सती ने खुद को कमज़ोर जाना
अतिशय जिद्द में खुद को अग्नि में डाला
पार्वती ने भी यही समझा
पर तप की अग्नि में निखरती गयीं
बस परखना है खुद को
सुनना है ईश को
फिर देखो
तुम्हारी कोमलता में
लचीलेपन में ही परिवर्तन है ...
ईश्वर ने सिर्फ तप ही किया है
तप ऋषियों के लिए है
जो तप करता है
परिवर्तन वही कर पाता है
और यह ईश्वर के तप का प्रभाव है
कि उसने नारी की कोमलता में
तप का संधान किया ...
फिर क्या प्रश्न
और किससे ?
शुम्भ, निशुम्भ , महिषासुर , रक्तबीज ना हों
तो दुर्गा की जय जयकार
निराकार में आकार
नवरात्री की पावनता
दशहरे का जयघोष सुवासित न हो !
स्त्री का समर्पण शिव है
स्त्री का मातृत्व शिव है
स्त्री का वियोग शिव है
स्त्री का त्रिनेत्र शिव है ......
परिस्थिति उसका रूप निर्धारित करती है
या शिवयुक्त प्रयोजन
यह आत्ममनन है
राग द्वेष दया क्षमा प्रेम नफरत
स्वीकार तिरस्कार .... सब है चारों तरफ
कब किसकी गिरफ्त से
कौन सा स्वरुप प्रगट होगा
यह कौन जाने ...
............
भ्रूण हत्या नहीं होगी
तो शाप फलित कैसे होगा
सरेराह चीखें नहीं सुनाई देंगी
तो कमज़ोर स्त्री दुर्गा कैसे बनेगी
नव रूप के लिए
अवस्थाएं तय हैं ...
हर यातना संकल्प का शंखनाद है
और कदम किसी और के नहीं
देवनिर्मित दुर्गा के ....
अदभुद सोच..यातना से संकल्प... बहुत बढ़िया...प्रेरित करती कविता...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंआम लोगों का प्रतिनिधित्व कर रही है ये रचना
मसलन मन में दम तोड़ रही भावनाओं को शब्द देकर उसे ज्वलंत बना दिया।
वीराने में आशाओं के महल निर्मित करती रचना...
जवाब देंहटाएंअद्भुत, बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंसशक्त भाव लिए ... उत्कृष्ट लेखन के लिए आभार ...
जवाब देंहटाएंकल 01/08/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
'' तुझको चलना होगा ''
हर यातना संकल्प का शंखनाद है
जवाब देंहटाएंऔर कदम किसी और के नहीं
देवनिर्मित दुर्गा के ....
देवनिर्मित दुर्गा नमो नम: !
'हर यातना संकल्प का शंखनाद है'
जवाब देंहटाएंसूत्र वाक्य सा ध्रुव सत्य!
sach hai yatnaaein nahi badhegi to sankalp shakti prabal nahi hogi
जवाब देंहटाएंसरेराह चीखें नहीं सुनाई देंगी
जवाब देंहटाएंतो कमज़ोर स्त्री दुर्गा कैसे बनेगी
नव रूप के लिए
अवस्थाएं तय हैं ...
हर यातना संकल्प का शंखनाद है
और कदम किसी और के नहीं
देवनिर्मित दुर्गा के ....
बहुत ही मन को तरंगित करती ...तरंगित उन कमजोर भावनाओं से उपर उठा कर ...भीतर के सत्य को जागृत करती ....स्त्री को अबला नही सबल करने वाले उस शंखनाद से आह्वान करती ....रचना ....वास्तविक बल भीतर ही तो है ....रोने और उबरने के बीच का फासला ..इसी आभास से शुरू होता है ....बहुत उम्दा... दी..!
आपका शीर्षक ही चिन्तन प्रारम्भ कर जाता है..
जवाब देंहटाएंभ्रूण हत्या नहीं होगी
जवाब देंहटाएंतो शाप फलित कैसे होगा
सरेराह चीखें नहीं सुनाई देंगी
तो कमज़ोर स्त्री दुर्गा कैसे बनेगी
नव रूप के लिए
अवस्थाएं तय हैं ...
हर यातना संकल्प का शंखनाद है
और कदम किसी और के नहीं
देवनिर्मित दुर्गा के ....
ये बाद का क्षेपक कवितांश यथार्थ है ज़मीन तैयार हो रही है नव दुर्गाओं के अवतरण की .बढिया सकारात्मक भाव की आस में जीवन ज्योत की नारी के शिवत्व की प्रस्तुति .
देवनिर्मित दुर्गा के निर्माण के लिए यातना एक संकल्प है . दर्द की इंतिहा खुद दवा हो जाने जैसा ही !
जवाब देंहटाएंप्रेरक आह्वान!
हर यातना संकल्प का शंखनाद है...बहुत सही कहा है, आज हर स्त्री को अपने भीतर दुर्गा को जगाना होगा..
जवाब देंहटाएंहर यातना संकल्प का शंखनाद है
जवाब देंहटाएंऔर कदम किसी और के नहीं
देवनिर्मित दुर्गा के ....
बिलकुल सही कहा आपने रश्मि जी ! हर प्रतिक्रिया का निर्धारण उसकी क्रिया ही करती है ! और हर प्रतिक्रिया में ऊपर वाले का समर्थन अवश्य होता है ! साभार !
हर यातना संकल्प का शंखनाद है
जवाब देंहटाएंध्रुव सत्य,हमेशा की तरह बेहतरीन और सारगर्भित
बहुत अच्छी रचना है दी..
जवाब देंहटाएंशीर्षक ही पूरी कविता कह डालता है...
आभार.
अनु
बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंजो तप करता है
जवाब देंहटाएंपरिवर्तन वही कर पाता है..
यही सच है .परिवर्तन करने के लिए बहुत
कुछ सहना पड़ता है
लेखनी में साक्षात् शक्ति-दर्शन..अहो!
जवाब देंहटाएंप्रेरित करती प्रसंसनीय सुंदर रचना,,,,
जवाब देंहटाएंरक्षाबँधन की हार्दिक शुभकामनाए,,,
RECENT POST ...: रक्षा का बंधन,,,,
यातना से संकल्प .... एक शंखनाद सा करती और विचारों को झकझोरती रचना ॥
जवाब देंहटाएंनारी शक्ति के सम्मान को रेखांकित करती अद्भुत कविता... जय हो दुर्गे
जवाब देंहटाएंसंकल्प की शुरुआत यातना से ही होती है...अद्भुत सोच...अद्भुत अभिव्यक्ति !!
जवाब देंहटाएंशीर्षक को सार्थक करती सुंदर रचना.अति विशिष्ट..
जवाब देंहटाएंशीर्षक बेहतरीन है.... और विषय वस्तु उतनी ही उम्दा
जवाब देंहटाएंआभार
अद्भुत रचना दी....
जवाब देंहटाएंसादर.
हर किसी को सोचने पर मजबूर करती लेखनी ..
जवाब देंहटाएंVery nice post.....
जवाब देंहटाएंAabhar!
Mere blog pr padhare.
स्त्री का समर्पण शिव है
जवाब देंहटाएंस्त्री का मातृत्व शिव है
स्त्री का वियोग शिव है
स्त्री का त्रिनेत्र शिव है ......ji ..sty ..