राम का राज्याभिषेक
हर्ष में डूबी पूरी अयोध्या
दिग्गज मुनिगण
पवित्र तीर्थस्थलों के जल
कौशल्या का विष्णु जाप ....
तिथि,शुभ समय निकालनेवाले
ज्ञानी और तेजस्वी
किसी ने नहीं बताया
कि सुबह की किरणों के साथ
सम्पूर्ण दृश्य पलट जायेगा
राम,सीता,लक्ष्मण वन को प्रस्थान करेंगे
दशरथ की मृत्यु होगी
तीनों रानियाँ वैधव्य को पाएंगी
उर्मिला 14 वर्ष पति से दूर होंगी
भरत के प्रण के आगे मांडवी भी अकेली होंगी !!!......
रावण वध के लिए
इतनी सारी व्यवस्थाएं डगमगायीं
माता सीता भी रावण की अशोक वाटिका में रहीं
राम से अलग
अग्नि परीक्षा देकर भी वन गयीं
.....
राजा दशरथ के कुलगुरु वशिष्ठ
उन्हें तो श्रवण के माता-पिता की मृत्यु का भान
अवश्य ही रहा होगा
श्राप,मृत्यु,राम वन गमन से वे अनभिज्ञ नहीं रहे होंगे
तो किस हेतु उन्होंने आगाह नहीं किया ?
आगत को टालना तो उनके लिए अति आसान रहा होगा
फिर ?
क्या इससे यह स्पष्ट नहीं होता
कि आगत को आने से रोकना
इस असंभव को संभव बनाने की कोशिश
सर्वथा अनुचित कार्य है
जो ईश्वर ने निर्धारित किया है
उसे आम मनुष्य के शरीर में मानना
तो स्वयं प्रभु के लिए भी अनिवार्य है ...
................
जब प्रभु ने पिता की मृत्यु को मौन स्वीकृति दी
माताओं का वैधव्य स्वीकार किया
सीता को रावण के हवाले किया
उर्मिला,भरत,मांडवी को वियोग दिया ......
फिर क्या कर्मकांड
क्या चेतावनी !
ईश्वर ने जो सोच रखा है
उसमें विघ्न क्यूँ !
होनी तो काहू विधि ना टरे ...
रश्मि जी यही बात मनुष्य नही समझना चाहता वो खुद को सबसे ऊँचा मानता है जबकि जानता नही कि डोर तो ऊपर वाले के हाथ है किसकी कैसे कटेगी ये वो ही जाने
जवाब देंहटाएंईश्वर ने जो सोच रखा है
जवाब देंहटाएंउसमें विघ्न क्यूँ !
होनी तो काहू विधि ना टरे ...
हर शब्द गहन एवं सत्य ... नि:शब्द करते रचना के भाव आपकी लेखनी को सादर नमन
मुनी वसिष्ठ से पंडित ज्ञानी .....
जवाब देंहटाएंसोध के लगन धरी ...
सीता हरण मरण दशरथ को ....
बन मे बिपत परी ....
यही भजन याद दिला दिया आपने .....
अखंड सत्य बयां करती ऐसी उम्दा रचना जिसे पढ़कर मन प्रसन्न हो गया, अति सुन्दर
जवाब देंहटाएंहोनी होत बहुत बलवान......बहुत सुन्दर पोस्ट।
जवाब देंहटाएंभगवान् राम को भी
जवाब देंहटाएंबनवास जाना पडा
फिर हम तो मनुष्य है
दुःख आने
पर इस उदाहरण से
संतोष तो मिलता ही है
साथ ही विपत्ति से
लड़ने की प्रेरणा भी मिलती है
भविष्य के सुख और दुःख ..
हमारी सोच पर निर्धारित नहीं होते
आपने सच कहा ...
जो होना होता है वही हो कर रहता है .... आगत को थोड़ी देर टाला जा सकता है पर रोका नहीं जा सकता ... बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंजेहि विधि राखे राम ओहि विधि रहिए...क्योंकि राम भी उसी विधि से रहे...एक रावण को हराने के लिए कितने निर्दोषों की बलि चढ़नी है...यह भी तय था|
जवाब देंहटाएंसच कहूं तो देखिए इसी में पूरा जीवन दर्शन है।
जवाब देंहटाएंलेकिन हम समझने को तैयार जो नहीं हैं।
जब प्रभु ने पिता की मृत्यु को मौन स्वीकृति दी
माताओं का वैधव्य स्वीकार किया
सीता को रावण के हवाले किया
उर्मिला,भरत,मांडवी को वियोग दिया ......
फिर क्या कर्मकांड
क्या चेतावनी !
ईश्वर ने जो सोच रखा है
उसमें विघ्न क्यूँ !
होनी तो काहू विधि ना टरे ...
बहुत बढिया. होनी तो होकर रहेगी। कुछ पोंगा पंडित ये नहीं मानते। कम अक्ल वाले तो ये मानते हैं कि वही होनी को भी टाल सकते हैं।
होइहे वही जो राम रची राखा
जवाब देंहटाएंको करी तरक बढ़ावे साखा...
होनी तो काहू विधि ना टरे ...सत्य वचन
ईश्वर ने जो सोच रखा है
जवाब देंहटाएंउसमें विघ्न क्यूँ !
होनी तो काहू विधि ना टरे ...
अकाट्य सत्य !!
होत वही जो राम रची राखा...
जवाब देंहटाएंजब जब जो जो होना है , तब तब सो सो होता है.
जवाब देंहटाएंगहन मूल्यों से सजी है रचना.
होनी तो होकर रहे अनहोनी ना होय,,,
जवाब देंहटाएंहोनी को टाला नही जा सकता हैं,,,,,,अटल सत्य है,,,,
आपको पढना एक सुखद अनुभव है...राम कथा के इस अंश को आपने अपनी कलम से जीवित कर दिया है...
जवाब देंहटाएंनीरज
टर न सके, होनी कहरावे..
जवाब देंहटाएंकरम लेख ना मिटे करो चाहे लाखों चतुराई ..
जवाब देंहटाएं..फिर भी हम कर्म कांड का सहारा लेते हैं शायद ये हमारा डर है
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 11-10 -2012 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....शाम है धुआँ धुआँ और गूंगा चाँद । .
विधाता का लिखा वो ही जाने !
जवाब देंहटाएंकर्म का लेखा नहीं मिटता लेकिन मनुष्य को अपनी ओर से प्रयत्न से विरत हो जाना और सब होनी पर छोड़ कर बैठ जाना भी सही नहीं है.
जवाब देंहटाएंबिल्कुल नई सोच के साथ पौराणिक पात्रों के माध्यम से आपने बहुत सटीक बात रख दी है जो निश्चय ही विचारों की श्रृंखला में हलचल पैदा कर रही है।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रोचक ..
जवाब देंहटाएंअनहोनी होनी नहीं, होनी हो सो होय ...
जवाब देंहटाएंमगर दिल तो अच्छा ही सोचता है, चाहता है !
गूढ़ ज्ञान देती है आपकी हर पोस्ट !
ईश्वर ने जो सोच रखा है
जवाब देंहटाएंउसमें विघ्न क्यूँ !
होनी तो काहू विधि ना टरे ...
bilkul sahi ...
जो विधाता ने लिख दिया है
जवाब देंहटाएंउसे कौन मिटा सकता है..
गहन भाव लिए बेहतरीन रचना..
बहुत सुन्दर कविता दीदी ... पर मेरा मन कहता है कि कहीं न कहीं होनी के लिए भी हम सब जिम्मेदार रहते हैं ...
जवाब देंहटाएंबरसों से अनुत्तरित प्रश्नों का जवाब ??
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
जन्म , विवाह , मृत्यु ...इनका समय निश्चित है ...इसे कोई नहीं टाल सका ...विधि के विधानों को कोई नहीं पलट सकता .....यह प्रयत्न करना भी व्यर्थ है ...हाँ उस समय को, उस व्यवधान को ..उससे होने वाले कष्ट या असुविधा को कैसे कमतर किया जाये ..बस चेष्टा इसी बात की होनी चाहिए ..वही सार्थक सोच होगी
जवाब देंहटाएंहोनी तो होकर रहे अनहोनी ना होय ।
जवाब देंहटाएंसुंदर पोस्ट ।
गहन सोच छोड़ जाती रचना..
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