये हौसला ही तो जीवन की प्रगति का आधार है बहुत सारगर्भित रचना जो एक दिशा देती है.ऐसा पल शायद सभी के जीवन में कभी-न-कभी आता ही है.