खुद की तलाश में
जाने कितनी सीढ़ियाँ चढ़ गईं
साँसें फूलने लगी तो लगा
बहुत दूर निकल आई ....
नीचे देखा तो खाई थी
ऊपर और उंचाई
जो पानी लेकर चली थी
वह खत्म हो चला था !
आशान्वित नज़रों से आकाश को देखा
बादल का एक श्यामल टुकड़ा ही दिख जाए
कौवे का , सियार का ब्याह हो
तो बिना बादल बरसात हो जाए ...
पर आह !
आकाश का स्वच्छ नीलापन
हलक में घरघराने लगा
खुद को पाने की तलाश के आगे
अँधेरा छाने लगा !
अधर में खड़ी काया
क्या खोया क्या पाया से परे
आशंकित हो चली थी -
नीचे गिरी तो अब उठने का हौसला नहीं
शब्दों के तिनकों का सहारा भी नहीं !
उम्र थी तो शब्दों का हौसला देवदार सा लगता था
सूरज भी अपनी मुट्ठी में लगता था
अब तो मुट्ठी बंधती ही नहीं
और सूरज नए कलेवर नए अंदाज में
आज भी अड़ा है ...
ठहरो ठहरो - कुछ दिख रहा है
एक टुकड़ा बूंद का हलक में गिरा है
टुकड़े टुकड़े ज़िन्दगी में एक छाया वट सी दिखी है
मुमकिन नहीं तो नामुमकिन भी नहीं
उसकी झलक अपनी सी लगी है !
.................................
इस एहसास के दृश्य पर टेक लगा लूँ
जिन पंछियों ने घोसले बनाये हैं
उनके गीत सुन लूँ ...
आगे तो अनजाना विराम खड़ा है
जीवन की समाप्ति का बोर्ड लगा है
होगी अगर यात्रा
तो देखा जायेगा
मृत्यु के पार कोई आकाश होगा
तो फिर से खुद को खोजा जायेगा !
आपके खोज की खोज में लगा हूँ..
जवाब देंहटाएं... शानदार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंजिन खोजा ...तिन पाइयाँ......
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ!
सही है आज को जीभर जी लूँ
जवाब देंहटाएंमृत्यु के पार कोई आकाश होगा
तो फिर से खुद को खोजा जायेगा....
shandar aur marmik...
जवाब देंहटाएंshandar rachna aur jidagi ke bare me sochne ko majboor karti rachna...
जवाब देंहटाएंऐ चाँद अपने आकाश को देख
जवाब देंहटाएंवहाँ तू अकेला नहीं
हैं आस पास सितारे कितने
टिमटिम कर खेलते लुकाछिपी
झिलमिल करते तेरी गोद में
उन सबका साथ क्या
उमंगित होने के लिए काफी नहीं...
दी, इतनी हताशा क्यूँः(
मृत्यु के पार कोई आकाश होगा
जवाब देंहटाएंतो फिर से खुद को खोजा जायेगा !........खुद को खोजना इतना भी आसान नही...पूरी जिन्दगी बीत जाती है खुद को जानने खुद को समझने में......पर मुझे लगता ्है रश्मि जी आप खुद को खोजने में सफल हो ही जायेगी एक दिन.......भावपूर्ण रचना
मृत्यु के पार कोई आकाश होगा
जवाब देंहटाएंतो फिर से खुद को खोजा जायेगा !
खुद को पा लेने के बाद भी खुद को खोजना जारी रहता ?
अद्धभुत अभिव्यक्ति .... !!
होगी अगर यात्रा
जवाब देंहटाएंतो देखा जायेगा
मृत्यु के पार कोई आकाश होगा
तो फिर से खुद को खोजा जायेगा !
बेहतरीन अभिव्यक्ति की सुंदर रचना ,,,,,
टुकड़े टुकड़े ज़िन्दगी में एक छाया वट सी दिखी है
जवाब देंहटाएंमुमकिन नहीं तो नामुमकिन भी नहीं
उसकी झलक अपनी सी लगी है !
....कितना मुश्किल होता है खुद को खोजना...बहुत गहन और सुन्दर अभिव्यक्ति....
bahut acchi rachna .
जवाब देंहटाएंइस एहसास के दृश्य पर टेक लगा लूँ
जवाब देंहटाएंजिन पंछियों ने घोसले बनाये हैं
उनके गीत सुन लूँ ...
आगे तो अनजाना विराम खड़ा है
जीवन की समाप्ति का बोर्ड लगा है
होगी अगर यात्रा
तो देखा जायेगा
मृत्यु के पार कोई आकाश होगा
तो फिर से खुद को खोजा जायेगा !
jiwan ke karib .kah dun sundar nahin
mere dil ke karib hai .
होगी अगर यात्रा
जवाब देंहटाएंतो देखा जायेगा
मृत्यु के पार कोई आकाश होगा
तो फिर से खुद को खोजा जायेगा !
सही कहा.जीवन फिर मिले तोफिर खुद कि तलाश होगी.गहन भाव लिये बेहतरीन रचना..
जीवन अपने आप में एक खोज-यात्रा ही है।
जवाब देंहटाएंआप सफल हों...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !
बहुत सुन्दर रचना. अपनी खोज कभी पूरी नहीं होती.
जवाब देंहटाएंतो देखा जायेगा
जवाब देंहटाएंमृत्यु के पार कोई आकाश होगा
तो फिर से खुद को खोजा जायेगा !sach me phir khoja jayega..... kya ta ye khoj hame kahan tak le jaaye...
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
मृत्यु के पार कोई आकाश होगा
जवाब देंहटाएंतो फिर से खुद को खोजा जायेगा !
क्या मृत्यु के बाद की दुनिया और उसके राज़ को कोई जान पाया हैं ....क्या कभी किसी ने अपनी खोज मृत्यु के बाद जारी रखी हैं ????????
यह वह खोज है जो हमें प्रभु के दर्शन कराता है।
जवाब देंहटाएंटुकड़े टुकड़े ज़िन्दगी में एक छाया वट सी दिखी है
जवाब देंहटाएंमुमकिन नहीं तो नामुमकिन भी नहीं
उसकी झलक अपनी सी लगी है !
very nice.....
होगी अगर यात्रा
जवाब देंहटाएंतो देखा जायेगा
मृत्यु के पार कोई आकाश होगा
तो फिर से खुद को खोजा जायेगा !
...और यह खोज ज़ारी रहती है .....रश्मिजी ...आपके बिम्ब ..आपके अहसास हाथ पकड़कर रोक लेते हैं .....एक enriching experience है आपको पढना !!!!
आज कल तो अहम् ब्रह्मास्मि के बाद प्रश्नवाचक चिन्ह लगने लगा है
जवाब देंहटाएंगहन , खोजेंगें तो ही शायद खुद को पा सकें
जवाब देंहटाएंकाश कि आसान होता यूँ खुद को खोजना......
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना दी.
सादर.
इस एहसास के दृश्य पर टेक लगा लूँ
जवाब देंहटाएंजिन पंछियों ने घोसले बनाये हैं
उनके गीत सुन लूँ ...
आगे तो अनजाना विराम खड़ा है
जीवन की समाप्ति का बोर्ड लगा है
होगी अगर यात्रा
तो देखा जायेगा
मृत्यु के पार कोई आकाश होगा
bahut hi darshnik kavita hai bhavon ka ufan liye huye ati sunder bahut bahut badhai
rachana
होगी अगर यात्रा
जवाब देंहटाएंतो देखा जायेगा
मृत्यु के पार कोई आकाश होगा
तो फिर से खुद को खोजा जायेगा !
...और यह खोज ज़ारी रहती है .....रश्मिजी ...आपके बिम्ब ..आपके अहसास हाथ पकड़कर रोक लेते हैं .....एक अनूठा अनुभव है आपको पढना
इस एहसास के दृश्य पर टेक लगा लूँ
जवाब देंहटाएंजिन पंछियों ने घोसले बनाये हैं
एहसास के ये दृश्य ही तो जीजिविषा हैं.
मृत्यु के पार कोई आकाश होगा
जवाब देंहटाएंतो फिर से खुद को खोजा जायेगा !
यह खोज जीवन पर्यंत चलती रहती है.
मृत्यु के पार कोई आकाश होगा
जवाब देंहटाएंतो फिर से खुद को खोजा जायेगा !
बेहतरीन रचना..
mast
जवाब देंहटाएंwah.....
जवाब देंहटाएंसबकी अपनी अपनी खोज जारी है देखें कौन खुद से कैसे और कब मिलता है।
जवाब देंहटाएंउम्मीद है...मृत्यु के पार सब सार समझ आ जायेगा...खुद की खोज शायद तब भी जारी रहे...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कविता!
जवाब देंहटाएंअन्त कितना प्रभावकारी है-
"....मृत्यु के पार कोई आकाश होगा
तो फिर से खुद को खोजा जायेगा !"
गहन भावों के साथ हमेशा की तरह उत्कृष्ट लेखन ... आभार
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही बेहतरीन.....उम्मीद है खुद की तलाश में हम फिर से साथ चलेंगे ।
जवाब देंहटाएंBahut hi sunder ,identity and the purpose of our life!!!
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