मन के, दिमाग के हर किवाड़
खुलते और बन्द होते रहते हैं
फिर जाकर आकार लेते हैं कुछ भाव
जो अनवरत किसी टूटे हिस्से से
टपकते रहते हैं .....
जी में आता है
लगा दूँ एक कटोरा
फिर लगता है -
कितने कटोरे बदलूंगी
यह तो समाधान नहीं ...
नीचे रख दूँ एक मोटा कपड़ा
फिर ख्याल आता है -
गीले होकर भारी हो जायेंगे
और फिर निचोड़ते निचोड़ते
मैं ही हलकान होती रहूंगी ....
किवाड़ भी कैसे बन्द करूँ -
सांकल नहीं
.......... तब उदाहरणों को करीने से रखती हूँ
उनसे देर तक आँखें मिलाती हूँ
धीरे धीरे बन्द होते खुलते किवाड़
स्थिर हो जाते हैं
छन छन कर टपकती भावनाएं
जम जाती हैं
अगले दिन के इंतज़ार में
चिड़िया घोंसले से झांकती है
- उड़ना तो होगा ही .........
wow...superb...भावों पर कोई कण्ट्रोल नहीं होता.
जवाब देंहटाएंखूबसूरत कविता... हौसला बढाती हुई
जवाब देंहटाएंवाह - उड़ना तो होगा ही - और बूंदे भी गिरती ही रहेंगी अनवरत ...
जवाब देंहटाएंधीरे धीरे बन्द होते खुलते किवाड़
जवाब देंहटाएंस्थिर हो जाते हैं
छन छन कर टपकती भावनाएं
जम जाती हैं
भावनाएं ....और आपके शब्द नि:शब्द कर जाते हैं ... ।
चिड़िया घोंसले से झांकती है
जवाब देंहटाएंउड़ना तो होगा ही..
..इन दो पंक्तियों ने कविता को बेहद खूबसूरत बना दिया है।...वाह!
फिर जाकर आकार लेते हैं कुछ भाव
जवाब देंहटाएंजो अनवरत किसी टूटे हिस्से से
टपकते रहते हैं .....
भावों का टपकना बदस्तूर जारी रहना चाहिए ...
अच्छी लगी कविता।
जवाब देंहटाएंअगले दिन के इंतज़ार में
जवाब देंहटाएंचिड़िया घोंसले से झांकती है
- उड़ना तो होगा ही .........
vry motivational :)
अगले दिन के इंतज़ार में
जवाब देंहटाएंचिड़िया घोंसले से झांकती है
- उड़ना तो होगा ही .........
bahut sunder bhav ...
Kamal likha hai,vaah to kahna hi hoga
जवाब देंहटाएंभावो की उडान अनवरत चलती रहनी चाहिये…………सुन्दर भावाव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंकल शनिवार (०९-०७-११)को आपकी किसी पोस्ट की चर्चा होगी नयी-पुराणी हलचल पर |कृपया आयें और अपने शुभ विचार दें ..!!
जवाब देंहटाएंआपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (09.07.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at
जवाब देंहटाएंचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
perna deti hausla badati rachna... very very nice...
जवाब देंहटाएंHaaa ... उड़ना तो होगा ही .........Ilu..!
जवाब देंहटाएंअगले दिन के इंतज़ार में
जवाब देंहटाएंचिड़िया घोंसले से झांकती है
- उड़ना तो होगा ही .........
bahut saarthak rachna, badhai.
धीरे धीरे बन्द होते खुलते किवाड़
जवाब देंहटाएंस्थिर हो जाते हैं
छन छन कर टपकती भावनाएं
जम जाती हैं
अगले दिन के इंतज़ार में
चिड़िया घोंसले से झांकती है
- उड़ना तो होगा ही .....
..yahi to jeewan kee nirantarta hai..
bahut badiya bhavabhivykti..
shabd nahi hain kahne ko...bahut khoob...mausi ji...
जवाब देंहटाएंबेहद खुबसूरत रचना.
जवाब देंहटाएंछन छन कर टपकती भावनाएं
जवाब देंहटाएंजम जाती हैं ..
कितनी बार ऐसा होता है ...बहुत सुन्दर.
sach hai udna to hoga hi...barish to tham bhi jayegi lekin bhavnayen kahan thamne wali....bahut sundar
जवाब देंहटाएंविचार की चिडि़या।
जवाब देंहटाएंbahut sundar rashmi ji...udna to hoga hi theek vaise jaise insan ko jina to hoga hi chahe kuchh bhi ho jina to hoga hi
जवाब देंहटाएंप्रेरणादायक,
जवाब देंहटाएंआभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
छन छन कर टपकती भावनाएं
जवाब देंहटाएंजम जाती हैं
अगले दिन के इंतज़ार में
उड़ना तो होगा ही .........
bahut hi sundar rachna..
अति सुंदर ..
जवाब देंहटाएंभावों का कटोरा और उनका चिड़िया सा उड़कर कविता बन जान ...
जवाब देंहटाएंसब कमाल !
दी ,यही तो वास्तविक भावनायें हैं .....सादर !
जवाब देंहटाएंएक प्रभावशाली रचना,जो मन और मस्तिष्क पर प्रभाव छोडती है.साधुवाद.
जवाब देंहटाएंआनन्द विश्वास
बिना उड़े मंजिल कहाँ मिलती है दीदी उड़ना तो होगा ही :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना |
नयी उड़ाने, नयी सुबह से।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर, क्या कहने
जवाब देंहटाएंचिड़िया घोंसले से झांकती है
उड़ना तो होगा ह
चिड़िया घोंसले से झांकती है
जवाब देंहटाएंउड़ना तो होगा ही
खुबसूरत भाव
एक छोटा सा शब्द जो मरा जाता है आपकी रचना पर - खूबसूरत !
जवाब देंहटाएंउड़ना तो होगा ही ...
जवाब देंहटाएंकोमल भावों की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
ह्रदय की रचना ....ह्रदय तक पहुँचती है...
छन छन कर टपकती भावनाएं
जवाब देंहटाएंजम जाती हैं
अगले दिन के इंतज़ार में
चिड़िया घोंसले से झांकती है
- उड़ना तो होगा ही .........ekdam sahi hai.....udna hi hoga.....
उड़ना तो होगा ही ..बहुत ही गहरी अभिव्यक्ति... सुन्दर
जवाब देंहटाएंमन के, दिमाग के हर किवाड़
जवाब देंहटाएंखुलते और बन्द होते रहते हैं
फिर जाकर आकार लेते हैं कुछ भाव
जो अनवरत किसी टूटे हिस्से से
टपकते रहते हैं .....
अत्यंत प्रभावी पंक्तियाँ!
हमज़बान की नयी पोस्ट http://hamzabaan.blogspot.com/2011/07/blog-post_09.html में आदमखोर सामंत! की कथा ज़रूर पढ़ें
उड़ना तो होगा ही .........
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा है आपने उड़ना होगा एक नयी उमंग के साथ......... प्रभावशाली रचना.........
सच है ... भाव पर कोई कंट्रोल नहीं होता ... लाजवाब रचना ...
जवाब देंहटाएंमन के, दिमाग के हर किवाड़
जवाब देंहटाएंखुलते और बन्द होते रहते हैं
फिर जाकर आकार लेते हैं कुछ भाव
जो अनवरत किसी टूटे हिस्से से
टपकते रहते हैं .....
...सुन्दर भावपूर्ण रचना |
- उड़ना तो होगा ही .........
जवाब देंहटाएंबेहद संवेदन शील ..इस एक वाक्य में मानो सारी स्रष्टि ही समां गई हैं ....
उड़ना तो होगा ही....
जवाब देंहटाएंअद्भुत....
सादर....
उड़ना ही नियति है ...इस जीवन की .... आपके विचार हर बार पढ़ कर बहुत अच्छा लगता है
जवाब देंहटाएंआभार