03 सितंबर, 2011

मैं नन्हा गाँधी



मैं नन्हा गाँधी
इस बार कोई सत्याग्रह नहीं करूँगा
अपनी पदयात्रा भी अकेले करूँगा
...... परायों से युद्ध जटिल होकर भी
आसान था
पर अपने घर में !!!
बालसुलभ हठ हर उम्र में एक सुख देता है
पर जब अपने षड़यंत्र करते हैं
एक दूजे को नीचा दिखाने का
हर संभव प्रयास करते हैं
तो भूख यूँ ही मर जाती है ...
फिर कैसा अनशन ?
और किससे क्या पाना !
.......
जो मद के गुमां में होते हैं
उनके लिए तो प्रेम ही वर्जित है ...
न घर न देश ---- सिर्फ मैं '
तो इस 'मैं' का हश्र मैं देखना चाहता हूँ
अपने नन्हें क़दमों से वहाँ तक जाना चाहता हूँ
जहाँ 'मैं' स्तब्द्ध' होता है
दिशाएं मौन होती हैं
अपना साया भी पीछे रह जाता है
..... वहाँ उस सन्नाटे में अपनी हथेली बढ़ाना चाहता हूँ
इस लम्बी यात्रा को 'वसुधैव कुटुम्बकम' का विजयी मंत्र देना चाहता हूँ
....
मैं नन्हा गाँधी
पीछे आनेवाली आहटों पर ध्यान लगाए
आज से अपनी यात्रा शुरू करता हूँ
तुम्हारी नज़रें जहाँ जहाँ जाती हैं
वहाँ वहाँ से तुम्हारा आह्वान करता हूँ
.... याद रखना , मैं एक देश हूँ तुम्हारा
कोई पार्टी नहीं !!!

37 टिप्‍पणियां:

  1. मैं नन्हा गाँधी
    पीछे आनेवाली आहटों पर ध्यान लगाए
    आज से अपनी यात्रा शुरू करता हूँ
    तुम्हारी नज़र जहाँ जहाँ जाती है
    वहाँ से तुम्हारा आह्वान करता हूँ
    .... याद रखना , मैं सिर्फ एक देश हूँ तुम्हारा
    कोई पार्टी नहीं !!!

    नि:शब्‍द करती पंक्तियां ...आभार इस अभिव्‍यक्ति के लिये ।

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  2. फिर कैसा अनशन ?
    और किससे क्या पाना !


    जो मद के गुमां में होते हैं
    उनके लिए तो प्रेम ही वर्जित है ...


    तुम्हारी नज़रें जहाँ जहाँ जाती हैं
    वहाँ वहाँ से तुम्हारा आह्वान करता हूँ
    याद रखना , मैं एक देश हूँ तुम्हारा
    कोई पार्टी नहीं !!!

    Aabhar...

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  3. वाह्…………बहुत सु्न्दर बिम्ब प्रयोग और उसके माध्यम से सुन्दर चित्रण्।

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  4. आज के नन्हे, कल के देश,
    इनका हो सम्मान विशेष।

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  5. . याद रखना , मैं एक देश हूँ तुम्हारा
    कोई पार्टी नहीं !!!

    गहन सारगर्भित प्रस्तुति...

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  6. मैं नन्हा गाँधी
    पीछे आनेवाली आहटों पर ध्यान लगाए
    आज से अपनी यात्रा शुरू करता हूँ
    तुम्हारी नज़र जहाँ जहाँ जाती है
    वहाँ से तुम्हारा आह्वान करता हूँ
    .... याद रखना , मैं सिर्फ एक देश हूँ तुम्हारा
    कोई पार्टी नहीं !!!
    भाव विभोर करती अनूठी अभिव्यक्ति...आभार..

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  7. मैं एक देश हूँ कोई पार्टी नहीं .... आज सरकार के कारनामें देख कर आत्मा तक दुखी है ... जनता को सड़क पर देख कर अन्ना के अनशन से चकित सरकार ने कैसा दांव खेला है ..जो भी सर्कार का विरोध करे उसके पिछले जन्म के भी कागज़ निकलवा लिए जाते हैं ..या नए बना कर फंसाने की कोशिश होती है ...अपने गिरेबाँ में जहां कर नहीं देखते ... कुर्सी का दंभ पाले बैठे हैं ...मुखौटे चढ़ाये हुए ...

    आपने गहन अभिव्यक्ति दी है अपनी इस रचना में ..

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  8. तुम्हारी नज़र जहाँ जहाँ जाती है
    वहाँ से तुम्हारा आह्वान करता हूँ
    .... याद रखना , मैं सिर्फ एक देश हूँ तुम्हारा
    कोई पार्टी नहीं !!!

    आव्हान करती पंक्तियां ...जिस दिन देश पार्टी से ऊपर होकर सोचेगा उस दिन से नया सवेरा होगा... आभार इस अभिव्‍यक्ति के लिये...

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  9. तुम्हारी नज़रें जहाँ जहाँ जाती हैं
    वहाँ वहाँ से तुम्हारा आह्वान करता हूँ
    .... याद रखना , मैं एक देश हूँ तुम्हारा
    कोई पार्टी नहीं !!!

    वह आज प्रभु कृपा हुई ...आपके ब्लॉग पर अब टिप्पणी दे pa रही हूँ ....बहुत बढ़िया भाव हैं ..आज इसी सोच की ज़रुरत है ..... di.

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  10. बहुत ही खूबसूरत कविता बधाई और शुभकामनाएं

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  11. मैं नन्हा गाँधी
    पीछे आनेवाली आहटों पर ध्यान लगाए
    आज से अपनी यात्रा शुरू करता हूँ
    तुम्हारी नज़रें जहाँ जहाँ जाती हैं

    बेहतरीन।

    सादर

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  12. काश कि हमारे नेता देश को पार्टी से ऊपर रख पाते...

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  13. जो मद के गुमां में होते हैं
    उनके लिए तो प्रेम ही वर्जित है ...
    न घर न देश ---- सिर्फ मैं....
    *
    .... याद रखना , मैं एक देश हूँ तुम्हारा
    कोई पार्टी नहीं !!!

    बहुत सार्थक चिंतन दी...
    सावधान करती, चेताती हुयी...
    सादर...

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  14. मैं नन्हा गाँधी
    पीछे आनेवाली आहटों पर ध्यान लगाए
    आज से अपनी यात्रा शुरू करता हूँ
    तुम्हारी नज़र जहाँ जहाँ जाती है
    वहाँ से तुम्हारा आह्वान करता हूँ

    नन्हे गांधी की आकांछा बेहतरीन

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  15. दिल तो कहता है की मैं गाँधी बन जाऊँ
    पर वो जूनून कहाँ से लाऊ
    जो मुझमें जोश भर जाये
    वो देश में फिर से अमन का झंडा फहराए |
    देश का हर नेता भी मेरा ये देश - देश गाये |
    सारे एक दूसरे के मिट हो जाये |
    बहुत सुन्दर रचना |

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  16. जो मद के गुमां में होते हैं
    उनके लिए तो प्रेम ही वर्जित है ...
    न घर न देश ---- सिर्फ मैं '
    तो इस 'मैं' का हश्र मैं देखना चाहता हूँ.......sundar!!

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  17. गहन अभिव्यक्ति लिए पंक्तियाँ...ज़रुरत है अब तो सिर्फ देश को सर्वोपरि मान कुछ सोचा जाये किया जाय

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  18. एक दूजे को नीचा दिखाने का
    हर संभव प्रयास करते हैं
    तो भूख यूँ ही मर जाती है ...
    फिर कैसा अनशन ?

    अपने नन्हें क़दमों से वहाँ तक जाना चाहता हूँ
    जहाँ 'मैं' स्तब्द्ध' होता है
    दिशाएं मौन होती हैं
    अपना साया भी पीछे रह जाता है

    गज़ब के भाव समेटे हैं आपने दीदी

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  19. जो मद में गुमां होते हैं , उनके लिए प्रेम वर्जित होता है ...
    कितने सलीके से समझाया है आपने ...
    कई-कई बार पढने को मन कर रहा है !

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  20. प्रेरणा देती और प्रभावपूर्ण रचना....

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  21. आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 05-09-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ

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  22. याद रखना , मैं एक देश हूँ तुम्हारा
    कोई पार्टी नहीं !!!


    bahut khub

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  23. aaderniya prabhaji..aaka adbhut shabd samayojan ek aisi kavita ko janam deta hai jisme chipa sandesh man aaur atma ko andolit karte hain..sochne ke liye bibash karte hain..shandar pratiko se saji yah rachna bhi aapki purb kritiyon ki tarah man ko choo gayi..hardik badhayee..apne blog per aane ke nimantran aaur sadar pranam ke sath

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  24. बेहद सुन्दर और प्रेरणादायी रचना ! हो सकता है आज जो बच्चे हैं वो भविष्य में हमसे बेहतर नागरिक बने ...

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  25. मैं नन्हा गाँधी
    पीछे आनेवाली आहटों पर ध्यान लगाए
    आज से अपनी यात्रा शुरू करता हूँ
    तुम्हारी नज़र जहाँ जहाँ जाती है
    वहाँ से तुम्हारा आह्वान करता हूँ
    .... याद रखना , मैं सिर्फ एक देश हूँ तुम्हारा
    कोई पार्टी नहीं !!!

    kux line hamari ruh ko chhu deti hin ..

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  26. .... याद रखना , मैं एक देश हूँ तुम्हारा
    कोई पार्टी नहीं !!!

    Behad sundar aur prernadayi kavita, har pankti kuchh sandesh deti hai aur protsahit karti hai.

    aabhar
    Fani Raj

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  27. बेहद गहन और सार्थक अभिव्यक्ति।

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  28. हर बच्चा अगर गांधी हो क्जाये तो हालात बदल जायेंगे ...

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दौड़ जारी है...

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