कवि हमेशा लिखता है
चेतन अचेतन
धरती आकाश
शून्य आधार
निराकार में भी आकार ...
पर आपने पहली बार जो पढ़ा
वह पहली रचना
और आखिर में जो पढ़ा
वह रचना आखिरी के दायरे में होती है
पर -
कवि प्रारंभ और अंत से मुक्त होता है !
वह प्रकृति के कण कण में प्रस्फुटित साज है
बंजर में भी आगत
रेगिस्तान में आभास
अकाल में पानी की एक बूंद
मृत्यु में जीवन ... !
कवि को लगता ज़रूर है
कि शब्द खो गए हैं
पर खोने के एहसास में उसके प्राप्य की पोटली होती है !
सपनों में लिखी रचनाएँ
खुली आँखों में अदृश्य हो जाती हैं
पर वह लिखी होती हैं
शब्द भावों की अग्नि में तपे कवि के चेहरे पर
उनको पढ़ने के लिए पारदर्शी आँखें होती हैं
जिनकी पुतलियों में अग्नि सा तेज होता है !
कवि .... शब्द बीज गिराता जाता है
इस बात से अनजान
कि कहाँ गुलमर्ग बना
कहाँ चनाब
कहाँ कैलाश !
उसकी यात्रा कहो या जीवन दर्शन
वह होता है निरंतर चलायमान
सुबह शाम दिन रात की तरह
कभी शाखों पर
कभी शाखों से उतरता
कभी घोंसलों में
कभी परिंदे के परों में ..... कवि निरंतर होता है
अथक अविचल अविरल ...
.... कवि निरंतर होता है
जवाब देंहटाएंबेहद सार्थक चित्रण कवि का ... आभार
कवि कहाँ -कहाँ ,कब-कब,कैसे-कैसे मौजूद रहता है...सब पता चल गया
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंजीवन दर्शन
जवाब देंहटाएंअपनी भावनाओं को शब्दों में बुनकर एक तृप्ति चाहता है कवि...
जवाब देंहटाएंऔर इसी तृप्ति की गंगा में सिंचित होती हैं कई कल्पनाएँ... अविराम..अगणित...
इतनी सुन्दरता से कवि को परिभाषित किया है आपने!
सादर
कवि .... शब्द बीज गिराता जाता है
जवाब देंहटाएंइस बात से अनजान
कि कहाँ गुलमर्ग बना
कहाँ चनाब
कहाँ कैलाश !
बिलकुल सही कहा है ......
कवि के शब्द बीज किस भूमि में अंकुरित होंगे उस भूमि पर सब निर्भर है !
बहुत सुंदर रचना प्रारम्भ से अंत तक !
कवी और उसकी कविता दोनों ही निरंतर होते हैं ... बहता हुवा पानी ही अच्छा रहता है ... ...
जवाब देंहटाएंकवि को लगता ज़रूर है
जवाब देंहटाएंकि शब्द खो गए हैं
पर खोने के एहसास में उसके प्राप्य की पोटली होती है !
So profound!!!
कवि को लगता ज़रूर है
जवाब देंहटाएंकि शब्द खो गए हैं
पर खोने के एहसास में उसके प्राप्य की पोटली होती है !
सपनों में लिखी रचनाएँ
खुली आँखों में अदृश्य हो जाती हैं
पर वह लिखी होती हैं
शब्द भावों की अग्नि में तपे कवि के चेहरे पर
उनको पढ़ने के लिए पारदर्शी आँखें होती हैं
जिनकी पुतलियों में अग्नि सा तेज होता है !
बहुत सुंदर दी..............
बेमिसाल...........................................
शब्द बीज से ही फूटता है काव्य....बहुत सुंदर..
जवाब देंहटाएंकभी शाखों पर
जवाब देंहटाएंकभी शाखों से उतरता
कभी घोंसलों में
कभी परिंदे के परों में ..... कवि निरंतर होता है
अथक अविचल अविरल ...
हर कोने में पहुँच जाता है कवि का मन...
kvi mann ka shi varnan...aur bahut hi santulit shabd chayan..
जवाब देंहटाएंवाह ..बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंकवि .... शब्द बीज गिराता जाता है
जवाब देंहटाएंइस बात से अनजान
कि कहाँ गुलमर्ग बना
कहाँ चनाब
कहाँ कैलाश !
उसकी यात्रा कहो या जीवन दर्शन
वह होता है निरंतर चलायमान
कवि को परिभाषित करती एक कालजयी रचना...सचमुच कवि तो यायावर है...उसने कुछ पाया है जिसे लुटाते हुए वह थकता ही नहीं, बहुत सुंदर रश्मि जी.
कवि प्रारंभ और अंत से मुक्त होता है !
जवाब देंहटाएंकवि निरंतर होता है
अथक अविचल अविरल ...
महती सत्य को रेखांकित करती प्रभावी रचना दी...
सादर बधाई.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति वाह!
जवाब देंहटाएंकवि को लगता ज़रूर है
जवाब देंहटाएंकि शब्द खो गए हैं..बहुत ही सुन्दर आभार
आदि से अनन्त तक, कवि की कल्पना।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावार्थ इन पक्तियों में छिपा हुआ है!
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना.
बहुत सुन्दर भावार्थ इन पक्तियों में छिपा हुआ है!
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना.
कवि को लगता ज़रूर है
जवाब देंहटाएंकि शब्द खो गए हैं
पर खोने के एहसास में उसके प्राप्य की पोटली होती है !
इस खोने और पाने के बीच ही तो कहीं कवि है
कवि के भाव ही उसकी कलम की स्याही होते हैं ..
जवाब देंहटाएंkalamdaan
भावो की नदी सी यह कविता...
जवाब देंहटाएंAAPKEE LEKHNI SE NIKLEE EK AUR
जवाब देंहटाएंHRIDAY KO CHHOOTEE KAVITA . SHABDON
AUR BHAVON MEIN SANGEET RACHAA -
BASAA HAI .
शुद्ध कवि आजकल कम ही मिलते हैं । लेकिन जो होते हैं , बहुत निर्मल हृदय होते हैं ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना ।
शब्दों के बीच छिपे अर्थ कवि मन ही खोजता है।
जवाब देंहटाएंकवि के अंतस से निकली कवि की बात सही है।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर की गई है।
जवाब देंहटाएंचर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं....
आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......
सचमुच एक कवि की इतनी सुन्दर भावाभिव्यक्ति एक कवि ही कर सकता है दीदी!! कविता के सृजन में समर्पित कवियों की प्रतिनिधि कविता!!
जवाब देंहटाएंसच है..... गतिशील बने रहते है कवि भाव
जवाब देंहटाएंकवि .... शब्द बीज गिराता जाता है
जवाब देंहटाएंइस बात से अनजान
कि कहाँ गुलमर्ग बना
कहाँ चनाब
कहाँ कैलाश !
उसकी यात्रा कहो या जीवन दर्शन
वह होता है निरंतर चलायमान
कितना बड़ा सच है इन पंक्तियों में ! ये शब्द बीज ही जब प्रस्फुटित होते हैं तो इतने शक्तिमान हो जाते हैं कि पल भर में समाज और व्यवस्था की नींवें दरकने लगती हैं ! बहुत सार्थक एवं प्रभावी रचना ! ढेर सारी बधाई रश्मि जी !
कवि को लगता ज़रूर है
जवाब देंहटाएंकि शब्द खो गए हैं
पर खोने के एहसास में उसके प्राप्य की पोटली होती है !
मेरी तो पोटली ही खो गयी है ॥ढूंढ रही हूँ .... न जाने कहाँ रख कर भूल गयी हूँ :):)
बहुत सुंदर प्रस्तुति
कवि पर लिखी आपकी कविता ....
जवाब देंहटाएंचरितार्थ करता जहाँ न पहुंचें रवि ,वहाँ पहुंचें कवि ....
अथक अविचल अविरल ... बहुत खुबा .....
सोच लेते हैं कि शब्द खो गये हैं , मगर खोते नहीं है , गूंजते हैं दिमाग में कहीं फिर कही किसी बहाने से कागज पर उतरते हैं !!
जवाब देंहटाएंएक श्रृंखला है विचारों की , जो शब्द बीज बनकर काव्य के रूप में उतरती है !!
बहुत बढ़िया !
.....तभी तो हो पाता है सृजन .....खिल पाते हैं फूल ...उद्गम होता है नई नदियों का ......उठ खड़े होती हैं फसलें ......सृष्टि को मिल जाता है एक नया रूप ..जो कवि की अपनी कल्पना से उपजा है .........बहुत सुन्दर रचना रश्मिजी .....
जवाब देंहटाएंतभी तो हो पाता है सृजन .....खिल पाते हैं फूल ...उद्गम होता है नई नदियों का ......उठ खड़े होती हैं फसलें ......सृष्टि को मिल जाता है एक नया रूप ..जो कवि की अपनी कल्पना से उपजा है .........बहुत सुन्दर रचना रश्मिजी .....
जवाब देंहटाएंकवि प्रारंभ और अंत से मुक्त होता है !
जवाब देंहटाएंमन का कोई दायरा नहीं। बहुत सुंदर रचना ....शुभकामनाएँ ।
कवि निरंतर होता है
जवाब देंहटाएंअथक अविचल अविरल ...
फिर कहना ही क्या ?
अपनी अपनी दृष्टि से
सब देखते रहेंगे
विचार आते रहेंगे
सब के विचार
भिन्न भिन्न होंगे
पर कौन निश्चित करेगा
किसने सही समझा
किसने नहीं समझा ....
यूँ ही चलते रहेंगे
एक दिन विचारों जैसे
निराकार हो जायेंगे
कवि कल्पना अपनी ही दुनिया बनाती है ....
जवाब देंहटाएंचाहे जब ...चाहे जहाँ ....
बहुत सही ...और सुंदर भाव दी ....
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति,
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
kavi nirantar hota hai , sunder shabdon ka prayog kiya hai rashmi
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा है आपने ...
जवाब देंहटाएंकवि निरंतर होता है
अथक अविचल अविरल ...
कल्पना का कोई अंत नहीं होता, कवि मन हर क्षण सृजन में लगा होता है... सुन्दर अमर रचना के लिए आभार आपका
सपनों में लिखी रचनाएँ
जवाब देंहटाएंखुली आँखों में अदृश्य हो जाती हैं
पर वह लिखी होती हैं
शब्द भावों की अग्नि में तपे कवि के चेहरे पर
उनको पढ़ने के लिए पारदर्शी आँखें होती हैं
जिनकी पुतलियों में अग्नि सा तेज होता है !
....बहुत सुन्दर और सशक्त अभिव्यक्ति...आभार
कवि मृत्यु में जीवन है ... कवि निरंतर होता है
जवाब देंहटाएंअथक अविचल अविरल ... कवि का बहुत सटीक वर्णन, बधाई.