ब्लॉग लिखती हूँ
तो क्या
आपके कहे अनुसार -
गहन अर्थ कहती हूँ
तो क्या
मेरे कुछ शब्द
गुरु बन जाते हैं
तो क्या ...
लिखने से परे
शून्य में ब्रह्माण्ड को ढूंढती हूँ मैं
तो क्या !!!
जब भी हम और आप
होते हैं रूबरू आम बातों में
तो एक गुल्बुला बच्चा
झांकता है हमारी आँखों से
हँसता है शरारत से
ठुनकता है मचलता है
कागज़ की नाव बनाता है
ऊँचे टीले पर चढ़
मिट्टी से खेलता है ...
हम आपस में एक दूसरे को
बुद्धिजीवी कह तो लेते हैं
पर खिलौने घर में जाकर ही
एक सुकून मिलता है ....
दिल पे रखकर कहो हाथ
ऐसा होता है न ???
Haaaa, Ha - Aksar esa hi mehsus hota hai....Ilu...!
जवाब देंहटाएंबिल्कुल्…………सुन्दर भाव संग्रहण्।
जवाब देंहटाएंहाँ होताहै न .....आपको कैसे पता?
जवाब देंहटाएंऊँचे टीले पर चढ़
जवाब देंहटाएंमिट्टी से खेलता है ...
हम आपस में एक दूसरे को
बुद्धिजीवी कह तो लेते हैं
पर खिलौने घर में जाकर ही
एक सुकून मिलता है ....
दिल पे रखकर कहो हाथ
ऐसा होता है न
nice
हम आपस में एक दूसरे को
जवाब देंहटाएंबुद्धिजीवी कह तो लेते हैं
पर खिलौने घर में जाकर ही
एक सुकून मिलता है ...
वाह ..आज कल मैं तो गुल्बुलू बच्चे के साथ ही खेलती हूँ और बहुत बुद्धिजीवी महसूस करती हूँ :)
बहुत प्यारी रचना
बहुत जरूरी है होना उस बच्चे का, हमारे अंदर ! हमारी भरपूर जीने और सब कुछ जानने की लालसा वही तो है !
जवाब देंहटाएंपर खिलौने घर में जाकर ही
जवाब देंहटाएंएक सुकून मिलता है ....
दिल पे रखकर कहो हाथ
ऐसा होता है न ???
ji bilkul aisa hi hota hai....
apna ghar apni dehleej apnee diwar.....ye sab apne aap me bahut badi duniya samete hote hain......aur jo sukoon milta hai, adbhut hota hai.....
behtareen rachna....
हाँ लिखना अच्छा लगता है।
जवाब देंहटाएंसच कहा है दी....
जवाब देंहटाएंशायद सभी के हिस्से का बयान है आपकी रचना...
सादर...
सच्ची बात कह दी आपने...इतनी सरलता से...वाह
जवाब देंहटाएंनीरज
हम आपस में एक दूसरे को
जवाब देंहटाएंबुद्धिजीवी कह तो लेते हैं
पर खिलौने घर में जाकर ही
एक सुकून मिलता है ...
Haan ! ais hi hota hai...
bilkul aisa hi hota hai ....
जवाब देंहटाएंHAAN AISA HI KUCH HOTA H MA'M!
जवाब देंहटाएंaadar-
rohit
सुंदर रचना, भावनाओं से भरी,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
वाह!सही लिखा है।
जवाब देंहटाएंसभी के भीतर एक बच्चा कैद है जो बाहर निकलने के लिए मचलता रहता है।
हाँ होताहै न बिलकुल ऐसा ही होता है ....बहुत सुन्दर रचना.......
जवाब देंहटाएंगुलज़ार भी मानते हैं...दिल तो बच्चा है...
जवाब देंहटाएंजीने का मज़ा बुद्धिजीवी बन के नहीं मिल सकता...किसी लेखक ने अपने जीवन के अंतिम समय में कहा...कि...इस जनम में तो मै भरे दिमाग और खाली पेट के साथ रहा...अगले जनम में मै इसका उल्टा चाहता हूँ...
वो सुखी हैं जिनके दिमाग पर लोड नहीं है... बुद्धिजीवी बेचारा तो दूसरों का लोड लिए फिर रहा है...
दिल पे रखकर कहो हाथ
जवाब देंहटाएंऐसा होता है न ???
bilkul aisa hi hota hai.......
very true mausi....
जवाब देंहटाएंji haa aisha hota hai... very very nice kavita...
जवाब देंहटाएंहां....ऐसा ही होता है...
जवाब देंहटाएंhaan haan!! aksar aisaa hi hota hai :-)
जवाब देंहटाएंदिल तो बच्चा है जी....
जवाब देंहटाएंहाँ होता है ...बिलकुल ऐसा ही होता है ...!!
जवाब देंहटाएंआज अच्छा लगा जान कर ..बहुत लोग ऐसा सोचते हैं ...
सब के मन की बात लिख डाली रश्मि दी ....!!
kamaal hai ...!!
:) bilkul aisa hi hota hai
जवाब देंहटाएंसच है..ऐसा ही होता है...नो मोर बुद्धिजीवी खेल... :).जी चाहता है उस बच्चे के साथ ही खेला जाए बस..
जवाब देंहटाएंBahut sachchi aur achchhi rachana
जवाब देंहटाएंसुंदर भावाभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंकौन इनकार कर सकता है !
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रवि्ष्टी की चर्चा आज शुक्रवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
जवाब देंहटाएंयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल उद्देश्य से दी जा रही है!
दिल पे रखकर कहो हाथ
जवाब देंहटाएंऐसा होता है न ||
बहुत सुन्दर ||
बधाई ||
हाँ - ऐसा होता है ...
जवाब देंहटाएंबहुत कोमल कविता .
जवाब देंहटाएंजब भी हम और आप
जवाब देंहटाएंहोते हैं रूबरू आम बातों में
तो एक गुल्बुला बच्चा
झांकता है हमारी आँखों से
हँसता है शरारत से
बिल्कुल ... जब मां सामने हो तो और ज्यादा शरारत सूझती है :)
हाँ जो भी शब्दों को कागज़ पे उतारते हैं....रचना में बांधते हैं...उन सभी को ऐसा ही लगता है..........
जवाब देंहटाएंwaaaaaaaaaah didi ekdam bachha ho aap to sach me
जवाब देंहटाएंkavita padha kar bahut pyaar aa raha hai ap par...
paon chhu raha hun.
आज आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएं...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
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जब भी हम और आप
जवाब देंहटाएंहोते हैं रूबरू आम बातों में
तो एक गुल्बुला बच्चा
झांकता है हमारी आँखों से
हँसता है शरारत से
ठुनकता है मचलता है
कागज़ की नाव बनाता है............एक अनदेखा सच!!!
हम आपस में एक दूसरे को
जवाब देंहटाएंबुद्धिजीवी कह तो लेते हैं
पर खिलौने घर में जाकर ही
एक सुकून मिलता है ....
दिल पे रखकर कहो हाथ
ऐसा होता है न ???
...bahut achha sawal!....sach mein budhhijivi kahalana jinta saral hai utna hi vastavik dharatal par chalna kathin..
बिल्कुल सच। बहुत सुंदर भाव और रचना
जवाब देंहटाएंआभार
सुंदर भावाभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंnaaaaaaaaaaaaa....mera sath to aisa nahi hota...bas itna hota hai ki ....me baccha hoti hun.....aur aap mano koi meri teacher ji....ha.ha.ha.
जवाब देंहटाएं'दिल पे रखकर कहो हाथ
जवाब देंहटाएंऐसा होता है न ???'
...वाक़ई ऐसा ही होता है
बिल्कुल ऐसा होता है .....बहुत ही अच्छी रचना ।
जवाब देंहटाएंbikul sach hai rashmi
जवाब देंहटाएंहर man की baat likh di aapne ... apne dil की kalam से
जवाब देंहटाएंkomal ehsason की ati सुन्दर प्रस्तुति
हर man की baat likh di aapne ... apne dil की kalam से
जवाब देंहटाएंkomal ehsason की ati सुन्दर प्रस्तुति
बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.