ओह !
पैसे में बड़ा वजन होता है
रिश्ता कोई भी हो
सन्नाटे में भीख सा लगता है !
तन जाती हैं दिमाग की नसें
बेवजह थरथराने लगती हैं साँसें
मर जाती है भूख
उड़ जाती हैं नींदें ....
....
पर इसके विपरीत -
प्यार में होता है सुकून
हर ख्याल अमीरी का एहसास
साँसों में आत्मविश्वास
रोटी नमक में भी अनोखा स्वाद मिलता है
जब कोई प्यार से खिलाता है
एक स्पर्श - गहरी नींद
खिलखिलाती भोर होती है
....
फिर ? क्यूँ बदल दी हैं तुमने परिभाषाएं
ज़रूरी था रोटी कपड़ा और मकान
अब नशा है
बर्गर ,पिज्जा , रशियन ....
और न जाने क्या !
कपड़े ब्रैंडेड !
घर नहीं फाइव स्टार होटल का एहसास
लम्बी सी कार
एक नहीं दो चार ...
.........पर इसके बाद भी गाना
'किसको खबर थी किसको यकीं था
ऐसे भी दिन आयेंगे - हाय
जीना भी मुश्किल होगा
और मरने भी ना पाएंगे - हाय !'
बेहतरीन!
जवाब देंहटाएंसादर
पर इसके विपरीत -
जवाब देंहटाएंप्यार में होता है सुकून
हर ख्याल अमीरी का एहसास
साँसों में आत्मविश्वास ..
भावमय करते शब्दों के साथ ...सटीक बात कह दी है आपने ।
रोटी नमक में भी अनोखा स्वाद मिलता है
जवाब देंहटाएंजब कोई प्यार से खिलाता है ...।
बिल्कुल सच कहा है ..।
सबसे आमिर होने का ख्याल सिर्फ और सिर्फ
जवाब देंहटाएंप्यार ही देता है मेरे लिये तो !
जितना भी लुटावो कम नहीं होता !
बहुत सुंदर रचना !
यह बात हम सब जितनी जल्दी समझ जाएँ कि सुकून प्यार में है ...पैसे की चमक दमक में नहीं ...उतना ही बढ़िया रहेगा ,हम सभी के लिए...
जवाब देंहटाएंघर नहीं फाइव स्टार होटल का एहसास
जवाब देंहटाएंलम्बी सी कार
एक नहीं दो चार ...
बस यही होड़ लगी हुई है ... पैसे के आगे रिश्ते फीके पड़ रहे हैं ...बहुत अच्छी रचना
रोटी नमक में भी अनोखा स्वाद मिलता है
जवाब देंहटाएंजब कोई प्यार से खिलाता है
एक स्पर्श - गहरी नींद
खिलखिलाती भोर होती है...
बहुत सच कहा है...बहुत सुन्दर सारगर्भित रचना..
प्यार में होता है सुकून
जवाब देंहटाएंहर ख्याल अमीरी का एहसास
साँसों में आत्मविश्वास
bahut sahi mahsoos karwa din aap in pangtiyon men......
bahut sundar kavita... man ko chhu jate hain aapke shabd
जवाब देंहटाएंहाय ये क्या हो गया हाय.:)
जवाब देंहटाएंसारगर्भित रचना.
सच कहा न जीने के रहे न मर ही पाएंगे . इस त्रासदी में ही जीना होगा
जवाब देंहटाएंसुन्दर चिंतन...
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना दी...
वर्तमान की परिभाषा है यह....
सादर...
अब सब सुख सुविधा है लेकिन सुकून नहीं है...बेहतरीन रचना...बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंनीरज
पैसे के पीछे दौड़ रहा इंसान सचमुच जीना भूल गया है... बहुत खूबसूरती से इस तथ्य को आपने अपनी कविता का विषय बनाया है....
जवाब देंहटाएंकुछ अलग अंदाज़ में लगी ये रचना...पर बहुत ही रोचक भी लगी...
जवाब देंहटाएंbilkul sahi kaha apne jindgi ka such yahi h...
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 05 - 07 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
साप्ताहिक काव्य मंच-- 53 ..चर्चा मंच 566
सन्नाटे में भीख सा लगता है !
जवाब देंहटाएंतन जाती हैं दिमाग की नसें
बेवजह थरथराने लगती हैं साँसें
मर जाती है भूख
उड़ जाती हैं नींदें ....
बहुत सच कहा है...बहुत सुन्दर रचना..
आधुनिकता --यानि तरक्की में भी पिछड़ेपन का अहसास ।
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना ।
पर इसके विपरीत -
जवाब देंहटाएंप्यार में होता है सुकून
हर ख्याल अमीरी का एहसास
साँसों में आत्मविश्वास
रोटी नमक में भी अनोखा स्वाद मिलता है
जब कोई प्यार से खिलाता है
एक स्पर्श - गहरी नींद
खिलखिलाती भोर होती है
दीदी बहुत सुन्दर अहसाश प्या का भी और यथार्थ का भी (क्यों की इस दुनिया में प्यार को अब यथार्थ नही समझा जाता)
सचमुच जो सुख और शांति नमक रोटी खाने में हैं वह किसी और चीज में नहीं।
जवाब देंहटाएंरोटी नमक में भी अनोखा स्वाद मिलता है
जवाब देंहटाएंजब कोई प्यार से खिलाता है ...।
कितनी सच्ची सटीक बात ...बहुत सुंदर
बहुत बढ़िया....सुंदर शब्दों में सुंदर भाव....
जवाब देंहटाएंsacchai ko bayan karti yah rachna bahut hi acchhi lagi.. badhai..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
...
जवाब देंहटाएंफिर ? क्यूँ बदल दी हैं तुमने परिभाषाएं
ज़रूरी था रोटी कपड़ा और मकान
अब नशा है
बर्गर ,पिज्जा , रशियन ....
और न जाने क्या !
बदलते परिवेश पर ...बहुत सुंदर ह्रदय के उद्गार ....
रोटी नमक में भी अनोखा स्वाद मिलता है
जवाब देंहटाएंजब कोई प्यार से खिलाता है
एक स्पर्श - गहरी नींद
खिलखिलाती भोर होती है...
फिर ? क्यूँ बदल दी हैं तुमने परिभाषाएं
जरूरी था रोटी कपड़ा और मकान
अब नशा है
बिलकुल सही कहां आपने
प्यार में होता है सुकून ...
जवाब देंहटाएंहर पल अमीरी का एहसास
वर्ना तो
बस
हाय हाय !
सुन्दर प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत बधाई ||
आधुनिकता की अंधी दौड़ में पैसा का नशा .............मगर प्यार से बढ़कर कुछ भी नहीं
जवाब देंहटाएंवर्तमान के यथार्थ को चित्रित करती ...........सुन्दर रचना
wah kya baat hai rashmiji.aapne to aaj ki jindagi ki hakikat bayaan kar di ,bahut behatrin rachanaa.badhaai aapko.
जवाब देंहटाएंजी,पैसा भगवान हो चुका है लोगों की नज़रों में.
जवाब देंहटाएंकुछ लीक से हटकर और समाज का दर्पण , शब्दों द्वारा अर्पण . सत्य और रोचक . आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसटीक रचना!
जवाब देंहटाएंसच कहा .. बदलते समय को रचना में उतार दिया आपने ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना...बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना,,,
जवाब देंहटाएंआदमी सिक्के को,
सिक्के आदमी को
खोटा बनाते हैं,
वो एक दूसरे को
छोटा बनाते हैं,
आजकल सिक्के
टकसाल में नहीं
आदमी की हथेली
पर ढल रहे हैं और
बच्चे मां की गोद में
नहीं सिक्के की परिधि
में पल रहे हैं।
अति सुंदर रचना.मानस पटल पर प्रभाव छोड़ने वाली अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंआनन्द विश्वास
satya hai ki hum andhon ki tareh paisae ke peechae daud rahe hain kintu sykoon to pyar mei hi hai..
जवाब देंहटाएंबहुत दिन बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ ...
जवाब देंहटाएंलेकिन
बेहतरीन भाव,
बेहतरीन शब्द...बधाई आपको रश्मी जी...प्यार और पैसा दो विपरीत चीजें हैं...प्यार में आधा पेट भूखा भी सोना पड़े तो भी प्रसन्नता होती है..बहुत सुंदर ,,,बधाई आपकी सिस...
सस्नेह
गीता पंडित
ऐसे भी दिन आयेंगे - हाय
जवाब देंहटाएंजीना भी मुश्किल होगा
और मरने भी ना पाएंगे - हाय !'
भ्रम की स्थिति सदैव ,मृग तृष्णा का पर्याय बनती है ,
बहुत सार्थक प्रसंग ,,शुक्रिया जी /
bahut sundar rachna. materialism , prem ke samne kuch nahin...
जवाब देंहटाएंफिर ? क्यूँ बदल दी हैं तुमने परिभाषाएं
जवाब देंहटाएंज़रूरी था रोटी कपड़ा और मकान
अब नशा है
बर्गर ,पिज्जा , रशियन ....
और न जाने क्या !
कपड़े ब्रैंडेड !
घर नहीं फाइव स्टार होटल का एहसास
लम्बी सी कार
एक नहीं दो चार ...
bahut sunder
rachana
sach hai insan kahin bhi santusht nahi hai...haye...
जवाब देंहटाएंप्यार में होता है सुकून
जवाब देंहटाएंरोटी नमक में भी अनोखा स्वाद मिलता है...अति सुन्दर भाव...
ऐसे भी दिन आयेंगे - हाय
जीना भी मुश्किल होगा
और मरने भी ना पाएंगे - हाय !'..कितनी भ्रमपूर्ण स्थिति है ..कितना परिवर्तन हो गया समाज में कितना विवश है संवेदन शील मन.....बहुत ही सशक्त प्रस्तुति....सादर !!!
प्यार या पैसा, द्वन्द सदा ही बना रहेगा।
जवाब देंहटाएंपैसे के पीछे भागती ज़िन्दगी
जवाब देंहटाएंबहत खूब दीदी
क्यूँ बदल दी हैं तुमने परिभाषाएं
जवाब देंहटाएंज़रूरी था रोटी कपड़ा और मकान
अब नशा है
बर्गर ,पिज्जा , रशियन ....
और न जाने क्या !
कपड़े ब्रैंडेड !
घर नहीं फाइव स्टार होटल का एहसास
लम्बी सी कार
एक नहीं दो चार ...
सच्चाई को सामने लाती पोस्ट ....आपका आभार
पर इसके विपरीत -
जवाब देंहटाएंप्यार में होता है सुकून
हर ख्याल अमीरी का एहसास
साँसों में आत्मविश्वास
रोटी नमक में भी अनोखा स्वाद मिलता है
जब कोई प्यार से खिलाता है
एक स्पर्श - गहरी नींद
खिलखिलाती भोर होती है
सच है प्यार से बढ़कर कुछ भी नहीं......बहुत सुन्दर रचना..... बेहतरीन प्रस्तुति
पैसे की अहमियत से इनकार नहीं है...पर पैसा ही सब कुछ सरकार नहीं है...पैसे का मज़ा दिखाने में है...इसीलिए ब्रांडेड का चलन बढ़ गया है...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिखा है, जीवन-मूल्य बदल गया है अब...
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