22 अप्रैल, 2008

रावण रोता है...

रावण ने सीता का अपहरण किया,
कैद रखा वाटिका में,
पर तृण की ओट का मान रखा...
अपने ही नाश यज्ञ में उसने,
ब्राह्मण कुल का धर्म निभाया,
राम के हाथों प्राण तजे,
सीधा स्वर्ग को प्राप्त किया...
जाने कितने युग बीते!!!!
आज भी रावण को जलाते हैं,
और सत्य की जीत मनाते हैं !
पर गौर करो इस बात पे तुम,
गहराई से ज़रा मनन करो,
रावण को वे ही जलाते हैं,
जो राम नहीं कहलाते हैं,
ना ही रावण के चरणों की,
धूल ही बन पाते हैं...
जाने कितनी सीताओं का,
वे रोज़ अपहरण करते हैं...
ना रखते हैं किसी तृण का मान,
बन जाते हैं पूरे हैवान ...
ना राम का आना होता है ,
ना न्याय की आंखें खुलती हैं,
सीता कलंकिनी होती है ,
रावण भी फूट के रोता है!!!!!

15 टिप्‍पणियां:

  1. जाने कितनी सीताओं का,
    वे रोज़ अपहरण करते हैं...
    ना रखते हैं किसी तृण का मान,
    बन जाते हैं पूरे हैवान ...
    ना राम का आना होता है ,
    ना न्याय की आंखें खुलती हैं,
    सीता कलंकिनी होती है ,

    बहुत सही लिखा है आपने रश्मि जी ...रोज़ अब ऐसी खबर आना जैसे एक रूटीन बन गया है ..और यह दिन बा दिन बढता ही जा रहा है ,..इस कविता में आपने आज के मर्म को छुआ है

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  2. रावन का सीताहरण से ज्यादा अफसोसजनक तो राम के द्वारा सीता को राज्य -निकाला देना है , वो भी अग्निपरीक्षा लेने का बाद.ये उनकी मर्यादा पुरुषोत्तम की पदवी को धूमिल करता है.

    और आज के रावन -दहन करने वाले तो बेशर्मी और दोगलेपन की प्रतिमूर्ति है..

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  3. दर्दनाक,लेकिन हकीकत यही है.

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  4. आपकी कविता पढी,पढ कर लगा मानो यथार्थ का झरोखा है ।
    आपकी अगली कविता का इंतजार है ।

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  5. आपने "रावण रोता है" के माध्यम एक बहुत ही प्रासंगिक विषय को प्रभावशाली तरीके से पेश किया है | आपने बिलकुल सही कहा की वो रावण जो सदियों से प्रतीक रहा है बुराई का, अधर्म का, अमर्यादित आचरण का, लेकिन उसके अन्दर भी कई वेसे गुण थे जिसमे से एक का वर्णन आपने अपनी कविता के माध्यम से किया है, आज के so called सभ्य समाज के लिए दुर्लभ बना हुआ है और आचरण में लाने योग्य है |

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  6. ना राम का आना होता है ,
    ना न्याय की आंखें खुलती हैं,
    सीता कलंकिनी होती है ,
    रावण भी फूट के रोता है!!!!!
    satya vachan hai ye.........bahut dukh hota hai aaj
    ram nahi to kash koi raavan hi hota hamare andar


    avinash

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  7. u have ultimate view...really

    bahut sahi...
    "ravan bhi foot ke rota hoga"....
    sahi hai

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  8. रावन का पुतला ही जलाते है पर सबके मन मे रावन आज भी जिंदा है ...

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  9. सीता कलंकिनी होती है ,
    रावण भी फूट के रोता है!!!!!

    रावण को वे ही जलाते हैं,
    जो राम नहीं कहलाते हैं,
    ना ही रावण के चरणों की,
    धूल ही बन पाते हैं...

    "आज" पर एक सच्चा कटाक्छ है...Maa'm
    बहुत सच्ची है आपकी कविता... बहुत गहरी..

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  10. is baat ko kayee baar padha hai par jis tarah se aaj padha kabhee nahee padha maine

    Anil

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  11. bilkul sahi aur yatharth ...... kal kya hua tha kisi ko pata nahi magar aaj jo ho raha hai wah to aankhon se dikh raha hai. ram aur ravan ka example dekar na jane kitni kahaniyan ban gayi magar agni pariksha to aaj bhi hai.......

    lekin aaj thoda mamla alag hai kal ko dhobi ke kahne par sita ke sath jo hua tha aaj apne hi ghar ke logon ke kahne par agni pariksha aur agni sanskar ho jata hai... samasya aur sthiti dono bahut dukhad hai.......

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