मैं शबरी
फिर प्रतीक्षित हूँ
कि राम आयें ...
...
नहीं नहीं
इस बार कोई जूठा बेर नहीं दूँगी
मीठा हो या फीका
यूँ ही दे दूंगी खाने को
नहीं प्रदर्शित करना कोई प्रेम भाव
मुझे तो बस कुछ प्रश्न उठाने हैं
- "हे राम
तुमने अहिल्या का उद्धार किया
कैकेई को माफ़ किया
उनके खिलाये खीर का मान रखा
चित्रकुट में सबसे पहले उनके चरण छुए
जबकि उनकी माँग पर ही
राजा दशरथ की मृत्यु हुई थी
...
फिर सीता की अग्नि परीक्षा क्यूँ ?
किसकी शान्ति के लिए ?
सीता का त्याग
किसकी शान्ति के लिए ?
प्रजा के लिए ?
मर्यादा के लिए ?
हे राम,
उस प्रजा को
रानी कैकेई के चित्रकुट जाने पर
कोई ऐतराज नहीं हुआ था ?
जिस सीता के आगे
रावण संयमित रहा
उस सीता के आगे
उनके अपने !!!
कलयुग का अँधा कानून कैसे बन गए ?
ऐसा था -
तो जिस तृण ने
माँ सीता का मान रखा था
क्या उस तृण की गवाही नहीं हो सकती थी ?
त्रिजटा थी उस अशोक वाटिका में
उससे ही पूछ लेना था सच !!
हे प्रभु
तुम्हें तुम्हारे रघु कुल की कसम
सच सच बताना
अगर अग्नि परीक्षा में माता जल जाती
तो क्या उनका सतीत्व झूठा हो जाता ?"
देखूँ - राम के न्यायिक शब्द
उनके मन के किस गह्वर से निकलते हैं
जिन्होंने कहा था,
सौ बार धन्य है वह एक लाल की माई
जिस जननी ने है जना भरत-सा भाई।"(मैथिलीशरण गुप्त )
मैं शबरी आज कहना चाहती हूँ
"सौ बार धन्य है वह लवकुश की माई
जिसने वन में उनको कुल की मर्यादा सिखलाई"
कुछ प्रश्न अनुत्तरित रहने के लिए ही बने होते हैं....यह प्रश्न भी उनमें से एक है..हाँ यह भी कह सकते हैं, राम केवल एक पति ही नहीं थे, राजा भी थे, उस समय के समाज की मर्यादाओं के अनुसार उन्होंने अपना कर्त्तव्य जानकर ही ये कर्म किये होंगे, सीता भी अवश्य इसे जानती होंगी.
जवाब देंहटाएंसहमत हूँ ... कई बार इसे प्रश्न किसी की मर्यादा की उलंघन भी कर जाते हैं ... पर इतिहास तो समय मांगता है ... बहुत प्रभावी रचना है ...
हटाएंमाई हमेशा ऊपर रही है मर्यादा के मामले में और मर्यादा पुरुषोत्तम राम कहलाये हैं।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 18 जून 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (18-06-2017) को गला-काट प्रतियोगिता, प्रतियोगी बस एक | चर्चा अंक-2646 पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
माई तो सब त्यागती चली आई है फिर भी कुछ नया करने की सोचती है अपनों के प्रति
जवाब देंहटाएंकमाल की रचना है
सादर
बहुत सुन्दर.....
जवाब देंहटाएंशबरी राम के माध्यम से..समाज पर सटीक व्यंग...
वैदिक साहित्य के सन्दर्भों को रोचकता प्रदान करती ,वैचारिक विमर्श के साथ प्रस्तुत एक भव्य एवं विचारोत्तेजक रचना। बधाई।
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