मेरी अदम्य ख्वाहिश रही
उम्र से परे -
मैं बनूँ विशाल बरगद
जिसकी छाँव में थकान को नींद आए
पसीने से सराबोर चेहरे सूख जाएँ
प्राकृतिक हवा
कोई प्राकृतिक ख्वाब दे जाए
चिड़ियों के कलरव की धुन
घर से दूर बच्चों की याद दे जाए
और अधिक स्फूर्ति से भरकर
पथिक अपने घर पहुँचे
जहाँ उसके उल्लासित चेहरे को देख
पूरा घर सोंधा सोंधा हो जाए ....
मैं बनती गयी बरगद
चबूतरा बनाया
पानी का मटका रखा
चने गुड़ का खोमचा लगाया
चिड़ियों के लिए अपने हाथों
सजीले घोंसले बनाये
पथिकों के दर्द बांटे
एक पत्ता ख़ुशी का दिया
इस बात से बेखबर
कि एक एक पत्ते के कम होने से
मेरा सौंदर्य कम हो जायेगा !
..... क्योंकि मेरी ख्वाहिशों में मेरा सौंदर्य
उनकी ख़ुशी से जुड़ा था
और बादलों पर भी मुझे पूरा भरोसा था !
आह -
इन्सान होकर भी
इंसानों की नियत से अनजान रही
दूध से बुरी तरह जलकर भी
छांछ को कभी नहीं फूंका
परिणाम-
???
जिन इंसानों ने पापनाशिनी गंगा के सीने पर पाप का तांडव किया
उसकी दिशा मोड़ दी
उसे लुप्तप्रायः कर डाला
वे मुझे क्या बक्शते !
कुल्हाड़ी लेकर वे रोज यहाँ आते हैं
जड़ के पास प्रहार करते हैं
थककर , टेक लगाकर कहते हैं
' गजब की मजबूती है ...'
और कल फिर आने की मकसद लिए लौट जाते हैं
.....
उनके शब्द , उनके इरादे मुझे चीरकर रख देते हैं
चाहती हूँ
अपनी ख्वाहिशों को तिलांजली दे गिर जाऊँ
पर !!!
मैं अपने अस्तित्व से मुक्त हो सकती हूँ
लेकिन घोंसलों को कैसे गिरा दूँ
उन्हें मेरी मजबूती पर अपने बच्चों को उड़ना सिखाना है
और बरगद बनी लड़की की कहानी सुनानी है
हर तने से एक बांसुरी बनाना उनकी ख्वाहिश है
ताकि बिना किसी के सहयोग के
बांसुरी कैसे गाती है
यह जादू उन्हें दिखाना है
ताकि कल फिर कोई बरगद होने की ख्वाहिश रखे
यह सिलसिला किसी कुल्हाड़ी से खत्म न हो ....!
ताकि कल फिर कोई बरगद होने की ख्वाहिश रखे
जवाब देंहटाएंयह सिलसिला किसी कुल्हाड़ी से खत्म न हो ....!
आपका यह हौसला, यह ख्वाहिश ताउम्र क़ायम रहे, अनंत शुभकामनाएं ... आभार
सशक्त सार्थक अभिव्यक्ति ....
जवाब देंहटाएंबहुत प्रबल रचना दी...
उम्मीद पे ज़िंदगी कायम है....इस सकारात्मक सोच को अभिव्यक्ति देती..हौंसला देती रचना
जवाब देंहटाएंताकि बिना किसी के सहयोग के
जवाब देंहटाएंबांसुरी कैसे गाती है
यह जादू उन्हें दिखाना है मुझे भी सिखना
ताकि कल फिर कोईमैं बरगद होने की ख्वाहिश रखे
यह सिलसिला किसी कुल्हाड़ी से खत्म न हो ....!
अपने ही अस्तित्व को यूँ ही कायम रखे ...जिंदगी के तूफ़ान अभी थमे नहीं हैं ....
जवाब देंहटाएंताकि कल फिर कोई बरगद होने की ख्वाहिश रखे
जवाब देंहटाएंयह सिलसिला किसी कुल्हाड़ी से खत्म न हो ....!
ये जज़्बा यूँ ही कायम रहे।
ताकि कल फिर कोई बरगद होने की ख्वाहिश रखे
जवाब देंहटाएंयह सिलसिला किसी कुल्हाड़ी से खत्म न हो ....!
बहुत सुन्दर, भावपूर्ण कविता !
ताकि कल फिर कोई बरगद होने की ख्वाहिश रखे
जवाब देंहटाएंयह सिलसिला किसी कुल्हाड़ी से खत्म न हो ....!बहुत सुन्दर भा्वो से पिरोए है शब्दों को....इसी हौसले की जरुरत है आज सबको..
मन में बरगद बनने की इच्छा है, प्रकृति सहायता करेगी..
जवाब देंहटाएं' गजब की मजबूती है ...'
जवाब देंहटाएंऔर कल फिर आने की मकसद लिए लौट जाते हैं
......क्यूंकि जमीन में गहरी हैं जड़े ..........और की पकड़ मजबूत ............और ये यूँ ही बनी रहेगी .....जानती हूं मैं ....
आपकी शख्सियत है ही बरगद जैसी रश्मि जी.....बेहतरीन और लाजवाब पोस्ट के लिए.....हैट्स ऑफ ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएं--
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (26-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसच कहूं तो ऐसी रचनाएं कभी कभी ही पढने को मिलती हैं..
आपकी किसी पुरानी बेहतरीन प्रविष्टि की चर्चा मंगलवार २८/८/१२ को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी मंगल वार को चर्चा मंच पर जरूर आइयेगा |धन्यवाद
जवाब देंहटाएंयह सिलसिला किसी कुल्हाड़ी से खत्म न हो ....!
जवाब देंहटाएंअभी चिड़िया के बच्चों को उड़ना सीखना है, बरगद का मज़बूत सहारा चाहिए ... वो तो सहनशीलता का प्रतीक है न गिर कैसे सकता है...
उन्हें मेरी मजबूती पर अपने बच्चों को उड़ना सिखाना है
जवाब देंहटाएंबच्चे उड़ना सीख जाएँ, तभी बरगद का मकसद पूरा होगा...फिर एक नई कहानी जन्म लेगी|
बरगद यूँ ही फैलता रहे थके पथिक को छाँव देता रहे !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ......
BAHUT BAHUT BAHUT SUNDAR KAVY PRERNA...
जवाब देंहटाएंजिम्मेदारियां महसूस करने वाला हर इंसान बरगद होना चाहता है जहाँ पक्षी उड़ने से पहले अपने पंख फैला सके ...लड़की के बरगद होने की कहानी उत्सुकता जगाती है !
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति और साथ ही प्यारा सा सन्देश भी!!
जवाब देंहटाएं"मैं अपने अस्तित्व से मुक्त हो सकती हूँ
जवाब देंहटाएंलेकिन घोंसलों को कैसे गिरा दूँ
उन्हें मेरी मजबूती पर अपने बच्चों को उड़ना सिखाना है
और बरगद बनी लड़की की कहानी सुनानी है"
Aapki bhavna jitni komal avam samvedanshil hai,nek irada vaisa majbut hai. Bahut sundar abhibyakti hai.
सच है बरगद होना आसान है पर उससे मुक्ति संभव नहीं ... गहरा एहसास लिए ..
जवाब देंहटाएंबांसुरी कैसे गाती है
जवाब देंहटाएंयह जादू उन्हें दिखाना है
ताकि कल फिर कोई बरगद होने की ख्वाहिश रखे
यह सिलसिला किसी कुल्हाड़ी से खत्म न हो ....!
एक बार फिर बेहतरीन सोच के साथ उत्क्रिस्ट प्रस्तुति .हमेश की तरह उचाईयों पर कविता के शब्द बधाई
बहुत सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंयह सिलसिला किसी कुल्हाड़ी से खत्म न हो ....!
जवाब देंहटाएंAmen!
awesome work,behtareen likha hai.
जवाब देंहटाएंक्या काट पायेगा उन्हें कुल्हारी जिन्हें चीड़ न पाया दुखों का आड़ी..
जवाब देंहटाएंवृक्ष कबहूँ नहीं फल भखें, नदी ना संचय नीर,
जवाब देंहटाएंपरमारथ के कारने, साधून धरा शरीर...
aapki rachnayon mein to jaise jadoo hai aap hamare blog per aayi itni jyada khushi ho rahi hai ki vayan nahi kar sakte
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