जब ज़िन्दगी फूलों से गुजरकर
तूफानों के मध्य चीखती है
फिर अचानक खामोश हो
अपने रास्ते बनाने लगती है
होकर भी
कहीं गुम सी जाती है
पर क्रम निभाती रहती है
तो -
- ऐब्नौर्मल दिखती है या नहीं
ये तो नहीं पता
पर कही जाती है !!!
कहनेवाले वही होते हैं
जो चीख को अनसुना कर चैन से सोते हैं ...
......
कभी इन सोनेवालों से कोई जाने
' नींद कैसे आ जाती है ?'
इतना खाली है दिल दिमाग
कि कोई असर नहीं होता
या ज़िन्दगी को ऐब्नौर्मल बनाने का
यह अचूक नुस्खा है !!!
बहुत सही कहा आपने...
जवाब देंहटाएंइतना खाली है दिल दिमाग
कि कोई असर नहीं होता
या ज़िन्दगी को ऐब्नौर्मल बनाने का
यह अचूक नुस्खा है !!!
कभी इन सोनेवालों से कोई जाने
जवाब देंहटाएं' नींद कैसे आ जाती है ?'
इतना खाली है दिल दिमाग
कि कोई असर नहीं होता
या ज़िन्दगी को ऐब्नौर्मल बनाने का
यह अचूक नुस्खा है !!!
......बहुत ज्वलंत प्रश्न है ....विचारणीय है ....और अन्तत :यही साबित होता है ...." ज़िन्दगी को ऐब्नौर्मल बनाने का
यह अचूक नुस्खा है !!!" और कुछ नही ..../ खाली दिमाग शैतान का घर ....और खाली दिल ....बहशत का दर ..../एक रचना कुछ इसी तरह के वाकया पर लिखी थी बहुत साल पहले ...../आज उसका प्रतिरूप यहाँ मिला ...../आज के वक्त की बड़ी समस्या जो सामने आ रही है .....वजह भाव शून्यता ..../या फिर भावुकता की इन्तहा ...दोनों ही खतरा हैं .....
- ऐब्नौर्मल दिखती है या नहीं
जवाब देंहटाएंये तो नहीं पता
पर कही जाती है !!!
कहनेवाले वही होते हैं
जो चीख को अनसुना कर चैन से सोते हैं ...
बिल्कुल सही कहा है आपने ...
या ज़िन्दगी को ऐब्नौर्मल बनाने का
जवाब देंहटाएंयह अचूक नुस्खा है !!!
कभी कभी जब आँख खुल जाती है तब लगता है इस तरह जागना अब्नोर्मल होना है और मुंह ढक कर सोना ही नोर्मल होना लगता है ...सच !!!
jab had se gujar jaatee hai
जवाब देंहटाएंto sthitee yahee hotee hai
ओ मेरी संवेदना!
जवाब देंहटाएंतू मौन क्यों है?
आज तू अल्पना बन कर
चहुँ ओर बिखर जा.
रंगोली बन कर फ़ैल जा.
कल्पना बन कर संवर जा.
- ऐब्नौर्मल दिखती है या नहीं
जवाब देंहटाएंये तो नहीं पता
पर कही जाती है !!!
कहनेवाले वही होते हैं
जो चीख को अनसुना कर चैन से सोते हैं .
WAH SACH HI LIKHA HAI APNE .....BILKUL LAJABAB PRASTUTI ...BADHAI KE SATH HI SATH MERE NAYE POST PR AMANTRAN SWEEKAREN APKE LIYE KUCHH KHAS HAI .
एक अनुत्तरित सवाल !
जवाब देंहटाएंVastavikta se parichay karati kavita
जवाब देंहटाएंअनुपम भाव संयोजन के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंसमाज का यह व्यवहार ज़िन्दगी को ऐब्नौर्मल बनाने का अचूक नुस्खा है
जवाब देंहटाएंयह कविता बेबाकी तथा साफगोई का बयान है।
जवाब देंहटाएंजब ज़िन्दगी फूलों से गुजरकर
जवाब देंहटाएंतूफानों के मध्य चीखती है
फिर अचानक खामोश हो
अपने रास्ते बनाने लगती है
सुंदर रचना.....
- ऐब्नौर्मल दिखती है या नहीं
जवाब देंहटाएंये तो नहीं पता
पर कही जाती है !!!
कहनेवाले वही होते हैं
जो चीख को अनसुना कर चैन से सोते हैं ...
क्या कहूँ...एसे लोगों से पार पाना मुश्किल होता है...
ऐब्नौर्मल दिखती है या नहीं
जवाब देंहटाएंये तो नहीं पता
पर कही जाती है !!!
कहनेवाले वही होते हैं
जो चीख को अनसुना कर चैन से सोते हैं .बिलकुल सच कहा आपने..... इससे हम लोग हर रोज़ रूबरू होते है...... जानते है पर मानते नही है.....
खाली दिमाग वालों को ही नींद आ सकती है यूँ....
जवाब देंहटाएंमन में इतना भर लेते हैं कि सुख चैन निकल जाता है।
जवाब देंहटाएंपर कही जाती है !!!
जवाब देंहटाएंकहनेवाले वही होते हैं
जो चीख को अनसुना कर चैन से सोते हैं ...
शायद यही सच है संवेदनहीन ह्रदयों का ।
वाह.....रश्मी जी बहुत ही बेबाकी से लिखी अच्छी अभिव्यक्ति,सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंMY NEW POST ...सम्बोधन...
hmm बात तो सही है.
जवाब देंहटाएंगहरे भाव।
जवाब देंहटाएंसटीक रचना।
यह चिंता तो जायज़ है... गंभीर विचार करने की आवश्यकता है.
जवाब देंहटाएंइतना खाली है दिल दिमाग
जवाब देंहटाएंकि कोई असर नहीं होता
Bahut khoob!!!
कभी कभी इतना थक जाता है मन...
जवाब देंहटाएंऔर नींद आ जाती है...
सादर..
बहुत सुंदर पंक्तियाँ तो है ही साफगोई तो जैसे सोने पर सुहागा..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भाव पूर्ण सार्थक रचना,
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने कुछ न सुन पाने के लिए दिल-दिमाग को खाली या कहूँ कि रिक्त करना पड़ता है ....... सादर !
जवाब देंहटाएंकभी इन सोनेवालों से कोई जाने
जवाब देंहटाएं' नींद कैसे आ जाती है ?'
शायद अब्नार्मल बनाने वाले ही सो पाते हैं
- ऐब्नौर्मल दिखती है या नहीं
जवाब देंहटाएंये तो नहीं पता
पर कही जाती है !!!
कहनेवाले वही होते हैं
जो चीख को अनसुना कर चैन से सोते हैं ...
वाह! बहुत अच्छी रचना दी...
सादर.
बेहद संवेदनशील और यथार्थ बयान करती पंक्तियाँ है बधाई
जवाब देंहटाएंऐब्नौर्मल दिखती है या नहीं
जवाब देंहटाएंये तो नहीं पता
पर कही जाती है !!!
सुन्दर सटीक बात!
सादर
कभी इन सोनेवालों से कोई जाने
जवाब देंहटाएं' नींद कैसे आ जाती है ?'
इतना खाली है दिल दिमाग
कि कोई असर नहीं होता
या ज़िन्दगी को ऐब्नौर्मल बनाने का
यह अचूक नुस्खा है !!!
.....बहुत गहन प्रश्न....बहुत उत्कृष्ट रचना..
दूसरों की चीख को अनसुना कर सो जाना एक नोर्मल तरीका है...दूसरों के दर्द को साझा करना एब्नोर्मल...एक विचारक ने अपनी जिंदगी के अंत में कहा...मै अगला जीवन भरे पेट और खाली दिमाग के साथ जीना चाहूँगा...कम से कम चैन से सो तो सकेगा...बेचारा...
जवाब देंहटाएंइतना खाली है दिल दिमाग
जवाब देंहटाएंकि कोई असर नहीं होता
या ज़िन्दगी को ऐब्नौर्मल बनाने का
यह अचूक नुस्खा है !!!...बहुत सही कहा..रश्मि जी आप ने.शायद यही सच है ..सुन्दर अभिव्यक्ति
शिव रात्रि पर हार्दिक बधाई..
कहनेवाले वही होते हैं
जवाब देंहटाएंजो चीख को अनसुना कर चैन से सोते हैं ...
सटीक ...स्पष्ट अभिव्यक्ति ...!!
कहनेवाले वही होते हैं
जवाब देंहटाएंजो चीख को अनसुना कर चैन से सोते हैं .
हाँ यह तो सच है
गंभीर चिंतन....आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बड़ा हाजमा चाहिए इस चीख को पचाने के लिए ...
जवाब देंहटाएंकभी इन सोनेवालों से कोई जाने
जवाब देंहटाएं' नींद कैसे आ जाती है ?'
इतना खाली है दिल दिमाग
कि कोई असर नहीं होता
या ज़िन्दगी को ऐब्नौर्मल बनाने का
यह अचूक नुस्खा है !!!
शत प्रतिशत सही कहा आपने दीदी !