मैं उदाहरण न थी न हूँ ...
होना भी नहीं चाहती !
उदाहरण बनने की चाह में
कई बार मरी हूँ !
कभी उंचाई से गिरी
कभी अग्नि के बीच जली
कभी विश्वास के चक्रव्यूह में
घुट घुट कर अर्धजीवित रही
....
उदाहरण होने के लिए
सिर्फ देना होता है
सामनेवाला कितना भी मज़ाक करे
मुस्कुराना होता है
एक मज़ाक अपनी तरफ से किया
दूसरा मौका हाथ नहीं आता !
दूसरे ने भले ही थप्पड़ मारा हो
गलती अपने अन्दर ढूंढना होता है
पाँचों उँगलियों के निशां भले ही उभर आए हों
कहना कुछ और होता है
सच का उदाहरण किस्सी को भी रास नहीं आता
जज भी मुंह फेर लेता है
क्यूँ न फेरे -
सच तो सच होता है
तो रिश्वत नहीं देता
और बिना रिश्वत के कुर्सी का मोल नहीं
और न ही सत्य का !
वह ज़माना और था
जब एक सच के लिए
आन बान और शान के लिए
लोग आग में कूद जाते थे
अब तो उदाहरण की एक गंध पर
ऐसे लोग आग में धकेल दिए जाते हैं
जो रोते हैं
उनकी आँखों में भी शिकायत होती हैं
- समझाया था ..... !!!
अब शुभचिंतक समझाते हैं -
सत्यवादी हरिश्चंद्र की औलाद बनने की क्या ज़रूरत ?
क्या ज़रूरत है दूसरों के मामले में पड़ने की !
अरे उनके घर का व्यक्तिगत मामला है
बहू को मारें या भाई की हत्या करवाएं
......... अपने काम से काम रखो ....
अब उदाहरण वे होते हैं
जो अंधे , बहरे , गूंगे होकर चलते हैं
और .... तब
बेहतर है - उदाहरण न बनूँ
........... ओह ,
बहुत भारी भरकम है यह शब्द !
सुंदर भाव अभिव्यक्ति,,,,,,अच्छी प्रस्तुति,......
जवाब देंहटाएंपर kyaa जीवित रह पायेंगे ham apne antar ko maarkar ....sochne ko vivash karti rachnaa
जवाब देंहटाएं........ अपने काम से काम रखो ....
जवाब देंहटाएंअब उदाहरण वे होते हैं
जो अंधे , बहरे , गूंगे होकर चलते हैं
और .... तब
बेहतर है - उदाहरण न बनूँ
........... ओह ,
बहुत भारी भरकम है यह शब्द !
सार्थक रचना ....
सच कहा आप ने उदहारण बनना बिलकुल भी आसान नहीं...जिस पर गुज़रती है सिर्फ वही जानता है.
जवाब देंहटाएंसटीक रचना.
आभार.
अब उदाहरण वे होते हैं
जवाब देंहटाएंजो अंधे , बहरे , गूंगे होकर चलते हैं ....
सच कहा दी... न बोलो, न देखो, न सुनो....
जाने यह रास्ता कहाँ जाएगा....
सादर.
वाकई! उदाहरण आजकल न कोई बनना चाहता है... न कोई देखना चाहता है.. एक आम इनसान बने रहना भी दूभर है..
जवाब देंहटाएंआपका
जवाब देंहटाएंउदहारण तो
कहीं नहीं देता,
पर प्रशंसा अवश्य
करता हूँ
निरंतर आपसे
सीखता रहता हूँ
लोग जब पूछते
किस से सीखा
तो आपका नाम
ले लेता हूँ
उदाहरण न देने के अच्छे और सच्चे...उदाहरण !
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ!
सच का उदाहरण किस्सी को भी रास नहीं आता
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सच्ची बात ...
मैं उदाहरण न थी न हूँ ...
जवाब देंहटाएंहोना भी नहीं चाहती !
उदाहरण बनने की चाह में
कई बार मरी हूँ !mam har apki rachna hame sochne me majbur kar deti hai... ek-ek shabd dil ko jhakjhor kar rakh dete hai..... speechlesss.........
...सत्य है,
जवाब देंहटाएंआज उदाहरण बनना ही सबसे मुश्किल है !
नहीं बनना उदाहरण मुझे, बस इंसान रहने दो.
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा रश्मि जी........" अब उदाहरण वे होते हैं.जो अंधे , बहरे , गूंगे होकर चलते हैं".....सटीक और सार्थक प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंसत्यवादी हरिश्चंद्र की औलाद बनने की क्या ज़रूरत ?
जवाब देंहटाएंकई बार मुझे भी सामना करना पड़ा है इस खूबसूरत वाक्य काः)
उदाहरण बनने वाले की छोटी से छौटी भूल भी माफ़ नहीं की जातीः)
अभी तुरंत मैं भी एक रचना पोस्ट करती हूँः)
जीवन एकल, व्यक्ति विशेष,
जवाब देंहटाएंनहीं छोड़ना, यश-अवशेष।
उदहारण और मिसाल बने रहने के लिए खुद का ह्रास तो करना ही पड़ेगा. आखिर बेमिसाल बनना बेहद टेढ़ी खीर है.
जवाब देंहटाएंहां ये सही है कि उदाहरण बनना ठीक नहीं है, बल्कि उदाहरण बनने की सोचना भी अभिमान का प्रतीक लगता है।
जवाब देंहटाएंपर दीदी अपने काम से काम रखें, ये मुश्किल है। कम से कम मैं तो नहीं.....
लेकिन आपका विषय वाकई कई बातें सोचने को मजबूर जरूर कर रहा है..
बहुत सुंदर
हां ये सही है कि उदाहरण बनना ठीक नहीं है, बल्कि उदाहरण बनने की सोचना भी अभिमान का प्रतीक लगता है।
जवाब देंहटाएंपर दीदी अपने काम से काम रखें, ये मुश्किल है। कम से कम मैं तो नहीं.....
लेकिन आपका विषय वाकई कई बातें सोचने को मजबूर जरूर कर रहा है..
बहुत सुंदर
ekdam samyik......sachchi baat.
जवाब देंहटाएंसच में उदाहरण बनना बहुत कठिन है, इस भारी भरकम शब्द को ओढ कर सरल रहना. बहुत अच्छी रचना, बधाई.
जवाब देंहटाएंइस तरह से तो उदाहरण न बनकर भी हम एक तरह के उदाहरण ही बन जाते हैं। तो क्यों न उसी तरह का उदाहरण बन जाया जाए।
जवाब देंहटाएंशानदार रचना
जवाब देंहटाएंएक एक शब्द सत्य है .....हालात ऐसे ही है
जवाब देंहटाएंइस सब का आखिर अंत कहाँ होगा ?
चिंता का विषय है
sach me udaahran banna kitna dardnak hai.
जवाब देंहटाएंbehtar hai udaahran se jyada saadharan bana jaye.
अब उदाहरण वे होते हैं
जवाब देंहटाएंजो अंधे , बहरे , गूंगे होकर चलते हैं
एददम सही
दूसरे ने भले ही थप्पड़ मारा हो
जवाब देंहटाएंगलती अपने अन्दर ढूंढना होता है
जो इतानी सहजता और सरलता से
अभिव्यक्ति करता हो, वो अपने आप
दूसरों के लिए उदाहरण बन जाता है .... आभार .... !!
अब शुभचिंतक समझाते हैं -
जवाब देंहटाएंसत्यवादी हरिश्चंद्र की औलाद बनने की क्या ज़रूरत ?
क्या करें लोंग भी ...
जो सत्य कहे बिना ना रह सके वे भी क्या करें ..
अब उदाहरण वे होते हैं
जो अंधे , बहरे , गूंगे होकर चलते हैं !!
तो ऐसे उदाहरण बनकर भी क्या !!
सत्य वचन !!
अच्छी प्रस्तुति,......
जवाब देंहटाएंउदाहरण बनना तो बहुत मुश्किल है, एक अच्छा इंसान बनकर जी सकें यही कोशिश है... अक्षरशः सत्य... सटीक अभिव्यक्ति... आभार
जवाब देंहटाएंमैं उदाहरण न थी न हूँ ...
जवाब देंहटाएंहोना भी नहीं चाहती !
उदाहरण बनने की ललक हो तो बेशक अंधे गूंगे और बहरे होकर चलना होगा. पर इन सबके बिना भी तो उदाहरण बन ही जाते हैं लोग
sachhe man se sachha udaharan prastut karna aaj ke samay mein katyee aasan nahi..
जवाब देंहटाएंsamaj ke ek bahut bade varg ka kachha chitta udhed kar rakh diya apne..
sarthak prastuti..aabhar!
लफ्ज़ दर लफ्ज़ सही है....चीजों के मायने बदल गएँ हैं ।
जवाब देंहटाएंकुछ शब्दों के बोझ से और कुछ जीवन के उदारहण से ...आत्मा और बोझिल हो जाती हैं
जवाब देंहटाएंHAR BAAR KEE TARAH SUNDAR AUR SAHAJ
जवाब देंहटाएंBHAVABHIVYAKTI . BADHAAEE AUR SHUBH
KAMNA.