01 अप्रैल, 2008

अच्छा किया.......


आंसू हर पल आंखों में नहीं तैरते,

लम्हा-दर-लम्हा -

जब्त हो जाते हैं,

विरोध का तेज बन जाते हैं.........

तुमने अपनी गरिमा में,

आंसुओं को बेमानी बना डाला,

अच्छा किया,

मैं वक्त की नजाकत का पाठ ,

भला कैसे सीख पाती!

तुमने मेरे वजूद की रक्षा में

ख़ुद को दाव पर नहीं लगाया ,

अच्छा किया,

मैं अपनी ज़मीन कहाँ ढूँढ पाती !

तुमने मेरे प्रलाप में चुप्पी साध ली,

अच्छा किया,

मैं पर्वत-सी गंभीरता कैसे ला पाती!

तुमने जो भी किया,

अच्छा किया,

मैं तुम्हारे पीछे भागना कैसे छोड़ पाती!

14 टिप्‍पणियां:

  1. मैं तुम्हारे पीछे भागना कैसे छोड़ पाती!


    kitne ebadee baat hai is ek pankti men

    Anil

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  2. Bahut hi Achchi rachana. Baqui Viparit paristhityo ka jivan me aana bhi bahut jaruri hota hai, majbooti se aage badne ke kala sikhne ke liye.

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  3. bahut hi sahi feelings

    तुमने जो भी किया,

    अच्छा किया,

    मैं तुम्हारे पीछे भागना कैसे छोड़ पाती!

    bahut acchi kavita likhi hai aapne rashmi ji

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  4. मैं पर्वत-सी गंभीरता कैसे ला पाती!

    main teri aankho se dunia kaise dekh pati

    main teri baahon main kaise jhool pati

    tu na hoti meri kavitaaye meri bhvnaaye kaise jaag pati

    main tere darpan ko apne andar kaise dekh pati............

    tu na hoti to mera jivan ek kora kagaz aur mera mann ek khali kalam hota...

    tu na hoti to ........................................

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  5. "accha kiya" bahut hi acchi lagi . maan ko chu gayi .aur accha kiya aapne jo ye rachna kar dali .
    badhai swavikaar kariye

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  6. तुमने मेरे वजूद की रक्षा में


    ख़ुद को दाव पर नहीं लगाया ,


    अच्छा किया,


    मैं अपनी ज़मीन कहाँ ढूँढ पाती !


    अलगाव के दर्द को नए शब्द दिए हैं .मन को सबल करती है आपकी रचना .

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  7. अच्छा किया,
    जो मुझे सराहा.....
    वरना मैं शब्दों की लय कैसे पकड़ पाती......

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  8. bahut bahut acchi aur komal abhi vyakti lagi mujhe..dharatal pe likhi gayi arth-purn rachna hai..

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  9. aapne apne shabdon ki ganga main utarne ka ek mauka diya...
    "achha kiya"
    saty ko saras prastoot kiya...
    "achha kiya"
    haath thamne waale ko to sathi jahan kehta hai..
    jo beech rah haath chhod....akela rah me chhod....jeevan ka paath sikaye...use saathi kaha..
    "achha kiya"

    ...ehsaas ki di...saarthak kavi..
    aur us par ye kavita likhi.."achha kiya"
    "achha kiya"
    ...ehsaas!

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  10. मैं पर्वत-सी गंभीरता कैसे ला पाती!

    तुमने जो भी किया,

    अच्छा किया,

    मैं तुम्हारे पीछे भागना कैसे छोड़ पाती!


    aage aapko kuch kahne ki zarurat hi nahi....behtareen

    avinash

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  11. THANX 4 SHAREING....THIS POEM

    AAPNE HINDI KAA BAHUT HI ACCHA UPYOG KIYA HAI...

    EK DUM SHUDH HINDI HAI AUR BAHUT HI GEHERE BHAV HAI AAPKE.

    THANX ...

    AUR LIKHTE RAHIYE

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