खुशनुमा हवाओं की खातिर,
खोला था रौशनदान....
तूफां के आसार नहीं थे -
पर आया तूफ़ान!
सोचूं,समझूँ और सम्भालूं.....
बाहर की सारी गंदगी,
आ गई थी कमरे के अन्दर...
यही हुआ है बार-बार,
जब-जब खोलें हैं मन के द्वार!
हमदर्द तो कोई आया नहीं,
हाँ,ज़ख्म कुरेदकर चल दिए...
अब तो बस है एक उपाय,
बंद करूँ सारे दरवाज़े,
सिमट जाऊं और खो जाऊं,
-भूले से ना नज़र आऊं..............
kavita sunder haen
जवाब देंहटाएंper khona mat kyokii naari per maeri latest post mae kament jo dena haen
hmmm
जवाब देंहटाएंkhidki aur man ka acha talmail hai
magar dhool mitti band kamre mai jayda hoti hai
hai na
aap behda acha ..bahut soch-smajh kar aur badi zimeedari se likhti hai
ye ek sache kalam-kaar ki nishani hai
ye nishani sada abaad rahe
bahut gehre bhav hai,man ki patal senikale huye,bahut khub
जवाब देंहटाएंकविता का भाव सुंदर है ..ख़ुद का वजूद बहुत हद तक खो चुके हैं हम अब तो जागने का दिल करता है :)
जवाब देंहटाएंतूफानों से लड़ना सीखें, उनका सामना करें, मुकाबला करें. तूफान ठहरा नहीं करते..आते हैं और चले जाते हैं. फिर क्यूँ आप सीमटें या दुबके. उनका रास्ता बदलिये.
जवाब देंहटाएंबहूत सुन्दर !! तुफ़ान से डरकर खोना मुझे उचित नही लगा !!
जवाब देंहटाएंतुफ़ान तो इरादे आजमाइश का दौर है "
तम सघन जितना उतना ही समीप भोर है "
"तुफान" कविता अच्छी है, जमीनी सच्चाई पर आधारित है, परन्तु नकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाती है | मन के रौशनदान खुले ही रखने चाहिए, क्युकी तूफान यदा कदा ही आते है, खुशनुमा हवाए अक्सर चला करती है और यदि तुफान कभी काफी गंदगी कमरे में ले भी आता है तो उसे साफ करने के क्रम में एक अरसे से कमरे में जगह बना चुकी गंदगी भी बाहर निकल जाती है |
जवाब देंहटाएंकल 'मंडी'-हिमाचल- मे सुबह मैंने खिड़की खोली थी ...हल्की फुहार के साथ मौसम खुशगवार था ....अभी तक के सफर की कड़वाहट उन बूंदों के साथ धुल गई ...
जवाब देंहटाएंसिमट जाऊं और खो जाऊं,
जवाब देंहटाएं-भूले से ना नज़र आऊं..............
par tabhee vichar ata hai toofanon ke baad hee
aman ka mahol banata hai
khidke eke pas kahdee sochtee hoon
band kar doon ya khulee rahne doon
bahut achha likha hai wo tumharee taraf se kavita ka vishram tha ye meree taraf se achha to tum ne hee likha hai par maine bhee kah dia kuch
Anil
बहुत शानदार रचना है ......आपने ना जाने कितने लोगो कि पीडा को शब्द दिया है........... मन को छूती है रचना ...लगता है जैसे मेरी अनुभूति को किसी ने शब्दू के पर लगा दिए हों ........बहुत बढिया रश्मि जी ....शुभकामनाएं....
जवाब देंहटाएंek ummid se kai ummid jagrit hui
जवाब देंहटाएंek TUFAN se nikalne ke liye sahil ki ummid karni padi
ek ummid main ek ummid chupi nazar aati hai
tabhi to dunia umiddo par kayam nazar aati hai.............
apne mann ke duar aur bade kar lgiye hamdard aate to hain lekin dard itna hota hai hamdard bhi dard ban jate hai.........
sangati ka asar hai........