आदरणीय अम्मा ,
सादर प्रणाम !
आशा करती हूँ तुम पहले से बेहतर होगी
हमलोग सकुशल हैं .
पहले के शांत दिनों को लौटाने का यह एक प्रयास है ....
दिन लौटेंगे या नहीं
इस पर कैसा चिंतन -
प्रयास है और यकीन है
कि यादों के गीत गाती स्मृतियाँ
जो दुबकी हैं कहीं
वे सुगबुगायेंगी
मुस्कुरा कर झाँकेंगी
और कितने सारे गीत जो डायरी में गुम से हैं
उन यादों के होठों पर थिरकेंगी
नमकीन आंसुओं की मिठास लिए
कई घंटे रिवाइंड कर देंगी !
....
आज पापा का जन्मदिन है
पापा ऊपर जा बैठे हैं तो क्या
शुभ दिन का खाना तो हम बनाते हैं न
आँखें खुलते ही एक दूजे को याद कर लेते हैं
और यादों का पिटारा खोल लेते हैं ...
......
मेरे बच्चों ने तो पापा को देखा भी नहीं
पर नाना के जन्मदिन की ख़ुशी मनाते हैं
पास हों या दूर , व्यस्त हों या खाली
संस्कारगत आँखों को बन्द कर
नाना को प्रणाम कर लेते हैं ....
उन्हें मालूम है - आशीष तो मिलना ही मिलना है ....
....
वो सीतामढ़ी , तेनुघाट , और जगदेव पथ का घर
आज भी गले लगाता है
घर का हर कोना प्यार जताता है
शहंशाही अंदाज में आज भी तुम कहती हो -
गीत सुनाओ ....
और मेरा रिकॉर्ड प्लेयर शुरू .
मैंने महसूस किया है -
अपने अपने एकांत में
शोर के अकेलेपन में सब गाते हैं
आधुनिकता कितनी भी हो
वक़्त कितना भी आगे आया हो
गीतों की पिटारी को सबने सम्भाल रखा है
उम्र की थकान हो
या खराश हो
गाने की ख़ुशी आज भी मंद मीठी हवा सी लगती है !
..........
कमी , बुराई तो हर घर में होती है
लड़ाई भी जम के होती है
फिर यह क्या ख़ास बात हुई
जो इसकी ही चर्चा चलती रहे
घमासान लड़ाई के बाद भी दुआ हमारे होठों पे होती है
सबकी प्यारी बातें हमें याद रहती हैं
बोलें न बोलें - धूप परछाईं होते चेहरे
आज भी वही आलम जगाते हैं ...
...
उन्हीं यादों में डूबी अभी अभी गाया है -
' गोद में तेरी सुनी जितनी कहानियाँ
बनके रहेंगी दिल में तेरी निशानियाँ ... '
आँखों से जितने आंसू बहे , गला जितना रुंधा
उतना सुकून मिला है साथ होने का
बहुत देर होती रही है धमाचौकड़ी
तब जाकर बैठी हूँ चिट्ठी लिखने
डाकिया बन तुम तक खुद आ रही हूँ
तबीयत ठीक रखो
बीते दिन लेकर मैं चल पड़ी हूँ ..... यह कहते हुए कि बड़ों को प्रणाम , छोटों को प्यार , शेष फिर .................
तुम्हारी प्यारी बेटी
कुछ नहीं कहूँगी..बस बीते दिन लेकर चल पड़ी हूँ...साथ ही...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर मैं भी डूब गई आपके साथ यादों के समुन्दर में ...वाह
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत पत्र्।
जवाब देंहटाएंचल पड़ा गुज़रे यादोँ का हसीं कारवाँ .......
जवाब देंहटाएंमुबारक हसीं यादेँ !
शुभकामनाएँ!
वे दिन ढल गये तो क्या
जवाब देंहटाएंवे रातें ढल गयीं तो क्या
वे क्षण अब नहीं तो क्या
उन बीते हुये पलों की सारी ताज़गी
सारी महक
सारी जीवंतता
अभी भी अक्षुण्ण है
यादों के पिटारे में।
और पिटारा सुरक्षित है
मेरे पास।
अंतिम यात्रा के साथ भी
रहेगा साथ ही।
रश्मि जी! स्मृतियों को हम नहीं, स्मृतियाँ हमें जीवित रखती है....यह प्रमाणित कर दिया है आपने अपनी इस चिट्ठी में।
माँ की गोद में सुनी गयी कहानियां . एक उम्र तक याद रख उन्हें याद दिलाना .
जवाब देंहटाएंहर घमासान लडाई के बाद भी लबों पर दुआएं , यही प्यार है , हमारे संस्कार हैं , जितने भी बचे हैं , जिनमे भी बचे हैं !
माँ ठीक होंगी !
बीते दिन साथ लेकर चलना ही होता है अगले सफ़र में...
जवाब देंहटाएं'आँखों से जितने आंसू बहे , गला जितना रुंधा
जवाब देंहटाएंउतना सुकून मिला है साथ होने का'
ये साथ... ये शब्द यात्रा... ये चिट्ठी...
नम करती हुई!
अपने अपने एकांत में
जवाब देंहटाएंशोर के अकेलेपन में सब गाते हैं
आधुनिकता कितनी भी हो
वक़्त कितना भी आगे आया हो
गीतों की पिटारी को सबने सम्भाल रखा है
उम्र की थकान हो
या खराश हो
गाने की ख़ुशी आज भी मंद मीठी हवा सी लगती है !
..........
कोमल ...भावपूर्ण रचना ...पापा को नमन ...
वाह ! कितनी सुन्दर सुकून भरी यात्रा है ! इस राह पर बीते हुए मधुर पलों की याद में गीत गुनगुनाते हुए चल पड़ने के लिए मेरा मन भी मचल रहा है ! स्मृतियों की इस बेशकीमती मंजूषा में ना जाने कितनी अनमोल धरोहरें मुझे इशारा करके बुला रही हैं ! आपकी यात्रा भी शुभ हो यही कामना है !
जवाब देंहटाएंयादों की पिटारी साथ लेकर चलना है...बेशकीमती हैं...सावधान रहना होगा:) यात्रा शुभ हो...
जवाब देंहटाएंस्मृतियाँ ही हमारे जीवन का अनमोल खजाना है,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: आश्वासन,,,,,
याद बड़े आते वो दिन अब,
जवाब देंहटाएंमैं मम्मी और ढेर सी बातें।
पापा के जन्मदिन पर शुभकामनायें ... माँ को प्रेम पगा पत्र ...ढेरों यादों की पिटारी खोल दी ॥
जवाब देंहटाएंयादें कितना कुछ दे जाती हैं!
जवाब देंहटाएंआपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है साप्ताहिक महाबुलेटिन ,101 लिंक एक्सप्रेस के लिए , पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक , यही उद्देश्य है हमारा , उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी , टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें
जवाब देंहटाएंपापा के जन्मदिन पर माँ को ऐसा पत्र एक कवयत्री बेटी ही लिख सकती है .
जवाब देंहटाएंबहुत गहन अहसास के साथ खूबसूरत स्मृति पत्र .
आपके पापा को नमन .
khub surat yaado ka karwaa aap weker chal padi....
जवाब देंहटाएंयादों का कारवां यूँ ही चलता रहे ....
जवाब देंहटाएंदिन बीत जाते हैं पर हमेशा साथ रहते हैं ...बहुत अच्छी चिट्ठी
जवाब देंहटाएंबहुत ही खुबसूरत यादो का सिलसिला...
जवाब देंहटाएंमन द्रवित हो जाता है पुरानी यादो के साथ
पर कभी कभी इनके साथ जीना बहुत सुकून भरा होता है...बहुत ही सुन्दर भावमई करती रचना...
:-)
क्या बात है!!
जवाब देंहटाएंआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 25-06-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-921 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
बीते दिन तो सदा साथ ही रहते हैं। कविता पत्र बहुत अच्छा रहा। शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंकुछ बीते दिन हम भी साथ ले चले आपके साथ.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बहुत प्यारी रचना.
स्मृतियों का सुंदर संकलन और सहज बहते भाव..... अति सुंदर
जवाब देंहटाएंयादों का कुछ सानी नहीं
जवाब देंहटाएंकि यादों के गीत गाती स्मृतियाँ
जवाब देंहटाएंजो दुबकी हैं कहीं
वे सुगबुगायेंगी
मुस्कुरा कर झाँकेंगी
बहुत सुन्दर यादें
मुस्कराती हँसी के बीच मधुर गीत के बोल, साथ होने के सुकून के साथ बीते दिन लेकर चलना आपका ... अच्छा लगा ...आभार
जवाब देंहटाएंस्मृतियों का सुंदर संकलन और सहज बहते भाव..... अति सुंदर ...यादों का कारवां यूँ ही चलता रहे ....
जवाब देंहटाएंचिट्ठी से निकली तो तस्वीर में उलझी............
जवाब देंहटाएंसादर
वाह दी.... इतना सुन्दर पत्र.... वाह!
जवाब देंहटाएंसादर बधाई स्वीकारें सुन्दर सृजन के लिए...
सुन्दर और शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंयादों के ऐसे कारवाँ अपनी गूँज ... एक नमी के साथ छोड़ जाते हैं ... दिल कों छूता हुवा पत्र ...
जवाब देंहटाएंयादों का कारवाँ ..
जवाब देंहटाएंदिल को छू लिया
रोते लम्हें गाते लम्हें
जवाब देंहटाएंयाद दिलाते नाते लम्हें
जब जब मन मायूस हुआ है
हौले से सहलाते लम्हें.
मन में रखा छिपा खजाना
आकर कभी चुराते लम्हें
भाग दौड़ में कुंतल उलझे
माँ बन कर सुलझाते लम्हें
कभी पिता के जन्म दिवस पर
झटपट खत बन जाते लम्हें
तन्हाई में लिपट लिपट कर
रोते और रुलाते लम्हें
खारे आँसू से मिठास ले
मीठे गीत सुनाते लम्हें |
आभार !!!!!
पापा के जन्मदिन की अनेक शुभ कामनाएं । चिठ्ठी पढ कर आंख नम हो गई । मै किसे लिखूं चिठ्ठी ?
जवाब देंहटाएंदो किस्म के लोग हैं इस दुनिया में एक वह जो मोल भाव में जीतें हैं इनके पास न स्मृतियाँ हैं न स्मृति कोष ,शब्द कृपण हैं ये लोग ,अभागे हैं .दूसरे छोर पर वह हैं जिनके वर्तमान की सात्विक आंच को व्यतीत की स्मृतियाँ संजीवनी दिए रहतीं हैं .यही लोग गाते हैं कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन ..... .कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंram ram bhai
सोमवार, 25 जून 2012
नींद से महरूम रह जाना उकसाता है जंक फ़ूड खाने को
http://veerubhai1947.blogspot.com/
वीरुभाई ,४३,३०९ ,सिल्वर वुड ड्राइव ,कैंटन ,मिशिगन ,४८ ,१८८ ,यू एस ए .
itna khoobsurat khat......dil tak utar gaya.....
जवाब देंहटाएंआपकी इस पोस्ट को पढ़कर रोना आ रहा है.... love u दी
जवाब देंहटाएंआप कभी-कभी इतना रुला क्यों देती हैं .... पन्ना होता तो गीला हो जाता और स्याही फैल जाता ....
जवाब देंहटाएंदेर हो गई है इसलिए और कोई बात बेमानी लग रहा है ....
पढ़ते- पढ़ते यूँ लगा मानो अपना भी बीते दिनों का पिटारा खुल गया.. सादर प्रणाम..
जवाब देंहटाएंरुला दिया ,आज आपने.
जवाब देंहटाएंpadhataa hi rah gaya 2 baar fir tisri baar aur ...
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