शोर से अधिक एकांत का असर होता है, शोर में एकांत नहीं सुनाई देता -पर एकांत मे काल,शोर,रिश्ते,प्रेम, दुश्मनी,मित्रता, लोभ,क्रोध, बेईमानी,चालाकी … सबके अस्तित्व मुखर हो सत्य कहते हैं ! शोर में मन जिन तत्वों को अस्वीकार करता है - एकांत में स्वीकार करना ही होता है
08 मार्च, 2021
महिला दिवस
03 मार्च, 2021
चाहा तो ऐसा ही था !
01 मार्च, 2021
अटकन चटकन
विरासत में पिता से मिली कलम, वंदना अवस्थी ने उसे सम्मान से संजोया ही नहीं, ज़िन्दगी के कई सकरी गलियों में घुमाया, कहीं रुदन भरा,कहीं हास्य,कहीं घुटन,कहीं विरोध और अपनी खास दिनचर्या में इसकी खासियत को बड़े जतन से शामिल किया । "बातों वाली गली" से गुजरकर, आज अटकन चटकन की गलियां हैं, जिसमें सिर्फ सुमित्रा,कुंती ही नहीं, किशोर,छोटू,रमा,जानकी,छाया, ... जैसे विशेष पात्र भी हैं, और लेखिका ने किसी को अपनी कलम से अछूता नहीं रखा है ।
हवाओं के रुख़ का सामना
दौर का कमाल है, बड़े बुजुर्गो की कौन कहे जिनके दूध के दांत भी नहीं टूटे हैं वे भी बुद्धिजीवी हैं, वे सोच समझकर भले न बोलें, आपका मान हो न ...

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भगवान ने कहा, मुझको कहाँ ढूंढे - मैं तो तेरे पास हूँ । बन गया एक पूजा घर, मंदिर तो होते ही हैं जगह जगह । अपनी इच्छा के लिए लोगों न...
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बिना फूल, अगरबत्ती, चढ़ावे के, मैं तुम्हें घर में ही झाँक झाँक कर देखती रही, टॉफी चाहिए हो, कोई जादू देखना हो, कह दिया तुमसे ......