![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEim4vJjuvTAP4jrltShqgZVmzdP1cAZ0GTAGEu91hr5mgHDFRY9AZJtqBvMCpV5xhjd6zKs1nm8dhn58Cf694QgGB5jfxEUK3LaoS23HHMeCIcOvFRjnT5o9MFdLE_bfYqA_FI_2emGPp8P/s200/diwali.jpg)
आंसुओं की नदी में
मैंने अपने मन को,
अपनी भावनाओं को
पाल संग उतार दिया है.........
आंसुओं के मध्य
जाने कितनी अजनबी आंखों से
मुलाक़ात हो जाती है-
फिर उन लम्हों को पढ़ते हुए
मेरी आँखें
उनके जज्बातों की तिजोरी बन जाती हैं.........
जाने कितनी चाभियाँ
गुच्छे में गूंथी
मेरी कमर में,मेरे साथ चलती हैं.....
और रात होते
मेरे सिरहाने,
मेरे सपनों का हिस्सा बन जाती हैं,
जहाँ मैं हर आंखों के नाम
दुआओं के दीप जलाती हूँ !
मैंने अपने मन को,
अपनी भावनाओं को
पाल संग उतार दिया है.........
आंसुओं के मध्य
जाने कितनी अजनबी आंखों से
मुलाक़ात हो जाती है-
फिर उन लम्हों को पढ़ते हुए
मेरी आँखें
उनके जज्बातों की तिजोरी बन जाती हैं.........
जाने कितनी चाभियाँ
गुच्छे में गूंथी
मेरी कमर में,मेरे साथ चलती हैं.....
और रात होते
मेरे सिरहाने,
मेरे सपनों का हिस्सा बन जाती हैं,
जहाँ मैं हर आंखों के नाम
दुआओं के दीप जलाती हूँ !