
शोर से अधिक एकांत का असर होता है, शोर में एकांत नहीं सुनाई देता -पर एकांत मे काल,शोर,रिश्ते,प्रेम, दुश्मनी,मित्रता, लोभ,क्रोध, बेईमानी,चालाकी … सबके अस्तित्व मुखर हो सत्य कहते हैं ! शोर में मन जिन तत्वों को अस्वीकार करता है - एकांत में स्वीकार करना ही होता है
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जो गरजते हैं वे बरसते नहीं
कितनी आसानी से हम कहते हैं कि जो गरजते हैं वे बरसते नहीं ..." बिना बरसे ये बादल अपने मन में उमड़ते घुमड़ते भावों को लेकर आखिर कहां!...
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पति-पत्नी भाई-भाई बुज़ुर्ग- युवा,बच्चे .... रिश्ते क्यूँ टूटे क्यूँ हल्के हैं जानने के लिए - गड़े मुर्दे से कारणों ...
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सम्मान का अपमान नहीं हो सकता गरिमा धूमिल नहीं की जा सकती जो मर्यादित है उसे गाली देकर भी अमर्यादित नहीं किया जा सकता ... ...
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