कल १५ अगस्त था , यानि स्वतंत्रता का दिन . माँ बताती थीं कि जिस दिन आज़ादी मिली , पुरजोर आवाज़ में यह गीत बजा था -
वन्दे मातरम .....
सुजलाम सुफलाम मलयज शीतलाम शस्य श्यामलाम मातरम!
शु्भ्र ज्योत्सना पुलकित यामिनीम
फुल्ल कुसुमितद्रुमदल शोभणीम.
सुहासिनीम सुमधुर भाषणीम,
सुखदाम, वरदाम मातरम
वन्देमातरम....... आज भी उस सुबह की कल्पना में रोमांच हो आता है . पर आज़ादी के बाद जो सच आज सुरसा की तरह मुंह खोले खड़ा है , उसके आगे साल में एक बार
इन गीतों से झुंझलाहट होती है . हैप्पी इंडीपेंडेंस डे कहो या स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें .... कोई फर्क नहीं पड़ता . खुद के कर्त्तव्य से परे चर्चा होती है - गाँधी को क्या
करना था , क्या नहीं . फूलों की सेज छोड़नेवाले जवाहर की नियत ..... कभी इस चर्चा के मध्य याद नहीं आता कि जिस जवाहर लाल के कपड़े लन्दन से धुलकर आते थे , वे
बेबस जेल जा रहे थे , जब उनकी माँ पर लाठी चलाये जा रहे थे ! गाँधी जी ने सत्याग्रह किया , सिल्की परिधान में महल में नहीं रहे . उनके बच्चों को उनसे शिकायत रही ,
आजादी का स्वाद उनके बच्चों को ऊँचा स्थान देकर नहीं मिला ...
आज एक सवाल है .... देगा कोई जवाब अपने गुटों से बाहर आकर ???
बापू प्रश्न कर रहे -
........
कहाँ गयी वह आजादी
जिसके लिए हम भूखे रहे , वार सहे
सड़कों पर लहुलुहान गिरते रहे कई बार
जेल गए
कटघरे में अड़े रहे , डटे रहे .........
सब गडमड करके
अब ये गडमड करनेवाले
मेरे निजित्व को उछाल रहे !
क्या फर्क पड़ता है कि मैं प्रेमी था या ........
खुफिया लोगों
तुम सब तो दूध के धुले हो न ...
फिर करो विरोध गलत का
अपने ही देश में अपने ही लोगों की गुलामी से
मुक्त करो सबको ...
मुझे तो गोडसे ने गोली मार दी
राजघाट में मैं चिर निद्रा में हूँ
एक नहीं दो नहीं चौंसठ वर्ष हुए
और देश की बातें आज तलक
गाँधी , नेहरु , सुभाष ,
भगत , सुखदेव, राजगुरु , आज़ाद तक ही है
क्यूँ ?
तुम जो गोलियां चला रहे हो मुझे कोसते हुए
गांधीगिरी का नाम लेकर अहिंसा फैला रहे हो
वो किसके लिए ???
बसंती चोला किस प्राप्य के लिए ?
बम विस्फोट
आतंक
अपहरण ...... इसमें बापू को तुम पहचान भी नहीं सकते
तुम सबों की व्यर्थ आलोचना
जो भरमाने की कोशिशों में चलती है
उसके आगे कौन सत्याग्रह करेगा ?
मैं तो रहा नहीं
और अब वह युग आएगा भी नहीं
भारत हो या पकिस्तान
तुम जी किसके लिए रहे ?
तुम सब देश के अंश रहे ही नहीं
स्वार्थ तुम्हारा उद्देश्य है
और वही तुम्हारा लक्ष्य है
भले ही उस लक्ष्य के आगे
तुम्हारा अपना परिवार हो
तुम टुकड़े कर दोगे उनको
तुम तो गोडसे जैसी इमानदारी भी नहीं रखते
.................
आह !
तुम लोग इन्सान के रूप में गिद्ध हो
और शमशान हुए देश में
जिंदा लाशों को खा रहे हो !
और जो जिंदा होने की कोशिश में हैं
उनके आगे आतंक फैला रहे हो !!!
....
धिक्कार है मुझ पर
और उन शहीदों पर
जो तुम्हें आजादी देना चाहते थे
और परिवार से दूर हो गए
तुम सबने आज उस शहादत को बेच दिया
कोई मुग़ल नहीं , अंग्रेज नहीं , ....
हिन्दुस्तानी शक्ल लिए तुम असुर हो
और आपस में ही संहार कर रहे हो
देश, परिवार, समाज .......
सबको ग्रास बना लिया अपना !!!
क्या दे सकोगे कोई जवाब
या लेकर घूम रहे हो कोई सौगात
ताकि मेरे नाम की धज्जियां उड़ जाएँ
और तुम्हारी आत्मा पर कोई बोझ न रहे ?
बापू दवारा पूछे गए प्रश्नों का जवाब कोई दे ही नहीं सकता क्योंकि आज तक सही मायनों में गाँधी जी कोकोई समझ ही नही पाया...
जवाब देंहटाएंसभी मौन हैं....निरुत्तर हैं....निःशब्द है...
जवाब देंहटाएंसादर
अनु
आपस में ही संहार कर रहे हो
जवाब देंहटाएंदेश, परिवार, समाज .......
सबको ग्रास बना लिया अपना !!!
बेहद गहन भाव लिए सशक्त अभिव्यक्ति ... आभार आपका
स्वार्थ तुम्हारा उद्देश्य है
जवाब देंहटाएंऔर वही तुम्हारा लक्ष्य है
तुम्हारी आत्मा पर कोई बोझ न रहे ?
जबाब दे सके ऐसी आत्मा कहाँ !!
गहन और प्रश्न छोडती ये पोस्ट शानदार है ।
जवाब देंहटाएंकिसी के पास कोई जवाब नही होगा।
जवाब देंहटाएंबहुत प्रभावी .. मार्मिक भी ... इन प्रश्नों का जवाब आज गांधी भी न दे पते ... क्योंकि उनका नाम ले की ही ये सब होने लगा है ...
जवाब देंहटाएंआपकी रचनाएं शब्दों के जाल को तोड़ देती है..बस भाव..भाव..
जवाब देंहटाएंएक कड़वी सच्चाई व्यर्थ के गाल बजाने वालों के लिए ....
जवाब देंहटाएंगोरे साहब की गुलामी से भूरे साहब की गुलामी तक पहुंचे हैं.. सिर्फ पिंजडा ही तो बदला है, आज़ादी अब भी नहीं मिली.. किस्मत में तो जिबह होना ही लिखा है छुरी इसके हाथ से उसके हाथ आ गाई, बस!!!
जवाब देंहटाएंगाँधी के प्रश्नों का उत्तर उन लोगों के पास कैसे हो सकता है, जिन लोगों ने आजादी की लड़ाई नहीं लड़ी, लाठियां नहीं खाई और अंग्रेजों के अत्याचार सहे ही नहीं. उन्हें जो आजादी तोहफे में मिली है वे उसका पूरा पूरा लाभ उठना चाहेंगे. वही कर रहे हें. बल्कि अब तो ये सवाल भी उठ रहे हें कि गांधीजी को राष्ट्रपिता कब घोषित किया गया? कल पूछा जायेगा कि उन्होंने कितनी लाठियां खायीं थी? किस जेल में रहे थे? तब राजघाट की शांति भी उद्वेलित हो उठेगी. किस किस का प्रमाण देंगे, गाँधी जी को फिर से कटघरे में आकार अपने ही देशवासियों को उत्तर देना पड़ेगा.
जवाब देंहटाएंहम कृतघ्न बन सवाल पर सवाल करते ही रहेंगे.
तीखा करारा चिंतन दी...
जवाब देंहटाएं"लगता है हम सब की जां यूं ही निकली जाएगी,
वो सुबह कभी न आएगी...."
सादर।
बापू दवारा पूछे गए प्रश्नों का कोई जवाब ही नहीं
जवाब देंहटाएंगोडसे को तो इन लोगो ने हाल सज़ा दे दी ... इन का फैसला कौन करेगा ???
जवाब देंहटाएंब्लॉगिंग ने पूरे किए 13 साल - ब्लॉग बुलेटिन – यही जानकारी देते हुये आज की ब्लॉग बुलेटिन तैयार की है जिस मे शामिल है आपकी यह पोस्ट भी ... पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंमैं ही नहीं, पूरा भारत निरुत्तर...!
आभार !
नीयत साफ नही है इसलिये प्रश्नों के उत्तर कौन दे ।
जवाब देंहटाएंऐसी राह चले ही कहाँ की बापू के प्रश्नों का उत्तर दे सकें ....
जवाब देंहटाएंकोई मुग़ल नहीं , अंग्रेज नहीं , ....
जवाब देंहटाएंहिन्दुस्तानी शक्ल लिए तुम असुर हो
और आपस में ही संहार कर रहे हो
देश, परिवार, समाज .......
सबको ग्रास बना लिया अपना !!!
....आज कौन दे सकता है इन प्रश्नों के जवाब...
भावों को उद्वेलित करती बहुत सशक्त अभिव्यक्ति...
हर दिन पूछते हैं हम यह सवाल ...मगर जैसे अपनी सादा टकराकर दीवारों से लौट आती है !
जवाब देंहटाएंमुश्किल है इन प्रश्नों के उत्तर देना...सशक्त अभिव्यक्ति... आभार
जवाब देंहटाएंइन सवालों के जवाब के लिए ईमानदार होना होगा ...पर क्या ये भाव बाकी है हमारे दिलों में ?
जवाब देंहटाएंसत्याग्रह करते समय बापू ने नहीं सोचा होगा कि अपने ही भारत में वे कठघरे में खड़े हो जाएँगे !!!
जवाब देंहटाएंबापू का एक एक सपना बापू को कचोटता होगा..
जवाब देंहटाएंनिःशब्द हूँ
जवाब देंहटाएंनिरुत्तर हूँ...