27 मई, 2011

द्रौपदी उवाच -



संगीता जी की रचना याज्ञसेनी को आधार बनाया है - http://geet7553.blogspot.com/2011/05/blog-post_27.html



द्रौपदी उवाच -
महाभारत की भूमि का प्रारब्ध मुझे बनाया था कृष्ण ने
उसने सखा हो चयन किया
मैंने सखा होने का साथ निभाया .
यूँ भी नारी बंटती आई है
तो प्रयोजन निमित्त बंटना
सत्य को उजागर करना है
5 पांडव नहीं थे पांडू पुत्र ...थे वे क्रमशः इन्द्र धर्मराज पवन और अश्विनी पुत्र
और मुझे कृष्ण ने यह उत्तरदायित्व दिया
कि मैं काल का आधार बनूँ !
... यूँ भी यातनाओं से गुजरती स्त्री
आग में स्वाहा होती स्त्री
गर्भ में ही दम तोड़ती कन्या
काल का निर्णायक आगाज़ होती हैं
हम - खामोश विरोध, आंसू के साथ
इसकी इति समझ लेते हैं
अगर गौर से पन्नों को पलटा जाए
तो सूर्योदय वहीँ होता है ...
........
कृष्ण ने मुझे
कुरुक्षेत्र की भूमि को रक्तरंजित करने का आधार बनाया
सच है ...
सच और भी हैं -
कृष्ण के जीवन का आधार कन्या
कृष्ण के बचपन का आधार माँ यशोदा
कृष्ण के प्रेम का आधार राधा
धर्म का नाश ही स्त्री की पीड़ा से है
ये और बात है कि कभी कुरुक्षेत्र
कभी कृष्ण की हथेली
कभी कृष्ण का हुंकार
भूलो मत .....
जब जब धर्म का नाश होता है
कृष्ण अवतार लेते हैं ...
........

43 टिप्‍पणियां:

  1. द्रोपदी चरित्र की सटीक व्याख्या!!

    अधर्म पर धर्म की विजय के कृष्ण प्रयोजन हेतू निमित है द्रोपदी चरित्र!!

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  2. रश्मि जी ,

    द्रौपदी उवाच से प्रारब्ध से प्रारंभ कर दिया ...सच ही स्त्री दर्द सह कर भी आधार बनती है ...

    आभार ..इस गहन अभिव्यक्ति के लिए

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  3. भावों को बहुत ही खूबसूरती से उकेरा है …………संगीता जी की रचना मैने भी पढी थी और कुछ कहने की स्थिति मे नही थी और आपने उसे आगे बढा दिया शायद उस प्रश्न का उत्तर दे दिया।

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  4. सुन्दर...आज द्रौपदी का दिन है.

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  5. "सच और भी हैं -
    कृष्ण के जीवन का आधार कन्या
    कृष्ण के बचपन का आधार माँ यशोदा
    कृष्ण के प्रेम का आधार राधा
    धर्म का नाश ही स्त्री की पीड़ा से है"
    वाकई सबका मूलाधार ही स्त्री है .बहुत सुन्दरता से द्रौपदी को आधार बना आपने अपनी बात कही है.

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  6. द्रौपदी के दर्द को आपने अभिव्यक्त किया है... सुन्दर कविता...

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  7. बहुत ही मार्मिक , भावपूर्ण रचना.....

    द्रौपदी के माध्यम से नारी की शाश्वत पीड़ा के साथ-साथ समग्र सृष्टि के लिए उसकी अनिवार्य महत्ता

    का भी समर्थ प्रस्तुतीकरण ....

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  8. द्रौपदी के माध्यम से नारी की पीड़ा की गहन अभिव्यक्ति......

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  9. इसमें नारी की पीड़ा नहीं है, नारी की पीड़ा का परिणाम है ... उस पीड़ा के परिवर्तित स्वर हैं

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  10. द्रौपदी के माध्यम से नारी की पीड़ा को अभिव्यक्त किया है......

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  11. itihaas gavaah hain jab jab naari utpeedan ki inteha hui tab tab krishan ne avtaar liya.par aaj ke yug me krishan nahi aate stri ko khud hi majboot hona padega.dropdi ke madhyam se bahut kuch kahti yeh kavita saraahniye hai.bahut achchi.

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  12. द्रौपदी के माध्यम से आपने नारी मन की व्यथा का सटीक चित्रण किया है !

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  13. क्या कहें रश्मि जी,
    बस यही कह सकते हैं कि आपकी रचना के माध्यम से ये भी एक अलग ही नज़रिया देखने को मिला है.

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  14. धर्म का नाश ही स्त्री की पीड़ा से है
    ये और बात है कि कभी कुरुक्षेत्र
    कभी कृष्ण की हथेली
    कभी कृष्ण का हुंकार
    भूलो मत .....
    जब जब धर्म का नाश होता है
    कृष्ण अवतार लेते हैं ....

    नारी मन की व्यथा का बहुत सशक्त चित्रण ...द्रोपदी तो एक माध्यम है उस अभिव्यक्ति का..बहुत उत्कृष्ट प्रस्तुति..

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  15. संगीता दी “याज्ञसेनी” पर द्रौपदी की ओर एक गंभीर तात्विक विश्लेषण किया है आपने दी... पर जो प्रश्न संगीता दी की याज्ञसेनी में उठाया है वही प्रश्न यहाँ भी प्रासंगिक लगता है कि “क्या महाभारत का कारण सचमुच याज्ञसेनी ही थी?”

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  16. द्रौपदी आज तक त्रास झेल रही है.........हरेक कोई अपनी बेटी तक का यह नाम रखने में घबराता है .......भले ही सबकी धुरी,आधार रही हो ,द्रौपदी पर उसका जीवन तो पांच के बीच में बाँट ही गया ना...जबकि जीता उसे अर्जुन ने था...........कृष्ण बचाने अवश्य आ गए उसकी लाज पर अपमानित तो वो हो ही गयी न.....वैसे दूसरे के अपमान की क्या परवाह करती वो....जिसके पांच पतियों तक ने उसको जुए में हार दिया..............वो दंश.वो अपमान कैसे सहन किया होगा??????????????
    रश्मिप्रभा जी......आपका लिखा पढ़ने में अलग ही आनंद प्राप्त होता है क्यूँ कि हरेक बार कुछ अलग सा विषय होता है......बहुत विस्तृत फलक में से आप अपने विषय को चुनकर उसे शब्दों में बाँध कर ......अपनी लेखनी की जादू से हम लोगों के आगे रखती हैं.बधाई!!!

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  17. वाह! बहुत सुंदर ढंग से कविता अपनी बात कहने में सफल हुई है।

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  18. कुरुक्षेत्र की भूमि को रक्तरंजित करने का आधार बनाया
    सच है ...
    सच और भी हैं -
    कृष्ण के जीवन का आधार कन्या
    कृष्ण के बचपन का आधार माँ यशोदा
    कृष्ण के प्रेम का आधार राधा.......

    यही सत्य है परम सत्य की एक तरफ संहार का कारण है तो दूसरी ओर सृष्टि का आधार भी नारी ही है...
    गहन अभिव्यक्ति......

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  19. सच और भी हैं -
    कृष्ण के जीवन का आधार कन्या
    कृष्ण के बचपन का आधार माँ यशोदा
    कृष्ण के प्रेम का आधार राधा
    धर्म का नाश ही स्त्री की पीड़ा से है
    बहुत ही सटीक विश्लेषण । शुभकामनाएँ ।

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  20. द्रौपदी के दर्द को आपने अभिव्यक्त किया है... सुन्दर कविता.

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  21. वाह रश्मि जी , अद्भुत एवं अद्वितीय है आपकी लेखनी की धार विषय को गहरे तक खगाल डालने वाली और फिर प्रश्न तो खड़ा ही होगा आखिर संपूर्ण महाभारत ही प्रश्नों की श्रंखला है, आयर द्रोपदी एक केंद्रीय चरित्र, आभार आपने याग्यसैनी का रसास्वादन भी कराया मई संगीता जी की इस अद्भुत एवं मन को उद्देलित करने वाली कृति से रूबरू नहीं हुआ था , काव्य के क्षेत्र में आप की कृतियों को ही नहीं आपको भी नमन और अभिवादन , इंतज़ार रहता है आपकी रचनाओ का

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  22. द्रौपदी के दृष्टिकोण से महाभारत का अलग ही स्वरूप है।

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  23. सही कहा दीदी
    इसमें नारी की पीड़ा नहीं
    बल्कि नारी की ताकत का वर्णन है



    द्रौपदी ने धर्म के लिए जो त्याग किया उसका बहुत ख़ूबसूरत वर्णन किया है आपने

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  24. कृष्ण के प्रयोजन को द्रौपदी ने स्वीकार किया...अधर्म का नाश करने को सारा खेल रचा गया था...अधर्म जब एक लेवल से ऊपर हो जाए तभी कृष्ण की इंट्री होती है...तब तक द्रौपदी को क्या सारी त्रासदी झेलनी होगी...बोलना तो पड़ेगा ही...

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  25. कृष्ण के जीवनपथ पर आधार कन्या थी ...
    महाभारत की पृष्ठभूमि भी द्रौपदी का अपमान थी ...

    अद्भुत रचना ...पढो और गुनो!

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  26. रश्मि जी आपकी लेखनी का कोई जवाब नहीं...आपका लिखा पढ़ कर हमेशा आनंद की अनुभूति होती है..इस अलग और श्रेष्ठ रचना के लिए बढ़ी स्वीकारें

    नीरज

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  27. सच और भी हैं -
    कृष्ण के जीवन का आधार कन्या
    कृष्ण के बचपन का आधार माँ यशोदा
    कृष्ण के प्रेम का आधार राधा
    धर्म का नाश ही स्त्री की पीड़ा से है

    बेहद सटीक एवं सार्थक प्रस्‍तुति ।

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  28. गहन शब्‍दों के साथ ...बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  29. स्त्री की पीड़ा विनाश का कारण --शायद इसीलिए कहा गया है कि जहाँ स्त्री का सम्मान नहीं , वहां सुख शांति हो ही नहीं सकती ।

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  30. द्रौपदी को नए तरीके से परिभाषित करती रचना. यूँ ये सत्य भी है कि द्रौपदी महाभारत का कारण बनी और कृष्ण जो योगी हैं सदैव नारियों का सम्मान करते आये, चाहे वो राधा केरूप में प्रेमिका हो या यशोदा मैया या फिर उनकी अपनी माता| बहुत सटीक रचना. बधाई रश्मी जी.

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  31. बहुत ही सशक्त रचना है ..एक एक शब्द अपनी बात पूर्ण रूप से कह रहा है .

    ... यूँ भी यातनाओं से गुजरती स्त्री
    आग में स्वाहा होती स्त्री
    गर्भ में ही दम तोड़ती कन्या
    काल का निर्णायक आगाज़ होती हैं
    हम - खामोश विरोध, आंसू के साथ
    इसकी इति समझ लेते हैं
    अगर गौर से पन्नों को पलटा जाए
    तो सूर्योदय वहीँ होता है ...
    ........

    sashakt lekhan ...badhai sweekaren ..

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  32. कृष्ण ने मुझे
    कुरुक्षेत्र की भूमि को रक्तरंजित करने का आधार बनाया
    सच है ...
    सच और भी हैं -
    कृष्ण के जीवन का आधार कन्या
    कृष्ण के बचपन का आधार माँ यशोदा
    कृष्ण के प्रेम का आधार राधा
    धर्म का नाश ही स्त्री की पीड़ा से है
    ये और बात है कि कभी कुरुक्षेत्र
    कभी कृष्ण की हथेली
    कभी कृष्ण का हुंकार
    भूलो मत .....
    जब जब धर्म का नाश होता है
    कृष्ण अवतार लेते हैं ...
    ........

    bilkul sateek......

    tadaatmaanym srijamyaham...........

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  33. tv me dikhaye program ke mutaabik, kunti ne anjaane me use baantne ki baat kah di thi.....

    to paandaw uske bhaaawarth ki na karke shabdaarth ki wyakhya kyun ki?????

    dosh kunti ka tha ya dropadi ka ya paandawon ka???????????

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  34. AAPKEE PRAKHAR LEKHNI SE NIKLEE
    EK VICHAARNIY KAVITA .BAHUT KHOOB !

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  35. बेहद ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना! बधाई!

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  36. धर्म का नाश ही स्त्री की पीड़ा से है.....
    बेहद ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना! बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  37. नारी आधार इस सृष्टि का ...वो पालनहारी ....विनाशकारी ..और जीवंत आधार उस कन्या का जो जन्म ले या ना ले ...इस धरती पर
    बोझ तले दबती ये नारी .....मन से कोमल ...और कभी कभी जुबान से दबंग ये नारी .......नारी सीता भी ...नारी द्रोपती भी ...थी वो राधा जो थी कृशं प्यारी ...नारी से है ये दुनिया सारी

    आपकी इस लेखनी को शत शत नमन दीदी

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दौड़ जारी है...

 कोई रेस तो है सामने !!! किसके साथ ? क्यों ? कब तक ? - पता नहीं ! पर सरपट दौड़ की तेज़, तीखी आवाज़ से बहुत घबराहट होती है ! प्रश्न डराता है,...