हार किसे कहते हैं ?
गिरने को ? -
परीक्षा में कम अंक आने को ? -
शेयर गिर जाने को ?
अधकचरे प्रेम की बाजी हारने को ?
.....
आँधी में थरथराते दिए की लौ को
हम हथेलियों की ओट देते हैं
फिर हम उन हथेलियों को क्यूँ नगण्य करते जाते हैं
जो बड़े से बड़े तूफ़ान में हमें ओट देते हैं
जिस हार से हम थरथराने लगते हैं
उसे मामूली बनाने में वे कोई कसर नहीं रखते
.... पर हम !
हार को गले से लगाए रखते हैं
उस जीत को नज़रअंदाज कर देते हैं
जो नगण्य कर दिए जाने पर भी
खिड़की दरवाज़े खोलते रहते हैं
ताकि हमारा दम न घुटे ...
....
ज़िन्दगी की असली जीत इसी में है
अन्यथा
हार है कि तुम अम्बानी नहीं
हार है कि तुम्हारे पास बंगला गाड़ी नहीं
हार है कि तुम रातों रात स्टार नहीं
...........
जीतना चाहते हो तो उन सजदों को देखो
जो तुम्हारे लिए दुआएं माँग रहे हैं
जानो कि हार , उथलपुथल तो हर दिन है
पर इन सब पर
दुआओं में उठे हुए हाथों का पलड़ा भारी है
बहुत भारी .... !!!
सच है दी....
जवाब देंहटाएंभौतिक सुविधाओं से युक्त होना ही जीत नहीं..
मन की प्रसन्नता ही सब से बड़ी विजय है...
सादर..
बहुत सुन्दर लिखा है आपने ..
जवाब देंहटाएंमन के हारे हार है ... मन के जीते जीत....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ... हमारे पास जब तक ताकत है हमारे पास अपनों की दुवा है... हम पुनः जीत अर्जित कर सकते है...जीत के मायने भी बदलना जीत है ... और आपकी कविता बहुत सुन्दर सन्देश देती है.. सादर
वाकई..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिखा है आपने |
जवाब देंहटाएंपर इन सब पर
जवाब देंहटाएंदुआओं में उठे हुए हाथों का पलड़ा भारी है
बहुत भारी .... !!!
सुंदर भाव ...
हार है कि तुम अम्बानी नहीं
जवाब देंहटाएंहार है कि तुम्हारे पास बंगला गाड़ी नहीं
हार है कि तुम रातों रात स्टार नहीं
...........
जीतना चाहते हो तो उन सजदों को देखो
जो तुम्हारे लिए दुआएं माँग रहे हैं
Bahut sundar !
्दुआओं का पलडा तो हमेशा ही भारी रहेगा।
जवाब देंहटाएंसच कहा आपने, हम लोग हार को अधिक समय तक चिपकाये घूमते रहते हैं..
जवाब देंहटाएंजीतना चाहते हो तो उन सजदों को देखो
जवाब देंहटाएंजो तुम्हारे लिए दुआएं माँग रहे हैं
जानो कि हार , उथलपुथल तो हर दिन है
पर इन सब पर
दुआओं में उठे हुए हाथों का पलड़ा भारी है
बहुत भारी .... !!!
काफी अर्थपूर्ण रचना है.....
जीतना चाहते हो तो उन सजदों को देखो
जवाब देंहटाएंजो तुम्हारे लिए दुआएं माँग रहे हैं
जानो कि हार , उथलपुथल तो हर दिन है
पर इन सब पर
दुआओं में उठे हुए हाथों का पलड़ा भारी है
बहुत भारी .... !!!
एक माँ का सफल सलाह या आदेश..... जो माने हम.... !!
दुआओं का असर से भगवान को भी झुकते ,अपना निर्णय बदलते देखी हूँ.... !!
पर इन सब पर
जवाब देंहटाएंदुआओं में उठे हुए हाथों का पलड़ा भारी है
बहुत भारी .... !!!
सही बिलकुल सही, इससे बढ़कर कुछ भी नहीं...
गहरे भाव... सादर
उथलपुथल तो हर दिन है
जवाब देंहटाएंपर इन सब पर
दुआओं में उठे हुए हाथों का पलड़ा भारी है
बहुत भारी .... !!!
सचमुच....
सार्थक रचना दी...
सादर.
क्या बात है ..सकारात्मक सुन्दर विचार.
जवाब देंहटाएंजीतना चाहते हो तो उन सजदों को देखो
जवाब देंहटाएंजो तुम्हारे लिए दुआएं माँग रहे हैं
जानो कि हार , उथलपुथल तो हर दिन है
पर इन सब पर
दुआओं में उठे हुए हाथों का पलड़ा भारी है
बहुत भारी .... !!! सच में बिलकुल सही कहा जहाँ हम जरा सी बात पर खुद को हरा हुआ मान लेते है.. और भूल जाते उन दुआओं को दिन रात हमारे लिए ही की जाती है..... सच में अभिवयक्ति एक सीख हम सभी के लिए.....
बहुत बहुत सुन्दर रश्मि जी - बहुत ही सच ....
जवाब देंहटाएंरश्मि जी आपकी रचना पढ़ के मन अभिभूत हो गया धनात्मक उर्जा से भरपूर रचना
जवाब देंहटाएंएक बात और में आपके द्वारा संपादित काव्य संग्रह से जुडना चाहती हूँ कृपया मार्ग दर्शन करें
रश्मि प्रभाजी बहुत सुन्दर रचना सकारात्मक दृष्टि कौन लिए .
जवाब देंहटाएंजानो कि हार , उथलपुथल तो हर दिन है
जवाब देंहटाएंपर इन सब पर
दुआओं में उठे हुए हाथों का पलड़ा भारी है
बहुत भारी .... !!!
...बिलकुल सच...बहुत सारगर्भित रचना..आभार
दीदी! इस कविता पर खड़े होकर तालियाँ बजा रहा हूँ मैं!! इस बार कोई प्रतिक्रया नहीं!!
जवाब देंहटाएंदुआओं में उठे हुए हाथों का पलड़ा भारी है
जवाब देंहटाएंबहुत भारी .
एकदम सही बात....
हार से हारकर बैठ जाना सही नहीं...घने अँधेरे में रोशनी की एक किरण ही काफी है...एक दुआ की तरह|
जवाब देंहटाएंदुआओं में उठे हुए हाथों का पलड़ा भारी है
जवाब देंहटाएंबहुत भारी ....
!!!बहुत बढ़िया सराहनीय प्रस्तुति,सुंदर रचना और पुस्तक विमोचन लिए बधाई .
NEW POST काव्यान्जलि ...: चिंगारी...
बहुत सुन्दर सारगर्भित रचना,
जवाब देंहटाएंजीतना चाहते हो तो उन सजदों को देखो
जवाब देंहटाएंजो तुम्हारे लिए दुआएं माँग रहे हैं...
दुआओं में उठे हुए हाथों का पलड़ा भारी है
बहुत भारी .... !!!
बहुत ही प्रेरणादायी रचना...
bahut pasannd aayee......
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर की गई है। चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......
जवाब देंहटाएंजो नगण्य कर दिए जाने पर भी
जवाब देंहटाएंखिड़की दरवाज़े खोलते रहते हैं
ताकि हमारा दम न घुटे ...
बहुत ही गहन, प्रेरणा देती रचना!
सादर
जो नगण्य कर दिए जाने पर भी
जवाब देंहटाएंखिड़की दरवाज़े खोलते रहते हैं
दुआओं में उठे हुए हाथों का पलड़ा भारी है
बहुत भारी .... !!!
सच है आशावादियों के लिये सुख के रस्ते खुले ही रहते हैं
उपलब्धियों के मायने इतने बढे हुए क्यूँ हैं ...? गहरी बात कहती है आपकी रचना
जवाब देंहटाएंकितना सच सच....बाह जी!!
जवाब देंहटाएंजिसके लिए इतनी दुआएं , सजदे हैं ...हार उसके लिए नहीं है !
जवाब देंहटाएंदुआएं सब पर भारी है!
... पर हम !
जवाब देंहटाएंहार को गले से लगाए रखते हैं
उस जीत को नज़रअंदाज कर देते हैं
जो नगण्य कर दिए जाने पर भी
खिड़की दरवाज़े खोलते रहते हैं
ताकि हमारा दम न घुटे ...
सच है, हमें उन अवसरों को समझना चाहिए जो जिंदगी की राह में लार्खादते हुए दिख जाते हैं. विजय जो प्रेम के स्वरुप में लोगों से मिलती है वही असली विजयश्री है.
बहुत सुन्दर एवं शिक्षा प्रदान करने वाली रचना
आभार
फणि राज
बहुत भारी पर रहा है सोच पर .. असर भी भारी है..बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबेहद सार्थक व सटीक लेखन... आभार ।
जवाब देंहटाएंदुआओं में उठे हुए हाथों का पलड़ा भारी है
जवाब देंहटाएंबहुत भारी .... !!!
yhi jeet hai .....
दुआओं में उठे हाथ ..बंगले -गाडी से ज्यादा भारी होते हैं....निःसंदेह .
जवाब देंहटाएंहमारे हाथ ही तो हमारे औज़ार हैं, जिन्हें हम अपने अपने तरीके से इस्तेमाल करते हैं...यह गौण कैसे हो सकते हैं....इनमें तो इश्वर का वास है !....प्रेरणादायक रचना !
जवाब देंहटाएंbahut sundar ......
जवाब देंहटाएंदुआओं में उठे हुए हाथों का पलड़ा भारी है
जवाब देंहटाएंबहुत भारी .... !!!
बिल्कुल सच ... और हमेशा रहेगा ...
Jeet aur haar ke Sahi mayne jaan na jaroori hai jeevan mein ...
जवाब देंहटाएं