शून्य में कौन मुझसे कह रहा
क्या कह रहा ...
कुछ सुनाई नहीं देता !
सन्नाटों की अभेद दीवारें पारदर्शी तो है
इक साया सा दिखता भी है
कभी कुछ कहता
कभी चीखता सा ...
पर क्या कह रहा है
कैसे जानूं !
सुनने से पहले देखना चाहती हूँ
साया है किसका
चेहरे की असलियत मिल जाए तो जानूं
यह विश्वास दे रहा है या चेतावनी !
समय के परिवर्तित खेल में
माना डर लगने लगा है
पर यह भी सच है
कि मैंने सारी तैयारी कर ली है ...
जिन ख़्वाबों की तस्वीर को मैंने हकीकत बनाया है सारी उम्र
उसके इर्द गिर्द काँटों का बाड़ा बन खुद खड़ी हूँ
खड़ी रहूंगी
और प्रभु को आगाह किया है
' जब तक शून्य का भय ख़त्म नहीं होता
तुम दिए की मानिंद अखंड जागते रहोगे
ठीक उसी तरह
जिस तरह ख़्वाबों को हकीकत बनाने में
तुम निरंतर जागते रहे हो ....
मुझे थकान न हो इस खातिर
अपनी हथेली का सिरहाना मुझे दिया है
.... तो आज हकीकत के लिए जागना होगा
अपनी हथेली पर
मेरी हकीकत को सुलाना होगा ' ....
' जब तक शून्य का भय ख़त्म नहीं होता
जवाब देंहटाएंतुम दिए की मानिंद अखंड जागते रहोगे
ठीक उसी तरह
जिस तरह ख़्वाबों को हकीकत बनाने में
तुम निरंतर जागते रहे हो ....
....एक अकथ व्यथाकथा होती है ख्वाबों को हकीकत तक ले जाने की..
बदलते समय की सही पहचान कराती बहुत सुन्दर सार्थक प्रेरक रचना प्रस्तुति हेतु आभार
वाह ..बहुत अच्छा..
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट रचना । गालिब साहब कह गए हैँ- न था कुछ तो खुदा था,कुछ न होता तो खुदा होता ।
जवाब देंहटाएंअपनी हथेली पर
जवाब देंहटाएंमेरी हकीकत को सुलाना होगा ' ...वाह: हमेशा की तरह एक और भावो और शब्द का सुन्दर संगम
मुझे थकान न हो इस खातिर
जवाब देंहटाएंअपनी हथेली का सिरहाना मुझे दिया है
.... तो आज हकीकत के लिए जागना होगा
अपनी हथेली पर
मेरी हकीकत को सुलाना होगा ' ....
वाह
बहुत सुंदर दी...
सादर.
मुग्ध करते भाव ..प्रवाह में बहाती हुई...
जवाब देंहटाएंऔर प्रभु को आगाह किया है
जवाब देंहटाएं' जब तक शून्य का भय ख़त्म नहीं होता
तुम दिए की मानिंद अखंड जागते रहोगे
उसके जागने से ही तो हम जागृत हैं जिस दिन वो सो गया तो हम भी खो जायेंगे।
जो प्रभु को आगाह कर सकता है वो सब कुछ कर सकता है ... बहुत सुंदर भावनात्मक रचना
जवाब देंहटाएंजागना ही होगा....बहुत ही सुन्दर !
जवाब देंहटाएं' जब तक शून्य का भय ख़त्म नहीं होता
जवाब देंहटाएंतुम दिए की मानिंद अखंड जागते रहोगे
शब्द नहीं मिल पा रहे हैं ..उत्कर्ष रचना !
प्रभु तो इसी पल का इंतजार कर रहा है...वह सदा है, "जाग' ही वह है. बहुत सुंदर भावनाएँ..
जवाब देंहटाएंमुझे थकान न हो इस खातिर
जवाब देंहटाएंअपनी हथेली का सिरहाना मुझे दिया है
.... तो आज हकीकत के लिए जागना होगा
अपनी हथेली पर
मेरी हकीकत को सुलाना होगा ' ....
....बहुत ख़ूबसूरत अहसास...यही विश्वास बना रहे...
जिसे हम बहुत अपना समझते हैं उसी पर अधिकार का प्रयोग करते हैं .....
जवाब देंहटाएं.... तो आज हकीकत के लिए जागना होगा
अपनी हथेली पर
मेरी हकीकत को सुलाना होगा ' ....
इसी अधिकार का प्रयोग दिख रहा है यहाँ ...
सुंदर समर्पण भाव ....!!
सुंदर रचना दी ...!!
शून्य भरने को आमादा है, न जाने कौन से लहर बाजी मारेगी।
जवाब देंहटाएंbahut achcha likhi hain......
जवाब देंहटाएंख्वाब हकीकत में बदलें ......
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ!
बहुत ही शानदार...
जवाब देंहटाएंACHCHHEE KAVITA KE LIYE AAPKO BADHAAEE AUR SHUBH KAMNA .
जवाब देंहटाएंजब तक शून्य का भय ख़त्म नहीं होता
जवाब देंहटाएंतुम दिए की मानिंद अखंड जागते रहोगे!
अगाध श्रद्धा और विश्वास की कविता !
बहुत बढ़िया कविता रश्मि जी... नये तरह से बात कहती हैं आप
जवाब देंहटाएंकल 02/05/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
जवाब देंहटाएंआपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
...'' स्मृति की एक बूंद मेरे काँधे पे '' ...
गहन भावाभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंअगाध भक्ति का अधिकार...कभी कभी हम भगवान को भी आदेश देते हैं!
जवाब देंहटाएंजब तक शून्य का भय ख़त्म नहीं होता
जवाब देंहटाएंतुम दिए की मानिंद अखंड जागते रहोगे
ठीक उसी तरह
जिस तरह ख़्वाबों को हकीकत बनाने में
तुम निरंतर जागते रहे हो ....
बहुत खूब.........
अपनी हथेली पर
जवाब देंहटाएंमेरी हकीकत को सुलाना होगा '.... har baar ki tarah ek aur sach se hame avgat karaya hai apne....
मेरी हकीकत को सुलाना होगा ' ....
जवाब देंहटाएंrashmi ji ye SULANA kuchh jach nahi raha......
meri hakikat ko khilana hoga....shayad behatar vikalp ho.
mafi chahungi...agar galat lage to.
बेहद खूबसूरत भाव...आनंद आ गया...
जवाब देंहटाएंशून्य से शून्य तक का सफर ...आसान नहीं हैं
जवाब देंहटाएंपर यह भी सच है
जवाब देंहटाएंकि मैंने सारी तैयारी कर ली है ...
जिन ख़्वाबों की तस्वीर को मैंने हकीकत बनाया है सारी उम्र
उसके इर्द गिर्द काँटों का बाड़ा बन खुद खड़ी हूँ
खड़ी रहूंगी ...
दृढ विश्वास का बल ही प्रभु को आगाह करने की क्षमता रखता है... सुन्दर भावपूर्ण रचना...
तो आज हकीकत के लिए जागना होगा
जवाब देंहटाएंअपनी हथेली पर
मेरी हकीकत को सुलाना होगा ' ...
इतना हक मुश्किल से मिलता है कि प्रभु को ही चेता दे ।