10 अप्रैल, 2012

नित नित प्रभु का ध्यान धरो

इस भजन को लिखकर तो मैं खुद में तीरथ महसूस ही कर रही थी .... सजीव सारथी जी के माध्यम से यह आदित्य विक्रम जी तक पहुंचा
और आज आदित्य जी द्वारा कम्पोज़ किये इस गीत को उनकी ही आवाज़ में सुनकर मेरे रोम रोम ने शिव साई हरि के समीप खुद को पाया -
आइये मिलकर सुनें ...

ध्यान धरो
तुम ध्यान धरो
ध्यान धरो
तुम ध्यान धरो ....नित नित प्रभु का ध्यान धरो

मन के गहरे
स्रोत हैं सारे
मंत्र के बीज
लगाओ सारे
क्या है तेरा क्या है मेरा
भवसागर से बाहर आओ

ध्यान धरो
तुम ध्यान धरो
ध्यान धरो
तुम ध्यान धरो ... नित नित प्रभु का ध्यान धरो

अहंकार तजो
सच अपनाओ
मन के अन्दर
शिव को पाओ
नहीं ज़रूरत किसी तीरथ की
ध्यान धरो प्रभु को तुम पाओ

ध्यान धरो
तुम ध्यान धरो
ध्यान धरो
तुम ध्यान धरो ...नित नित प्रभु का ध्यान धरो

अग्नि में जो कुछ भी डालो
सब जल स्वाहा होता है
काम क्रोध और लोभ को अपने
मन की अग्नि में डालो
कंचन बनकर तुम निखरो
जगमग जग को कर जाओ ...

ध्यान धरो
तुम ध्यान धरो
ध्यान धरो
तुम ध्यान धरो ...नित नित प्रभु का ध्यान धरो

53 टिप्‍पणियां:

  1. मन पवित्र भावनाओं से भर गया.. पढ़कर ही..धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह बहुत खूब ... सच है आज के इस दौर मे प्रभु का ध्यान लोगबाग करते ही नहीं है !

    जवाब देंहटाएं
  3. ध्यान धरो
    तुम ध्यान धरो
    ध्यान धरो
    तुम ध्यान धरो ... नित नित प्रभु का ध्यान धरो

    ये प्रभु का ही आशीर्वाद है जो आपने इतना सुन्दर भजन लिखा है प्रभु यूँ ही आपके ऊपर आशीर्वाद बनायें रखे दुआ है हमारी ..शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रभु का ध्यान धरो...बहुत ही प्रभावशाली है,,,एक तरह का मेडिटेशन सा महसूस किया हमने...
    धन्यववाद आपका, ऐसी रचना के लिए और एक बेहद भक्ति पूर्ण आवाज़ के लिए भी....

    जवाब देंहटाएं
  5. अग्नि में जो कुछ भी डालो
    सब जल स्वाहा होता है
    काम क्रोध और लोभ को अपने
    मन की अग्नि में डालो
    कंचन बनकर तुम निखरो
    जगमग जग को कर जाओ ...

    सुंदर भावपूर्ण खुबशुरत रचना....

    जवाब देंहटाएं
  6. कंचन बनकर तुम निखरो
    जगमग जग को कर जाओ ...

    भावमय करती प्रेरणात्‍मक पंक्तियां ...बधाई सहित अनंत शुभकामनाएं ... आदित्‍य जी एवं सजीव सारथी जी का बहुत-बहुत आभार

    जवाब देंहटाएं
  7. रोम-रोम प्रार्थना रत हैं ... तीरथ सा भाव उमग रहा है..

    जवाब देंहटाएं
  8. मन चंगा तो कठौती में गंगा
    इस भजन को पढ़ लेने मात्र से जैसे तीरथ हो गया ..
    'कलमदान '

    जवाब देंहटाएं
  9. मै भी तीरथ महसूस कर रही हूँ..
    बहुत सुंदर रचना बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  10. वाह!!!!बहुत ही खुबशुरत भजन,आदित्य विक्रम जी की आवाज ने भजन में चार चाँद लगा दिए,आपके द्वारा लिखे भक्ति भाव पुर्ण पंक्तियों का जबाब नही,.
    भजन सुनकर मन भाव विभोर हो उठा,
    इस सुंदर रचना के लिए,.रश्मी जी बहुत२ बधाई,.

    जवाब देंहटाएं
  11. बस धीरेन्द्र जी , आदित्य जी के स्वर की प्रशंसा ही मायने देती है , क्योंकि उनके सुर और स्वर ने ही इसे ध्यान का मार्ग दिया है

    जवाब देंहटाएं
  12. अग्नि में जो कुछ भी डालो
    सब जल स्वाहा होता है
    काम क्रोध और लोभ को अपने
    मन की अग्नि में डालो
    कंचन बनकर तुम निखरो
    जगमग जग को कर जाओ ...
    ....बहुत सुन्दर भाव रश्मिजी

    जवाब देंहटाएं
  13. लेखनी प्रार्थनारत रहे... और हृदय धाम यूँ ही तीरथ बना रहे!
    बधाई एवं शुभकामनाएं!

    जवाब देंहटाएं
  14. सुर , आवाज़ और लेखन का ह्रदय को छू लेने वाला संगम !
    मगर ठीक से सुन नहीं पाए ...
    यू ट्यूब पर लिंक है क्या ?

    जवाब देंहटाएं
  15. मन आनंदित हो गया दी...............

    कई बार सुन डाला...............
    संग संग गाया भी.....................

    बहुत सुंदर सरल........

    आभार आपका...
    सादर.

    जवाब देंहटाएं
  16. प्रभु भक्ति में लीं कर दिया ...वाह भक्तिमय भाव का संचार करती हुई गीतिका

    जवाब देंहटाएं
  17. वाह रश्मि दी,

    भक्तिमय गीत ने ना जाने किस दुनिया में पहुंचा दिया।

    ध्यान धरो, प्रभु को तुम पाओ..

    ब्लाग पर छिडा जंग अब जरूर ठंडा हो जाएगा। मुझे लगता है।

    जवाब देंहटाएं
  18. आदित्य जी की आवाज़ ने प्रार्थना को सशक्त बना दिया ... बहुत सुंदर ...

    जवाब देंहटाएं
  19. पठन और श्रवण - दोनों ही आनंददायक
    दी, मन भक्ति से सराबोर हो गया...

    जवाब देंहटाएं
  20. अहंकार तजो
    सच अपनाओ
    मन के अन्दर
    शिव को पाओ
    नहीं ज़रूरत किसी तीरथ की
    ध्यान धरो प्रभु को तुम पाओ

    ...बहुत सार्थक और भक्तिमय प्रस्तुति...भजन सुन कर मन तृप्त हो गया...आभार

    जवाब देंहटाएं
  21. ध्यान धरो तुम प्रभु को पाओ ...
    बहुत सुंदर .....
    भक्तिमय ...सुंदर भजन ...

    जवाब देंहटाएं
  22. बहुत सुंदर जादुई आवाज के लिये आदित्य जी को बहुत बहुत बधाई !
    गीत में चार चाँद लगा दिए है !

    जवाब देंहटाएं
  23. वाह सुन्दर प्रार्थना और गज़ब का कम्पोजीशन और आवाज़

    जवाब देंहटाएं
  24. सार्थक प्रार्थना!!
    सार्थक प्रभु भक्ति!!

    जवाब देंहटाएं
  25. बहुत दिनों बाद एक नया भजन पढने को मिला है .
    बहुत बढ़िया .
    आभार .

    जवाब देंहटाएं
  26. ADBHUT... ARTHPOORN SHABD ,BHHAVPOORN SWAR AUR MADHUR SANGEET NE JAISE MAN KO VISHRAAM AUR MUKT KIYA .

    जवाब देंहटाएं
  27. कल 11/04/2012 को आपकी इस पोस्‍ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.

    आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!


    ... हलचल में चर्चा है ...

    जवाब देंहटाएं
  28. काम क्रोध और लोभ को अपने
    मन की अग्नि में डालो
    कंचन बनकर तुम निखरो...
    आज के इस दौर में इसकी बहुत जरुरत है.... !
    आपका , आदित्‍य जी एवं सजीव सारथी जी का बहुत-बहुत आभार.... !!

    जवाब देंहटाएं
  29. मन प्रभुमय होकर ध्यान मग्न होगया...

    जवाब देंहटाएं
  30. आदित्य विक्रम जी की आवाज़ मे आपका यह भजन सुनकर बहुत अच्छा लगा।

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  31. भक्ति मय करती रचना ....अति सुंदर...

    जवाब देंहटाएं
  32. प्रभु के लिए खूबसूरत कृति ...मन मग्न हो गया पढ़ कर

    जवाब देंहटाएं
  33. इस सुन्दर से भक्ति गीत के लिए आपका आदित्‍य जी एवं सजीव सारथी जी का बहुत-बहुत आभार....

    जवाब देंहटाएं
  34. बहुत प्यारी आराधना ...
    शुभकामनायें आपको !

    जवाब देंहटाएं
  35. ध्यान के माध्यम से काम, क्रोध, लोभ...सब काबू आ जाते हैं...

    जवाब देंहटाएं
  36. शब्द और स्वर दोनों मन को आनन्दित करते हुए ...

    जवाब देंहटाएं
  37. कविता को जब संगीत और मधुर आवाज़ का साथ मिल जाता है तो वह इंसान को धरा से ऊपर उठा देती है और यदि कविता भक्ति रस में पगी हो तो वह उसे अलौकिक संसार की सैर भी करा देती है ! आज कुछ ऐसा ही अनुभव कर रही हूँ ! बहुत पावन सा वातावरण हो उठा है ! आभार आपका !

    जवाब देंहटाएं
  38. शब्द, भाव, सुर, संगीत
    जीवन का सुख और क्या ?

    तृप्त हो गये.....

    जवाब देंहटाएं
  39. बहुत सुन्दर भजन, सुनकर और भी अच्छा लगा. बधाई आप दोनों को.

    जवाब देंहटाएं
  40. सुन्दर भजन .शुभकामनायें आपको !

    जवाब देंहटाएं
  41. बहुत सुन्दर दिल को छूती हुई अराधना ....

    जवाब देंहटाएं
  42. सुन्दर भजन....
    काम क्रोध और लोभ को अपने
    मन की अग्नि में डालो ..
    यदि यह कर पाएं तो समझो सारे तीर्थ हो गए...सारे जप,ताप,पूजा-पाठ संपन्न कर लिए.

    जवाब देंहटाएं
  43. अहंकार तजो
    सच अपनाओ
    मन के अन्दर
    शिव को पाओ
    नहीं ज़रूरत किसी तीरथ की

    सच कहा रश्मि जी.... अपने अन्दर ही भगवान है बस उसे निर्मल मन से पा लेने की जरुरत है ... एक बार मन के अन्दर के शिव को जान लिया फ़िर किसी तीरथ की जरुरत नहीं रह जाति... बहुत सुंदर मन को शांत करने वाली रचना..

    सादर
    मंजु

    जवाब देंहटाएं
  44. ध्यान धरो
    तुम ध्यान धरो
    ध्यान धरो
    तुम ध्यान धरो ... नित नित प्रभु का ध्यान धरो
    dhyaan kare ya pure dhyaan se apki rachna padh le ek hi baat hoti hai....

    जवाब देंहटाएं
  45. आनंदम... आनंदम... आनंदम...
    सादर नमन दी आपको साथ ही कम्पोजर और गायक आद आदित्य जी को...

    जवाब देंहटाएं
  46. Very inspiring bhajan'dhyan dharo'by Rashmi ji.Awesome composition and soothing voice of Aditya ji makes it even more heart touching. Many thanks to both.Awaiting for more uploads in near future.

    जवाब देंहटाएं

एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...