19 अप्रैल, 2008

माँ की शक्ति......


परिस्थितियाँ परिभाषाएं बदल देती हैं,
और एक अलग सच परिभाषित होता है...
चार दीवारों से घिरी एक छत 'घर' नहीं होती ,
'घर' एक माँ होती है,
दो बाँहें-चार दीवारों से अधिक सशक्त होती हैं,
छत में वो बात कहाँ,
जो बात माँ के आँचल में होती है!
आंधी-तूफ़ान,
क्या नहीं सह जाती है माँ,
एक-एक साँस मजबूत ईंट बन जाती है!
चार दीवारों का घर अपना न हो,
बनाये रिश्तों की यादें अपनी न हों ,
माँ-एक सुरक्षित घर का एहसास देती है,
ममता के जादुई स्पर्श से
-किराए का दर्द बाँट लेती है.........

12 टिप्‍पणियां:

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  2. ममता के जादुई स्पर्श से
    -किराए का दर्द बाँट लेती है.........

    iske aage kuchh nahi hai kahne ko.........do aansuon ki bunde bhej raha hun....aapke charno ke liye bas.....mujhe charanamrit lauta dijiyega

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  3. ''मां की शक्ति'' ॰॰॰॰॰॰॰रश्मी जी बेहद गंभीर रचना है ॰॰॰॰ मां का तो कोई जोड़ नही जितना लिखा जाये कम है ॰॰॰आपने अपनी कलम का इतना अच्छा उपयोग किया है उसके लिये आपको बहुत बहुत शुभकामनायें॰॰॰

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  4. ghar ek maa hoti hai.............
    aapki soch aapke shabd jab ek mala main piroye jate hain to wo mala aisa attot bandhan ban jati hai jiska koi tod nahi aur apne anmol roop se aapki kaviton ko is prakar sajati hai jaise bagwaan apne bagiche ko,maa apne ghar ko,
    aur patni apne shrngaar ko,
    bahen apni raakhi ko aur bhai apne kartacya ko...........

    jo ghar ko apni mamta apni tapsya se ek naya roop deti hai
    jo ghar ko mandir aur apne bacho ko bhagwaan ka aashirwaad samjhti hai
    har ghar maa ke pyar aur uske kabhi na khtam hone wale vishwaas se ghar ki neev ko majboot banata hai
    ek maa ka aanchal apne bacho ko jivan ke har dukh se chipata hai

    upar jiska ant nahi use aansma khete hain
    jiske pyar ka ant nahi usko ho maa khete hain

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  5. सही कहा आपने, घर ईंट पत्थरों से घिरी चारदीवारी को नहीं कहते, वालिक उस स्थान को कहते है जहा प्रेम, ममता एवम विश्वास जैसे अमूल्य सम्पदाओ का वास हो, और एक माँ से बेहतर इस सम्पदा को कौन न्योछावर कर सकता है भला ?

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  6. माँ-एक सुरक्षित घर का एहसास देती है,
    ममता के जादुई स्पर्श से
    -किराए का दर्द बाँट लेती है
    bahut bahut sundar,maa ki mamta ka varnan bahut khubsurat hai.

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  7. मार्मिक.. अत्यंत मार्मिक...
    और सच भी.. के परिस्थितियाँ एक अलग सच परिभाषित करती हैं...
    आपने नींद की गोली और नींद के बीच का अंतर स्पष्ट कर दिया है...
    कुछ भी शब्दों में कहना ठीक नही होगा.. अपने जो भी लिखा है.. महसूस करने के लिए है...

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  8. बढिया कविता है. कलर थोडा हल्का कर दें.

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  9. "परिस्थितियाँ परिभाषाएं बदल देती हैं,
    और एक अलग सच परिभाषित होता है...
    चार दीवारों से घिरी एक छत 'घर' नहीं होती ,
    'घर' एक माँ होती है"

    एकदम सही कहा है आपने... यह घर आज के 'flats' के जाल में कही खो गया है..

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  10. इस से बड़ा सच और क्या होगा,घर तो बस माँ से है..चाहे वो झोंपड़ी हो या महल,जहाँ माँ है घर बस वही है....

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  11. maa ka koi replacement nahi hota ,aor maa jaisa bhi koi nahi ...ye ek unwritten sach ahi...

    "sochta hun poochu maa se ek din
    kitna mushkil hai aasan hona"

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 कोई रेस तो है सामने !!! किसके साथ ? क्यों ? कब तक ? - पता नहीं ! पर सरपट दौड़ की तेज़, तीखी आवाज़ से बहुत घबराहट होती है ! प्रश्न डराता है,...