25 फ़रवरी, 2010

होली की शुभकामनायें


रंग प्यार का
रंग आशीष का
रंग हमारी भाषा का
रंग हमारे देश का
रंग हमारे कर्मठ जवानों का
रंग हमारी आन-बान-शान का
रंग हमारे संस्कारों का ....
आओ हम अपनी नफरत का दहन करें
और इन रंगों से अपना आज रंग लें
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होली की शुभकामनायें


20 फ़रवरी, 2010

खाकर देखो तो


गोल-गोल रोटियों पर
आज एक नज़्म लिखा है
दाल में ख़्वाबों का तड़का लगा
सब्जी में ख्वाहिशों का नमक मिलाया है
खाकर देखो तो
ज़िन्दगी क्या कहती है

18 फ़रवरी, 2010

सुकून


ना किसी डाकिये की ज़रूरत है
ना कबूतर की
मेरे पंख हैं ना !
उड़कर आना
अपनी चोंच में दबे शब्द
तुम्हारी मेज पर रखना
सुकून देता है
और अगली लम्बी उड़ान की
प्रबल इच्छा होती है

14 फ़रवरी, 2010

दिल का हिस्सा


मैं दिल का वह हिस्सा हूँ
जिससे तुम कहो ना कहो
वह सुनता है
धड़कता है.....
कई बार आँखें नम होती हैं
पलकों पे ठहरी बूंद
तुम्हारी परछाईं बन जाती है

09 फ़रवरी, 2010

कुछ कह दो


कुछ भी पुराना नहीं
कुछ भी अनजाना नहीं
कुछ भी अनकहा नहीं
कुछ भी अनसुना नहीं
फिर भी क्यूँ हैं हम अजनबी से
क्यूँ ओढ़ ली है हमने
ख़ामोशी की चादरें
क्यूँ हमने अपनी-अपनी सरहदें बना ली हैं

प्यार की बातें भी तो
हमने ही की थीं
एहसास की बातें
हमने ही की थीं
तो फिर क्यूँ
-
आज आँखें वीरान हैं
क्यूँ दिलों की धरती
बाँझ हुई जाती है
मौन तोड़ो
कुछ कह भी दो !

03 फ़रवरी, 2010

ख्वाब पूरे होंगे




कहता है वो
ख्वाब होते ही हैं
सच होने के लिए
यूँ ही ख्वाब आँखों में नहीं उतरते

सुनते ही एक अदृश्य डोर
मेरी पाजेब बन जाती है
रुनझुन की मिठास बन
उसके आँगन में
पूजा के दीप जलाती है

कहता है जो वह सच
तो ये ख्वाब भी पूरे होंगे !

बुनियाद

 जो रिश्ता रिश्तों के नाम पर एक धारदार चाकू रहा, उसे समाज के नाम पर रिश्तों का हवाला देकर खून बहाने का हक दिया जाए  अपशब्दों को भुलाकर क्षमा...