20 जुलाई, 2011

क्या सच में ?



प्यार -
एक नशा ...
नशा आँखों का
प्यार की एक झलक का
एक मुस्कान , एक छुवन
एक शब्द , एक इशारे का ..
.
नशा - इंतज़ार का
रुक जाती है -घड़ी की सूई
सौ प्रतिशत रुक जाती है
धड्कनें अजीब सी धड़कती हैं
आँखों की पुतलियाँ चकरी बन जाती हैं
सड़कों पर कुछ नज़र नहीं आता
सिवा उस नशीले इंतज़ार के ....

नशा- उसके होने का
घड़ी की सुइयों की रफ़्तार
बेहिसाब .....
तेज धड्कनें , डगमगाते कदम
कभी हँसी
कभी नमी .... अजीब हालात होते हैं !
.........
फिर सड़क पर भीड़ ही भीड़
दिमाग में सन्नाटा
और अनुभवों की हिदायतें
नशा कोई भी हो - बुरा है
क्या सच में ?

49 टिप्‍पणियां:

  1. प्रभावशाली कविता... सबसे गंभीर होता है प्रेम का नशा...

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  2. हाँ शायद ..नशा कोई भी हो तकलीफ ही देता है :):)

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  3. Sahi kaha hai Rashmi ji nasha koi bhi ho bura hi hai.chaahe nasha intjaar ka ho kasht hi deta hai.achchi rachna.badhaai.

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  4. payar.... pyar rahe to accha hai...
    agar nasha ban jata hai....to sab khatam....aabhar

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  5. नशा कोई भी हो - बुरा है
    क्या सच में ?
    बिल्‍कुल सच .... हर नशा एक छटपटाहट सी दे जाता है ...नशा कितना भी बुरा होता हो ...लेकिन लिखा तो आपने लाजवाब है ...बेहतरीन ।

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  6. किसी भी व्यक्ति या वस्तु से लगाव का अतिरेक नशा ही है। और नशा कभी भी सदपरिणामी नहीं होता।

    सच में।

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  7. is नशे से बच पाना मुश्किल है ...सटीक सुंदर रचना ...

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  8. और अनुभवों की हिदायतें
    नशा कोई भी हो - बुरा है.
    जी हाँ अनुभवों की हिदायतें तो यही कहती हैं...नशा कोई भी हो - बुरा है...
    बहुत ही अच्छे भाव और एक लाजवाब रचना...

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  9. नशा कोई भी हो...बुरा तब तक नहीं जब तक सीमा में हो.....कहा भी गया है 'अति' भली नहीं लेकिन प्रेम का नशा गहरा न हो तो बात ही नहीं बनती...:)

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  10. Nashe Mein Kaun Nahin Hai Mujhe Bataao Zara ... :-)

    asha karti hoon ki apki tabiyat theek hai. Anwar bhai ke blog se pata chala ki aap hospital mein theen. saadar!

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  11. नशा कोई भी हो बुरा है
    क्या सच में ?
    अगर नशा है भी तो, प्यारा है !
    बहुत सुंदर रचना ....

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  12. सही कहा .. नशा तो नशा है .. भला लगे भी तो बुरा है ... बहुत सुन्दर कविता

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  13. नशा ..सच ही इंसान को मजबूर कर देता है ... सटीक अभिव्यक्ति

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  14. नशा आख़िर नशा है असर होगा ही चाहे वह प्यार का ही क्यूँ न हो हाँ तासीर ज़ुदा हो सकती है...सुन्दर रचना

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  15. समस्या तब आती है जब ये नशा उतरता है!! बहुत सुंदर रचना !

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  16. सच इंसान को मजबूर करता है रचना के बिम्ब बहुत रोचक है शब्द संयोजन बहुत कमाल का खुबसूरत रचना

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  17. नशा हमेशा ही बुरा होता है...पर सभी बुरे नही होते है... या यूँ कहे हम इससे बच नही पाते है... जिस तरह से प्यार के नशे को आपने इतनी खूबसूरती आपने वयक्त किया है... वो नशा भी बहुत अच्छा हैं....

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  18. hanji nasha koi bhi ho bura hota hai. kyuki nasha tabhi hota jab kisi cheez ka prayog adhikta me ho...aur ati to har cheez ki buri hoti hai. to agar aapko bhi koi nasha ho raha hai to jaldi hi savdhaan ho jaiye aur is se chhutkara paiye....varnaaaaaaa...........:):):)

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  19. नशा कोई भी हो बुरा होता है... सचमुच...
    लेकिन दी आपकी कलम से अभिव्यक्त होने के बाद यह नशा बड़ा अच्छा बन पडा है...
    सादर...

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  20. कुछ अलग सा खुमार तारी हो गया ये रचना पढ़कर
    बहुत अच्छा लिखा है.

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  21. सही कहा .. नशा तो नशा है .कुछ अच्छे कुछ बूरे.. सुन्दर अभिव्यक्ति....

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  22. hmmm... shayad isme bhi koi TnC lagi ho... par aapki ye rachna padhkar lag raha hai ki mai bhi us intzaar ke pal ka intzaar karu, par ye intzaar na jane kab khatm hoga...

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  23. behtareen panktiyon se saji ek prabhavshaali rachna. asha hai aap purntaya swasth hongi

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  24. behtareen panktiyon se saji ek prabhavshaali rachna. asha hai aap purntaya swasth hongi

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  25. सुंदर कविता की सुंदर प्रस्तुति,
    सादर,
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  26. ये माना मेरी जान मोहब्बत सज़ा है मज़ा इसमें इतना मगर किसलिए है ............यह नशा ...इसकी खुमारी कभी नहीं उतरती ...नशा है ...मदहोशी है...यह प्यार ...पर बड़ा मीठा सा..प्यारा सा ...एक बार चढ जाए तो सर चढ के बोलता है...किसी की नहीं सुनता ...
    प्यार का नशा बड़ा प्यारा है ...उसे और प्यारा आपकी कविता ने बना दिया है

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  27. किसी के नशे का प्रभाव शारीरिक से अधिक मानसिक होता है।

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  28. रश्मि जी आज तो आप जैसे इस कविता के माध्‍यम से 30 साल पहले कहीं ले गईं लगती हैं। बहुत सुंदर अभिव्‍यक्ति है यह।
    *
    कम से कम प्‍यार का नशा तो बुरा नहीं होता है।

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  29. अति की भली की छांव है अति की भली न धुप

    नशा किसी चीज़ का अच नहीं होता फिर चाहे वो कोई इंसान ही क्यूँ न हो

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  30. केवल एक नशा बुरा नहीं होता परमात्मा के प्रेम का यानि भक्ति का...

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  31. प्यार -
    एक नशा ...
    नशा आँखों का
    प्यार की एक झलक का
    एक मुस्कान , एक छुवन
    एक शब्द , एक इशारे का


    बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति....

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  32. Jab tak nasha hai tab tak hai maja,
    mohabat ka nasha hai sabse khatarnak nasha. jisne bhi kiya ye nasa wo muskil me phasa...
    Jai hind hai bharat

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  33. बहुत बढि़या। इस कविता को पढ़कर एक शेर याद आ रहा है शायद गालिब का है या मीर का, ''यारों मुझे मुआफ करो मैं नशे में हूँ।''

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  34. Nasha man.. Nasha tan... Jab nasha prem ka ho... Waah ! Bahut sundar rachna... Badhai...

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  35. फिर सड़क पर भीड़ ही भीड़
    दिमाग में सन्नाटा
    और अनुभवों की हिदायतें
    नशा कोई भी हो - बुरा है
    क्या सच में ?
    sach to hai ,sundar bahut hi .

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  36. फिर सड़क पर भीड़ ही भीड़
    दिमाग में सन्नाटा
    और अनुभवों की हिदायतें
    नशा कोई भी हो - बुरा है
    क्या सच में ?
    ..bilkul sach baat! par achha kaam karne ka nasha utna ghatak nahi...
    bahut badiya chintanprad rachna prastuti ke liye aabhar!

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  37. प्यार -
    एक नशा ...
    नशा आँखों का
    प्यार की एक झलक का
    एक मुस्कान , एक छुवन
    एक शब्द , एक इशारे का ..

    Bahut khoob...

    Pat antim line se ek dam se sach samne rakh diya...!

    sach hi ye nasha bhi.....!!!!!!

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  38. आपकी किसी रचना की हलचल है ,शनिवार (२३-०७-११)को नयी-पुरानी हलचल पर ...!!कृपया आयें और अपने सुझावों से हमें अनुग्रहित करें ...!!

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  39. वाह! प्रेम का नशा हो या कोई और नशा बुरा तो होता ही है…………मगर रचना खूब लिखी है।

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  40. सटीक लिखा है . नशा ..बहुत बढि़या।

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  41. नशा - इंतज़ार का
    रुक जाती है -घड़ी की सूई
    सौ प्रतिशत रुक जाती है
    धड्कनें अजीब सी धड़कती हैं
    आँखों की पुतलियाँ चकरी बन जाती हैं
    सड़कों पर कुछ नज़र नहीं आता
    सिवा उस नशीले इंतज़ार के ....

    बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..नशा सच में नशा होता है चाहे प्रेम का या और किसी का..मुश्किल होता है प्रेम के नशे से मुक्ति पाना..

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  42. खूबसूरत अहसासों को पिरोती हुई एक सुंदर रचना. आभार.
    सादर
    डोरोथी.

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  43. फिर सड़क पर भीड़ ही भीड़
    दिमाग में सन्नाटा
    और अनुभवों की हिदायतें
    नशा कोई भी हो - बुरा है
    क्या सच में ?

    शायद हाँ!! शायद प्रेम भी नशा का रूप इख्तियार कर ले तो बुरा हो सकता है.
    बेहद खूबसूरत कविता संदर भावों से ओत प्रोत

    आभार
    फणि राज

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  44. koi bhi nasha bura nahi hota..vo jab tak humpe havi raheta hai hum tab tak hi apni khud ki jindgi khud jite hai..bindass, befikar... pyar ka nasha ho chahe intjar ka chahe ...

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  45. pata nahi..... nasha to bas paani ke jaisa hai shayad jis aakriti me dhaal lo... bure wali aakriti me to buri ya nahi to achche wali aakriti me to achchi lagne lagti hai shaayd.....

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  46. नशा चाहे प्यार का हीं हो बुरा तो है, अंततः पीड़ा हीं मिलती है...

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 कोई रेस तो है सामने !!! किसके साथ ? क्यों ? कब तक ? - पता नहीं ! पर सरपट दौड़ की तेज़, तीखी आवाज़ से बहुत घबराहट होती है ! प्रश्न डराता है,...