15 जुलाई, 2011

तुम्हारे नाम / मेरे नाम



नाव तो मैंने कितनी सारी बनाई थीं
कागज की ही सही ....
तुम चेहरे पर कितनी भी शून्यता लाओ
पर तुम इस सत्य से परे नहीं !
तभी तो
हर करवट पे
तुमको मैं दिखाई देती हूँ
तुम चाहते हो खींचना
कुछ लकीरें मेरे चेहरे पर
ताकि एक भी नाव में सुराख हो
तो तुम सर पटक सको
चिल्ला सको ....
तुम्हें आदत हो गई है
संकरी गुफाओं के अंधेरों से गुजरने की
प्रकाशमय ज़िन्दगी तुम चाहते तो हो
पर आदतें !
और सच यह भी है -
कि तुम मेरी हर नाव को
अपने सबसे प्रिय संदूक में रखते हो
सहेज सहेज कर
पर .... !
मुझे भी कोई शिकायत नहीं ....
हाँ मेरी हर नाव में एक सूरज
तुम्हारे नाम होता है
क्योंकि मैं सिर्फ इतना चाहती हूँ
कि किसी दिन यह सूरज
तुम्हारे हर अँधेरे को ख़त्म कर दे
और ........
एक नाव तुम बनाओ लकड़ी की
और उसमें ढेर सारी चाँदनी
ढेर सारी बातें
ढेर सारी चिट्ठियाँ रख दो
मेरे नाम ,
एक हल्की मुस्कान के साथ !!!

52 टिप्‍पणियां:

  1. ह्रदय से ह्रदय तक यात्रा कर रहें हैं आपके भाव ...बहुत ही सुंदर ...शब्दों को इतना कोमल स्पर्श दिया है , नज़रिया ही बदल दिया है जीवन को देखने का .......
    बधाई ऐसी सोच के लिए और आभार हमसे बांटने के लिए ...

    जवाब देंहटाएं
  2. मुझे भी कोई शिकायत नहीं ....
    हाँ मेरी हर नाव में एक सूरज
    तुम्हारे नाम होता है
    क्योंकि मैं सिर्फ इतना चाहती हूँ
    कि किसी दिन यह सूरज
    तुम्हारे हर अँधेरे को ख़त्म कर दे"

    बहुत सुंदर शब्द ..जितना पड़ो मन नही भरता

    जवाब देंहटाएं
  3. कोमल किंतु व्यावहारिक भावों ने सचमुच नि:शब्द कर दिया.स्वप्न और यथार्थ का अद्भुत संतुलन.

    फुरसत निकाल कागज की नाव ही बना लें,
    आज फिर शरारती सावन की याद आती है.

    जवाब देंहटाएं
  4. कोमल भावों को करीने से सहेजा है।

    जवाब देंहटाएं
  5. जीवन भी एक नाव है, पर उसमें भी हमें कितनी और नावों की जरूरत होती है।

    जवाब देंहटाएं
  6. komal ahsaason aur dil ke jajbaaton ka achcha chitran.bahut sunder.

    जवाब देंहटाएं
  7. रश्मि दी ......आपके मन के भाव पढना हमेशा से ही अच्छा लगा है ........आज यहाँ मन के भाव और सपनो का समावेश बहुत खूबसूरत लगा ......आभार

    जवाब देंहटाएं
  8. ढेर सारी बातें
    ढेर सारी चिट्ठियाँ रख दो
    मेरे नाम ,
    एक हल्की मुस्कान के साथ !!!

    भावमय करते शब्‍दों के साथ ...यह ख्‍याल सुकून देता है मन को ...

    जवाब देंहटाएं
  9. नाव में सूरज ..जो ज़िंदगी के अँधेरे को खत्म करे ..अद्भुत कल्पना .. सुन्दर और भावमयी रचना

    जवाब देंहटाएं
  10. मुझे भी कोई शिकायत नहीं ....
    हाँ मेरी हर नाव में एक सूरज
    तुम्हारे नाम होता है
    क्योंकि मैं सिर्फ इतना चाहती हूँ
    ....यही अहसास प्रेरणा देता है।
    उत्तम भावों को अभिव्यक्त करती सुंदर कविता।

    जवाब देंहटाएं
  11. दिल को छू गई..आप की अभिव्यक्ति...सुन्दर ..आभार..

    जवाब देंहटाएं
  12. एक नाव तुम बनाओ लकड़ी की
    और उसमें ढेर सारी चाँदनी
    ढेर सारी बातें
    ढेर सारी चिट्ठियाँ रख दो
    मेरे नाम ,
    एक हल्की मुस्कान के साथ !!!


    सुन्दर आकांक्षा से परिपूर्ण सुन्दर रचना....

    जवाब देंहटाएं
  13. मुझे भी कोई शिकायत नहीं ....
    हाँ मेरी हर नाव में एक सूरज
    तुम्हारे नाम होता है
    क्योंकि मैं सिर्फ इतना चाहती हूँ
    कि किसी दिन यह सूरज
    तुम्हारे हर अँधेरे को ख़त्म कर दे
    और ........

    Manbhawan rachna ... Badhai..

    जवाब देंहटाएं
  14. और सच यह भी है -
    कि तुम मेरी हर नाव को
    अपने सबसे प्रिय संदूक में रखते हो
    सहेज सहेज कर

    bahut khoobsurat....mausi...aabhar

    जवाब देंहटाएं
  15. कोमल अहसासों की सुन्दर बुनाई.

    जवाब देंहटाएं
  16. कोमल अहसासों की सुन्दर बुनाई.

    जवाब देंहटाएं
  17. एक नाव तुम बनाओ लकड़ी की
    और उसमें ढेर सारी चाँदनी
    ढेर सारी बातें
    ढेर सारी चिट्ठियाँ रख दो
    मेरे नाम ,
    एक हल्की मुस्कान के साथ !!!

    ...कोमल अहसासों से परिपूर्ण बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति..बहुत सुन्दर..आभार

    जवाब देंहटाएं
  18. दिल से निकली हो जैसे एक दुआ ! बहुत सुंदर भावपूर्ण कविता !

    जवाब देंहटाएं
  19. बहुत ही सुन्दर भाव...उससे सुन्दर वे शब्द जिनमें इन भावों को पिरोया गया है..सीधे दिल में उतारते हैं ...

    जवाब देंहटाएं
  20. वाह रश्मि दी बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति... मैं तुम्हे हर नाव में एक सूरज दूंगी और तुम ढेर सारी चांदनी, बातें और चिट्ठियाँ कर दो मेरे नाम... वो भी हौले से मुस्कुराकर ...सुन्दर आकांक्षा

    जवाब देंहटाएं
  21. मुझे भी कोई शिकायत नहीं ....
    हाँ मेरी हर नाव में एक सूरज
    तुम्हारे नाम होता है
    क्योंकि मैं सिर्फ इतना चाहती हूँ
    कि किसी दिन यह सूरज
    तुम्हारे हर अँधेरे को ख़त्म कर दे

    बहुत खूब! बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..

    जवाब देंहटाएं
  22. मुझे भी कोई शिकायत नहीं ....
    हाँ मेरी हर नाव में एक सूरज
    तुम्हारे नाम होता है
    क्योंकि मैं सिर्फ इतना चाहती हूँ
    कि किसी दिन यह सूरज
    तुम्हारे हर अँधेरे को ख़त्म कर दे

    बहुत खूब! बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..

    जवाब देंहटाएं
  23. मुझे भी कोई शिकायत नहीं ....
    हाँ मेरी हर नाव में एक सूरज
    तुम्हारे नाम होता है
    क्योंकि मैं सिर्फ इतना चाहती हूँ
    कि किसी दिन यह सूरज
    तुम्हारे हर अँधेरे को ख़त्म कर दे

    बहुत खूब! बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..

    जवाब देंहटाएं
  24. शायद इस नाव की हर दिल को जरूरत होती है…………बेहद उम्दा और दिल को छूने वाली रचना।

    जवाब देंहटाएं
  25. दी , इतने कोमल भाव ...इतनी सरलता से .... सादर !

    जवाब देंहटाएं
  26. नाव कागज की गहरा है पानी , ज़िंदगानी पड़ेगी निभानी । बहुत सुंदर रचना ..

    जवाब देंहटाएं
  27. आपने बहुत खूबसूरती से भावो को शब्दों में उतारा है आपने..

    जवाब देंहटाएं
  28. देखा सपना एक तुम्हारे एक अपने लिए
    तुम्हारे लिए खुशियाँ और उजाले
    मेरे लिए सिर्फ तुम :)

    बहुत सुन्दर रचना

    जवाब देंहटाएं
  29. एक नाव तुम बनाओ लकड़ी की
    और उसमें ढेर सारी चाँदनी
    ढेर सारी बातें
    ढेर सारी चिट्ठियाँ रख दो
    मेरे नाम ,
    एक हल्की मुस्कान के साथ !!!

    वाह!! बहुत ही सुन्दर भाव लिए रचना है दी...
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  30. आपको पढ़ना हमेशा अच्छा लगता है...शब्द और भाव का रहस्यवाद कभी मन को भाता है तो कभी भटका देता है...

    जवाब देंहटाएं
  31. जिसने हर सूरज बनी नाव को सहेज सहेज कर रखा...उसका भी उजाले पर कुछ हक बनता है...कागज़ की नाव के बदले लकड़ी नाव...उम्मीद कुछ ज्यादा तो नहीं...

    जवाब देंहटाएं
  32. बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति है।

    जवाब देंहटाएं
  33. रश्मिप्रभा जी,

    कविता ने दिल छुआ बहुत अपनापन था भावों में :-

    कि,
    तुम्हें आदत हो गई है
    संकरी गुफाओं के अंधेरों से गुजरने की

    बहुत सुन्दर......

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

    जवाब देंहटाएं
  34. ढेर सारी बातें
    ढेर सारी चिट्ठियाँ रख दो
    मेरे नाम ,
    एक हल्की मुस्कान के साथ !!!

    man moh liya aapne to :)

    abhaar

    जवाब देंहटाएं
  35. भावों में बेशक प्यार छुपा है किंतु "अधिकार" ने तो अभिव्यक्ति को आसमान से ऊँचा कर दिया.

    जवाब देंहटाएं
  36. मुझे भी कोई शिकायत नहीं ....
    हाँ मेरी हर नाव में एक सूरज
    तुम्हारे नाम होता है
    क्योंकि मैं सिर्फ इतना चाहती हूँ
    कि किसी दिन यह सूरज
    तुम्हारे हर अँधेरे को ख़त्म कर दे
    और ........
    एक नाव तुम बनाओ लकड़ी की
    और उसमें ढेर सारी चाँदनी
    ढेर सारी बातें
    ढेर सारी चिट्ठियाँ रख दो
    मेरे नाम ,
    एक हल्की मुस्कान के साथ !

    bahut achhi lagi ye panktiyan ..rashmi ji

    जवाब देंहटाएं
  37. मेरी हर नाव में एक सूरज
    तुम्हारे नाम होता है
    क्योंकि मैं सिर्फ इतना चाहती हूँ
    कि किसी दिन यह सूरज
    तुम्हारे हर अँधेरे को ख़त्म कर दे...
    रश्मि जी, इससे ख़ूबसूरत दुआ और क्या हो सकती है...
    दिल को छू गई ये रचना.

    जवाब देंहटाएं
  38. rashmimdi
    bahut hi sundar ,komal v ghanta liye hue hai aapki rachna---
    एक नाव तुम बनाओ लकड़ी की
    और उसमें ढेर सारी चाँदनी
    ढेर सारी बातें
    ढेर सारी चिट्ठियाँ रख दो
    मेरे नाम ,
    एक हल्की मुस्कान के साथ
    ek vishwash se bhari prabal prastuti tatha itni khoobsurat kalpana ke liye
    bahut bahut badhai
    sadar naman sahit
    poonam

    जवाब देंहटाएं
  39. एक हल्की मुस्कान के साथ !!!wah,kya baat hai.

    जवाब देंहटाएं
  40. बहुत ही खूब.

    क्यों न बनाएं हम
    पत्थर की नाव
    तुम भी डूब जाओ
    मैं भी डूब जाऊं.

    जवाब देंहटाएं
  41. 'हाँ मेरी हर नाव में एक सूरज
    तुम्हारे नाम होता है ......'
    ................कोमल एवं गहन भावों की सुन्दर रचना

    जवाब देंहटाएं
  42. आदरणीय रश्मि जी बहुत ही प्यारी रचना -कोमल और मूल भाव बहुत सुन्दर-प्रेम की पराकाष्ठा निम्न पंक्तियाँ प्यारी बधाई हो

    मुझे भी कोई शिकायत नहीं ....
    हाँ मेरी हर नाव में एक सूरज
    तुम्हारे नाम होता है
    क्योंकि मैं सिर्फ इतना चाहती हूँ
    कि किसी दिन यह सूरज
    तुम्हारे हर अँधेरे को ख़त्म कर

    शुक्ल भ्रमर ५
    प्रतापगढ़ साहित्य प्रेमी मंच

    जवाब देंहटाएं
  43. आदरणीया रश्मि दीदी

    सादर प्रणाम !

    आप शीघ्र पूर्णतः स्वस्थ हों … परमात्मा से यही प्रार्थना है !

    रचना हमेशा की तरह अत्यंत सुंदर !

    हार्दिक मंगलकामनाएं और शुभकामनाएं !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

    जवाब देंहटाएं
  44. मुझे भी कोई शिकायत नहीं ....
    हाँ मेरी हर नाव में एक सूरज
    तुम्हारे नाम होता है
    क्योंकि मैं सिर्फ इतना चाहती हूँ
    कि किसी दिन यह सूरज
    तुम्हारे हर अँधेरे को ख़त्म कर दे
    और ........
    एक नाव तुम बनाओ लकड़ी की
    और उसमें ढेर सारी चाँदनी
    ढेर सारी बातें
    ढेर सारी चिट्ठियाँ रख दो
    मेरे नाम ,
    एक हल्की मुस्कान के साथ !!!

    sunder

    जवाब देंहटाएं

एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...