04 जुलाई, 2011

ऐसे भी दिन आयेंगे - हाय



ओह !
पैसे में बड़ा वजन होता है
रिश्ता कोई भी हो
सन्नाटे में भीख सा लगता है !
तन जाती हैं दिमाग की नसें
बेवजह थरथराने लगती हैं साँसें
मर जाती है भूख
उड़ जाती हैं नींदें ....
....
पर इसके विपरीत -
प्यार में होता है सुकून
हर ख्याल अमीरी का एहसास
साँसों में आत्मविश्वास
रोटी नमक में भी अनोखा स्वाद मिलता है
जब कोई प्यार से खिलाता है
एक स्पर्श - गहरी नींद
खिलखिलाती भोर होती है
....
फिर ? क्यूँ बदल दी हैं तुमने परिभाषाएं
ज़रूरी था रोटी कपड़ा और मकान
अब नशा है
बर्गर ,पिज्जा , रशियन ....
और न जाने क्या !
कपड़े ब्रैंडेड !
घर नहीं फाइव स्टार होटल का एहसास
लम्बी सी कार
एक नहीं दो चार ...
.........पर इसके बाद भी गाना
'किसको खबर थी किसको यकीं था
ऐसे भी दिन आयेंगे - हाय
जीना भी मुश्किल होगा
और मरने भी ना पाएंगे - हाय !'

52 टिप्‍पणियां:

  1. पर इसके विपरीत -
    प्यार में होता है सुकून
    हर ख्याल अमीरी का एहसास
    साँसों में आत्मविश्वास ..
    भावमय करते शब्‍दों के साथ ...सटीक बात कह दी है आपने ।

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  2. रोटी नमक में भी अनोखा स्वाद मिलता है
    जब कोई प्यार से खिलाता है ...।


    बिल्‍कुल सच कहा है ..।

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  3. सबसे आमिर होने का ख्याल सिर्फ और सिर्फ
    प्यार ही देता है मेरे लिये तो !
    जितना भी लुटावो कम नहीं होता !
    बहुत सुंदर रचना !

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  4. यह बात हम सब जितनी जल्दी समझ जाएँ कि सुकून प्यार में है ...पैसे की चमक दमक में नहीं ...उतना ही बढ़िया रहेगा ,हम सभी के लिए...

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  5. घर नहीं फाइव स्टार होटल का एहसास
    लम्बी सी कार
    एक नहीं दो चार ...

    बस यही होड़ लगी हुई है ... पैसे के आगे रिश्ते फीके पड़ रहे हैं ...बहुत अच्छी रचना

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  6. रोटी नमक में भी अनोखा स्वाद मिलता है
    जब कोई प्यार से खिलाता है
    एक स्पर्श - गहरी नींद
    खिलखिलाती भोर होती है...

    बहुत सच कहा है...बहुत सुन्दर सारगर्भित रचना..

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  7. प्यार में होता है सुकून
    हर ख्याल अमीरी का एहसास
    साँसों में आत्मविश्वास
    bahut sahi mahsoos karwa din aap in pangtiyon men......

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  8. हाय ये क्या हो गया हाय.:)
    सारगर्भित रचना.

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  9. सच कहा न जीने के रहे न मर ही पाएंगे . इस त्रासदी में ही जीना होगा

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  10. सुन्दर चिंतन...
    सार्थक रचना दी...
    वर्तमान की परिभाषा है यह....
    सादर...

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  11. अब सब सुख सुविधा है लेकिन सुकून नहीं है...बेहतरीन रचना...बधाई स्वीकारें

    नीरज

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  12. पैसे के पीछे दौड़ रहा इंसान सचमुच जीना भूल गया है... बहुत खूबसूरती से इस तथ्य को आपने अपनी कविता का विषय बनाया है....

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  13. कुछ अलग अंदाज़ में लगी ये रचना...पर बहुत ही रोचक भी लगी...

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  14. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 05 - 07 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    साप्ताहिक काव्य मंच-- 53 ..चर्चा मंच 566

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  15. सन्नाटे में भीख सा लगता है !
    तन जाती हैं दिमाग की नसें
    बेवजह थरथराने लगती हैं साँसें
    मर जाती है भूख
    उड़ जाती हैं नींदें ....
    बहुत सच कहा है...बहुत सुन्दर रचना..

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  16. आधुनिकता --यानि तरक्की में भी पिछड़ेपन का अहसास ।
    भावपूर्ण रचना ।

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  17. पर इसके विपरीत -
    प्यार में होता है सुकून
    हर ख्याल अमीरी का एहसास
    साँसों में आत्मविश्वास
    रोटी नमक में भी अनोखा स्वाद मिलता है
    जब कोई प्यार से खिलाता है
    एक स्पर्श - गहरी नींद
    खिलखिलाती भोर होती है

    दीदी बहुत सुन्दर अहसाश प्या का भी और यथार्थ का भी (क्यों की इस दुनिया में प्यार को अब यथार्थ नही समझा जाता)

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  18. सचमुच जो सुख और शांति नमक रोटी खाने में हैं वह किसी और चीज में नहीं।

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  19. रोटी नमक में भी अनोखा स्वाद मिलता है
    जब कोई प्यार से खिलाता है ...।

    कितनी सच्ची सटीक बात ...बहुत सुंदर

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  20. बहुत बढ़िया....सुंदर शब्दों में सुंदर भाव....

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  21. sacchai ko bayan karti yah rachna bahut hi acchhi lagi.. badhai..

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  22. ...
    फिर ? क्यूँ बदल दी हैं तुमने परिभाषाएं
    ज़रूरी था रोटी कपड़ा और मकान
    अब नशा है
    बर्गर ,पिज्जा , रशियन ....
    और न जाने क्या !

    बदलते परिवेश पर ...बहुत सुंदर ह्रदय के उद्गार ....

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  23. रोटी नमक में भी अनोखा स्वाद मिलता है
    जब कोई प्यार से खिलाता है
    एक स्पर्श - गहरी नींद
    खिलखिलाती भोर होती है...

    फिर ? क्यूँ बदल दी हैं तुमने परिभाषाएं
    जरूरी था रोटी कपड़ा और मकान
    अब नशा है

    बिलकुल सही कहां आपने

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  24. प्यार में होता है सुकून ...
    हर पल अमीरी का एहसास
    वर्ना तो
    बस
    हाय हाय !

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  25. सुन्दर प्रस्तुति ||
    बहुत-बहुत बधाई ||

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  26. आधुनिकता की अंधी दौड़ में पैसा का नशा .............मगर प्यार से बढ़कर कुछ भी नहीं

    वर्तमान के यथार्थ को चित्रित करती ...........सुन्दर रचना

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  27. wah kya baat hai rashmiji.aapne to aaj ki jindagi ki hakikat bayaan kar di ,bahut behatrin rachanaa.badhaai aapko.

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  28. जी,पैसा भगवान हो चुका है लोगों की नज़रों में.

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  29. कुछ लीक से हटकर और समाज का दर्पण , शब्दों द्वारा अर्पण . सत्य और रोचक . आभार

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  30. सच कहा .. बदलते समय को रचना में उतार दिया आपने ..

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  31. बहुत सुंदर रचना,,,

    आदमी सिक्के को,
    सिक्के आदमी को
    खोटा बनाते हैं,
    वो एक दूसरे को
    छोटा बनाते हैं,
    आजकल सिक्के
    टकसाल में नहीं
    आदमी की हथेली
    पर ढल रहे हैं और
    बच्चे मां की गोद में
    नहीं सिक्के की परिधि
    में पल रहे हैं।

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  32. अति सुंदर रचना.मानस पटल पर प्रभाव छोड़ने वाली अभिव्यक्ति
    आनन्द विश्वास

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  33. satya hai ki hum andhon ki tareh paisae ke peechae daud rahe hain kintu sykoon to pyar mei hi hai..

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  34. बहुत दिन बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ ...
    लेकिन
    बेहतरीन भाव,
    बेहतरीन शब्द...बधाई आपको रश्मी जी...प्यार और पैसा दो विपरीत चीजें हैं...प्यार में आधा पेट भूखा भी सोना पड़े तो भी प्रसन्नता होती है..बहुत सुंदर ,,,बधाई आपकी सिस...



    सस्नेह
    गीता पंडित

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  35. ऐसे भी दिन आयेंगे - हाय
    जीना भी मुश्किल होगा
    और मरने भी ना पाएंगे - हाय !'
    भ्रम की स्थिति सदैव ,मृग तृष्णा का पर्याय बनती है ,
    बहुत सार्थक प्रसंग ,,शुक्रिया जी /

    जवाब देंहटाएं
  36. फिर ? क्यूँ बदल दी हैं तुमने परिभाषाएं
    ज़रूरी था रोटी कपड़ा और मकान
    अब नशा है
    बर्गर ,पिज्जा , रशियन ....
    और न जाने क्या !
    कपड़े ब्रैंडेड !
    घर नहीं फाइव स्टार होटल का एहसास
    लम्बी सी कार
    एक नहीं दो चार ...
    bahut sunder
    rachana

    जवाब देंहटाएं
  37. प्यार में होता है सुकून
    रोटी नमक में भी अनोखा स्वाद मिलता है...अति सुन्दर भाव...
    ऐसे भी दिन आयेंगे - हाय
    जीना भी मुश्किल होगा
    और मरने भी ना पाएंगे - हाय !'..कितनी भ्रमपूर्ण स्थिति है ..कितना परिवर्तन हो गया समाज में कितना विवश है संवेदन शील मन.....बहुत ही सशक्त प्रस्तुति....सादर !!!

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  38. प्यार या पैसा, द्वन्द सदा ही बना रहेगा।

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  39. पैसे के पीछे भागती ज़िन्दगी

    बहत खूब दीदी

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  40. क्यूँ बदल दी हैं तुमने परिभाषाएं
    ज़रूरी था रोटी कपड़ा और मकान
    अब नशा है
    बर्गर ,पिज्जा , रशियन ....
    और न जाने क्या !
    कपड़े ब्रैंडेड !
    घर नहीं फाइव स्टार होटल का एहसास
    लम्बी सी कार
    एक नहीं दो चार ...


    सच्चाई को सामने लाती पोस्ट ....आपका आभार

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  41. पर इसके विपरीत -
    प्यार में होता है सुकून
    हर ख्याल अमीरी का एहसास
    साँसों में आत्मविश्वास
    रोटी नमक में भी अनोखा स्वाद मिलता है
    जब कोई प्यार से खिलाता है
    एक स्पर्श - गहरी नींद
    खिलखिलाती भोर होती है

    सच है प्यार से बढ़कर कुछ भी नहीं......बहुत सुन्दर रचना..... बेहतरीन प्रस्तुति

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  42. पैसे की अहमियत से इनकार नहीं है...पर पैसा ही सब कुछ सरकार नहीं है...पैसे का मज़ा दिखाने में है...इसीलिए ब्रांडेड का चलन बढ़ गया है...

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  43. बहुत बढ़िया लिखा है, जीवन-मूल्य बदल गया है अब...

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दौड़ जारी है...

 कोई रेस तो है सामने !!! किसके साथ ? क्यों ? कब तक ? - पता नहीं ! पर सरपट दौड़ की तेज़, तीखी आवाज़ से बहुत घबराहट होती है ! प्रश्न डराता है,...