" कहने दो कोई कुछ फालतू कहता है तो
एक कान से सुनो दूसरे से निकाल दो " मैंने अपनी छोटी बेटी की डबडबाई आँखों को
चूमकर कहा ...
उसने जो कहा
वह सुनकर मैं ठिठक सी गई
" माँ , इतना आसान नहीं
दोनों कान के बीच एक दिमाग भी तो होता है
जो इसे कैच कर लेता है ..."
छोटी होकर वह बड़ी बात सीखा गई
" सच तो ये है "
एक कान से दूसरे कान से निकालने की बात कहना
जितना सहज है उतना सरल नहीं
अगर सरल होता तो
बौखलाने की नौबत ही नहीं आती
खुद में बड़बड़ाने के हालात नहीं होते
......
हम भी न -
कई बार यूँ हीं माहौल को कूल रखने के लिए
बात को आई गई करने के लिए
कुछ भी कह देते हैं ...
....
जो बातें हर्ट करती हैं
वे आई गई नहीं हो पातीं
न एक कान से दूसरे कान तक जाती हैं
वो जो बीच में एक दिमाग है
और एक ज़ुबान है
वह भी वर्क करता है
ज़बरदस्त वर्क -
सोचके देखिये
सारे नतीजे उसी के हैं ....
वो जो बीच में एक दिमाग है
जवाब देंहटाएंऔर एक ज़ुबान है
वह भी वर्क करता है
ज़बरदस्त वर्क -
अक्षरश: सही कहा है आपने इस अभिव्यक्ति में ...आभार
सही कहा आपने ! ये मुहावरा ही गलत बनाया गया है ! कायदे से होना ये चाहिए था कि कान से सुनो और मुह से निकाल दो !
जवाब देंहटाएंउसके बाद मन भी हल्का हो जाता है !
jubaan kaa uchit istemaal bhee
जवाब देंहटाएंek bahut badaa gun hai
kai baar maun rahnaa hee shreyskar hotaa hai
बिलकुल सही कहा ,आपने.एक कान से सुन के दूसरे कान से निकाल पाना आसान नहीं...क्यूंकि दिमाग होता है...बीच में.
जवाब देंहटाएंदिमाग होता है...तभी तो दिल तक घुस जाती हैं वो बातें जो हर्ट करती हैं
बेकार बातों को 'एक कान से सुनकर ,दुसरे कान से निकाल देना ' ही उचित है ..
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.in
" माँ , इतना आसान नहीं
जवाब देंहटाएंदोनों कान के बीच एक दिमाग भी तो होता है
जो इसे कैच कर लेता है ..."
छोटी होकर वह बड़ी बात सीखा गई
" सच तो ये है "
आपने बिलकुल सही कहा,...अच्छी अभिव्यक्ति
मेरी बात ..डॉ.निधि टंडन जी ने कह दी ...!
जवाब देंहटाएंऔर वो भी बिल्कुल सच्ची ! डॉ.जो ...हैं!
आभार!
सही कहा दी...
जवाब देंहटाएंबात कान में ना पड़े तभी आराम है वरना...
दिमाग में खलल तो होकर रहेगा..
सादर.
सही कहा बेटी ने ...
जवाब देंहटाएंइतना आसान नहीं होता किसी का कुछ कहा भूल जाना ...कई बार दिल दुखाने वाले तो कुछ शब्द पूरी जिंदगी साथ चलते हैं ...ये हैं कि कुछ समय बाद हम अच्छी यादों से बुरी यादों को बदलने की कोशिश जरुर करते हैं !
एक कान से सुनों और दूसरे से निकाल दो ... बहुत मुश्किल काम है ... दिमाग वर्क करता है ... बस उसका वर्क ऐसा हो कि अनचाही बातों पर तवज्जो न दे ॥:):)
जवाब देंहटाएंयही तो मुश्किल है...
जवाब देंहटाएंदिमाग कमबख्त बीच में आ जाता है...
दिमाग में उथल पुथल मचती है, तब दिल का सहारा लिया जाता है और फिर फैसला कि बात दूसरे कान तक पहुंचानी है या नहीं..
जवाब देंहटाएंsach kaha...
जवाब देंहटाएंaapki beti ne jo tark diya, yah tark ham bhi dete hain...
very practical and true...
but, forgetting and forgiving is definitely relieving!!!
रश्मि दी!
जवाब देंहटाएंआपकी छोटी बहन मेरी भी बहन हुई.. सच कहती है वो.. बातों के चेन रिऐक्शन होते हैं.. दो कानों के बीच दिमाग ही नहीं, दिमाग की सुनने वाला दिल भी होता है.. सब समझते बूझते भी उसे चोट तो लगती ही है.. दिल को लोग भले ही पागल कहें, मेरा मानना है कि हर समझदार को दुनिया पागल कहती है..
बड़ी समझदार है हमरी छोटी बहन, समझती है कि मुश्किल ही सही, एक कान से सुनकर दूसरे से निकालना तो होगा ही!!
" माँ , इतना आसान नहीं
जवाब देंहटाएंदोनों कान के बीच एक दिमाग भी तो होता है
जो इसे कैच कर लेता है ..."
पर हकीकत यह है कि हम लोगों का स्वभाव नहीं बदल सकते.....यहाँ कुछ लोग ऐसे होते है जिन्हे दूसरों के मन को ठेस पहुंचाने में आनंद आता है, तो कुछ ऐसे भी है जो कुछ भी करने से पहले सोचते है कि कहीं हमारी किसी बात से किसी का मन दुखी न हो.....जीवन तो एक गुलाब के फूल की तरह है.....जिसमें फूल के साथ काटें भी होते है.....
वो जो बीच में एक दिमाग है
जवाब देंहटाएंऔर एक ज़ुबान है
वह भी वर्क करता है
ज़बरदस्त वर्क -
बिलकुल सही कहा है आपने... एक कान से दूसरे कान तक सीधा रास्ता नहीं है... गहन अभिव्यक्ति ...आभार
जो बातें हर्ट करती हैं
जवाब देंहटाएंवे आई गई नहीं हो पातीं
न एक कान से दूसरे कान तक जाती हैं
वो जो बीच में एक दिमाग है
और एक ज़ुबान है
वह भी वर्क करता है
ज़बरदस्त वर्क -
सोचके देखिये
सारे नतीजे उसी के हैं ....
यही तो .............
एक कान से सुनकर दूसरे से नहीं निकालेंगे तो नुकसान भी अपना ही होगा...बुद्धि तो वैसे ही तैयार बैठी है हर चीज में टांग अड़ाने को...वैसे आजकल बच्चे बहुत होशियार होते जा रहे हैं...
जवाब देंहटाएंकल 22/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है !
जवाब देंहटाएं'' तेरी गाथा तेरा नाम ''
वो जो बीच में एक दिमाग है
जवाब देंहटाएंऔर एक ज़ुबान है
वह भी वर्क करता है
ज़बरदस्त वर्क -
सोचके देखिये
सारे नतीजे उसी के हैं
्सोलह आने सत्य ………
दोनों कान के बीच एक दिमाग भी तो होता है ....
जवाब देंहटाएंकितनी ऊँची बात कह दी नन्हीं ने...
वाह! सुन्दर रचना दी...
सादर.
दीदी!
जवाब देंहटाएंकहीं दिमाग में कुछ कहाल रहा था.. इसलिए वैसा ही दिखा जैसा दिमाग में चल रहा था.. मगर मेरी बात बिटिया के लिए भी वही रहेगी!!
सच कहा है ...बहुत मुश्किल है ऐसा करना ... दिमाग नहीं छोड़ता ...
जवाब देंहटाएंbilkul sahi kaha aapne... itna asaan nhi hota..... kuch bhi bhula dena....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब । ऐसा तो हमने भी कभी नहीं सोचा ।
जवाब देंहटाएंएक कान से सुनो दूसरे से निकाल दो "ये बात सभी कहते है..ये सब उतना आसान नही है ..सही कहा..
जवाब देंहटाएंसही है ...सब कुछ भुला देना ,इतना आसान नहीं होता है .
जवाब देंहटाएंकान मुँह दिमाग और दिल का गहरा कनेक्शन है...
जवाब देंहटाएंएक गूढ़ दर्शन की सरल प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंकान तो ठीक है पर हृदय का क्या करें..
जवाब देंहटाएंवाह! नया लॉजिक। दोनों कान के बीच दिमाग और जुबान होती है जो अपना वर्क करते हैं। तभी मैं कहूं कि दिक्कत कहां है क्यों बात आई-गई नहीं होती।
जवाब देंहटाएंबस इतना ,मेरे आने में थोड़ी देर हो गई , इसलिए, मैं , अपरा ,आपसे और सबसे सहमत हूँ... !!
जवाब देंहटाएंबिटिया बड़ी बात कह गयी..सच के करीब..
जवाब देंहटाएंवो जो बीच में एक दिमाग है
जवाब देंहटाएंऔर एक ज़ुबान है
वह भी वर्क करता है
ज़बरदस्त वर्क -
shanti bhi yahi lata hai ....toofan bhi yahi.....beti ka jabab bahut achcha laga.
खूबसूरत रचना |
जवाब देंहटाएंhan didi , ham kahte to sab hai ki chhoro n is kaan se suno us kaan se nikal do ..pr hota kahan hai ...agar is kaan se sun kr us kaan se nikal gya hota ...to shyad ye baat hamlog bar-bar doharate hi nahi ..ki chhoro n is kan se suno or us kaan se nikal do ...wo bich ke dinag me baitha hota hai ..isiliye us baat ko bar bar bol kar niakale ki koshis karte hai ...!!
जवाब देंहटाएंगहन बात कही है .....किन्तु क्षमा बडन को चाहिए ....प्रभु की नज़रों में क्षमा करने वाला बड़ा और गलती करने वाला छोटा होता है दी ....जिसमे बड़प्पन होता है ...प्रभु बार बार उसका ही इम्तेहान लेते हैं ....शायद उसके बड़प्पन को और बढ़ाने के लिए ...!!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन।
जवाब देंहटाएंसादर
सही कहा।
जवाब देंहटाएंहर बात को भुलाना या टालना संभव नहीं।
कभी कभी अनजाने ही बच्चे ऐसी बातें कह जाते हैं जो हमारे सारे तर्कों को ताक पर रख देते हैं ...बहुत सुन्दरता और सादगी से कही एक बड़ी बात ....सुन्दर रचना ...बधाई !
जवाब देंहटाएंसुंदर और अनहर्टिंग कविता.
जवाब देंहटाएंसार सार को गहि रहे थोथा देय उड़ाय
जवाब देंहटाएंकठिन मगर उत्तम यही सबसे सरल उपाय.
सच है अति कटु सच की दिमाग तो केच करता है तो ..पर यही हमें सीखना होता है कि किस तरह से हम निर्विकार भाव से अपने को शांत बना कर रखें... हालाँकि बेहद कठिन है... practice makes a man perfec... मैं भी अभी सीख रही हूँ .. तो आपकी बात से पूर्णतया सहमत हूँ
जवाब देंहटाएंजो बातें हर्ट करती हैं
जवाब देंहटाएंवे आई गई नहीं हो पातीं
न एक कान से दूसरे कान तक जाती हैं
वो जो बीच में एक दिमाग है
और एक ज़ुबान है
वह भी वर्क करता है
ज़बरदस्त वर्क -
सोचके देखिये
सारे नतीजे उसी के हैं ....
....
ओह्ह्ह दीदी कमाल है मज़ा आ गया !
वो जो बीच में एक दिमाग है
जवाब देंहटाएंऔर एक ज़ुबान है
वह भी वर्क करता है
ज़बरदस्त वर्क -
sach hai....