ओ कृष्ण कृष्ण
मैं हुई गोकुळ ....
यमुना कह लो या कहो कदम्ब ,
ढूंढ लो मुझको बांसुरी में ,
खग भी हूँ मैं , लकुटिया भी
सेस गनेस महेस दिनेस हूँ मैं
आदि अनादि
अनंत अखंड
अच्छेद अभेद सूबेद हूँ मैं
छोहरिया मैं और छाछ भी मैं
धूरि बनी मैं चरणों की
बनी तेरी ही सुन्दर चोटी
पग में बजती पैंजनिया
तेरी मंद मंद मुस्कान बनी
खुद से खुद की सौतन हो गई
कभी राधा हूँ कभी मीरा सी
सत्यभामा और रुक्मिणी सी
..... आरम्भ हूँ मैं माँ देवकी सी
विस्तार हूँ मैं यशोदा सी
पुकारो पुकारो पुकारो मुझे
मईया कहकर
राधा कहकर
उपकार करो सुदामा हूँ मैं
सुदर्शन चक्र बना धारण कर लो
मोर मुकुट बना मेरा मान गहो
ओ कृष्ण कृष्ण हुंकार करो
हुआ धर्म का नाश
अवतार धरो , मेरी बांह गहो
मेरा सपना साकार करो
.... अवतार धरो अवतार धरो ...
पावन स्नेह भावपूर्ण कोमल अतिसुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंसुदर्शन चक्र बना धारण कर लो
जवाब देंहटाएंमोर मुकुट बना मेरा मान गहो
ओ कृष्ण कृष्ण हुंकार करो
हुआ धर्म का नाश
अवतार धरो , मेरी बांह गहो
मेरा सपना साकार करो
.... अवतार धरो अवतार धरो ...
.......गहरी बात बताती समझाती प्रासंगिक पंक्तियाँ.... बहुत उम्दा रचना
अवतार की जरूरत तो है...
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
जवाब देंहटाएंभक्त हृदय के सुन्दर उद्गार!
कभी राधा हूँ कभी मीरा सी
जवाब देंहटाएंसत्यभामा और रुक्मिणी सी
..... आरम्भ हूँ मैं माँ देवकी सी
विस्तार हूँ मैं यशोदा सी
मै ही भक्त मै की कृष्ण
भेद विभेद कहाँ से पाऊँ
श्याम मै श्याम हो जाऊँ
चरण कमल मे यूँ लिपटा लो
मुझको अपनी दासी बना लो
..वाह: बहुत सुन्दर तेरे लिए मैं क्या-क्या न बनी..अब तो आजा..दर्शन दिखा जा ....वाह: बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंसुन लो कान्हा.............हमारी दी की पुकार....
जवाब देंहटाएंसादर.
कभी राधा हूँ कभी मीरा सी
जवाब देंहटाएंसत्यभामा और रुक्मिणी सी
..... आरम्भ हूँ मैं माँ देवकी सी
विस्तार हूँ मैं यशोदा सी
पुकारो पुकारो पुकारो मुझे
मईया कहकर
राधा कहकर
....बहुत सुन्दर भक्तिमयी भावपूर्ण रचना...आभार
waah .....very nice...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंक्या कहने
कृष्ण को पुकारती यह कव्यांजलि बहुत मुग्ध करने वाली है ...
जवाब देंहटाएंहुआ धर्म का नाश
जवाब देंहटाएंअवतार धरो , मेरी बांह गहो
मेरा सपना साकार करो
.... अवतार धरो अवतार धरो ...
आपका आह्वाहन सफल हो .... !!
सारे सपने साकार हो.... !!
यूँ लगा ..... मानो आपने रण-भूमि में जो अवतार कृष्ण ने अर्जुन को दिखलाये थे उसका दर्शन करा दीं .... !!
ओ कृष्ण कृष्ण हुंकार करो
जवाब देंहटाएंहुआ धर्म का नाश
अवतार धरो , मेरी बांह गहो
मेरा सपना साकार करो
.... अवतार धरो अवतार धरो ...
अब और देर ना करो... सुन्दर आव्हान करती रचना... सादर
krishna krishna awtaar dharo!
जवाब देंहटाएंbahut sunder rachna!
asha hai jld hi shrikrishna awtaar dharenge!
हुआ धर्म का नाश
जवाब देंहटाएंअवतार धरो....
बहुत बढ़िया.... भावपूर्ण कविता
ये तो बिलकुल भजन सा है... अध्यात्म और भक्ति का निचोड़ लिए हुए...
जवाब देंहटाएंमोर मुकुट बना मेरा मान गहो
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
रश्मि जी
जवाब देंहटाएंराधे राधे
सुन्दर रचना....
सब चोर नहीं होते
मैं पहली रचना को फेसबुक में शेयर करना चाह रही थी.. पर असफल हुई...
उपाय अब आप ही बताएंगी
सादर
यशोदा
..... आरम्भ हूँ मैं माँ देवकी सी
जवाब देंहटाएंविस्तार हूँ मैं यशोदा सी
पुकारो पुकारो पुकारो मुझे
मईया कहकर
राधा कहकर
उपकार करो सुदामा हूँ मैं
सुदर्शन चक्र बना धारण कर लो
यह निश्छल भाव ... और आपका लेखन ..आभार
मंदिर की घंटी की तरह मधुर-मधुर बजती हुई अति सुन्दर काव्य....बहुत-बहुत बधाई..
जवाब देंहटाएं....बहुत सुन्दर भक्तिमयी भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंआभार
अच्छी प्रस्तुति........
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....
कृष्ण को चारों तरफ से घेर लिया..अब तो उन्हें आना ही पड़ेगा..बेहद सुंदर भाव.. :)
जवाब देंहटाएंbehad bhawbhini......
जवाब देंहटाएंआस-पुकार उठे चहुँ दिसि यह..
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna
जवाब देंहटाएंआज रंग है ऐ माँ रंग है री,
जवाब देंहटाएंमेरे महबूब के घर रंग है री।
रश्मि जी आपकी रचनाओं की प्रशंशा करने वाले शब्दों का अकाल पड़ गया है मेरे पास...कहाँ से लाऊं...हर बार चमत्कृत कर देती हैं आप...बेजोड़ रचना
जवाब देंहटाएंनीरज
Ati Sunder..... Adbhut Rachna
जवाब देंहटाएंकृष्ण की पुकार में कभी गोकु;ल तो कभी राधा तो कभी रुक्मणि ... जो भी उसे पुकारता है वो भी कृष्णा हो जाता है ...
जवाब देंहटाएंमनमोहक कविता।
जवाब देंहटाएंअब तो अवतार ले ही लो...कितनी प्रतीक्षा ? सारगर्भित रचना, बधाई.
जवाब देंहटाएंपूर्ण समर्पण .......
जवाब देंहटाएंतुम मैं ...मैं तुम ....
हरी हरी भजते भजते ....
हरी ने हर ली पीड़ा ...
मन हो गया हरा हरा ....!!
कल 10/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
...चाहे किसी बहाने ...किसी रिश्ते ...किसी नाम के सहारे आओ .....बस आ जाओ !!!
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत सुन्दर !!!!!
वाह बस एक ही शब्द लाजवाब....
जवाब देंहटाएंदेखो न...हर तरह से..हर रूप में बुला रही हूँ तुम्हें....चले,आओ न...सुनके मेरी पुकार.
जवाब देंहटाएंकभी राधा हूँ कभी मीरा सी
जवाब देंहटाएंसत्यभामा और रुक्मिणी सी
..... आरम्भ हूँ मैं माँ देवकी सी
विस्तार हूँ मैं यशोदा सी
पुकारो पुकारो पुकारो मुझे
मईया कहकर
राधा कहकर.....speechless....