14 अगस्त, 2011

अब हम खुद से आज़ाद कभी नहीं होंगे !!!!!!



आज़ादी ...
क्या है आज़ादी ?
...............
गुलाम देश में भी
एक घर था -
जहाँ सुबह होती थी
चिड़िया चहकती थी
रसोई जलती थी
घर से कोई भूखा नहीं लौटता था ...
उस वक़्त भी
दिन दहाड़े
कोई घर से खींच ले जाया जाता था
बेरहमी से उसे मारा जाता था
और वह 'इन्कलाब जिंदाबाद' कहता
शहीद हो जाता था ....

सौ वर्षों का जोड़ तोड़ रखो
या एक जलियावाला बाग़ की तस्वीर देखो
आज़ादी पाने की कशमकश
सूरज सा तेज ... १६ वर्ष की हवाओं में भी था
..... मिली आज़ादी - दो भागों में
तिकड़में लगाई जाने लगीं ...
नेहरु की चाल , गाँधी की बेवकूफी...
और न जाने क्या क्या !
..............
आज़ादी लाने में सौ वर्ष लगे
आजादी मिले ६४ वर्ष हुए ...
इन ६४ वर्षों में नहीं रहा मोल गाँधी का
न नेहरु का ...
भ्रूण हत्या , अपहरण से निजात न देनेवाले लोग
ढूंढ रहे हैं आज भी सुभाष चन्द्र बोस को !!!
भगत सिंह ?
अगर सर उठाता है किसी युवा में
तो आज़ाद मुल्क के हाथों
टुकड़े टुकड़े कर दिया जाता है !!!
...............
हमारे बीच कौन है अंग्रेज ?
- कोई नहीं न ...
हम तो बुद्धिजीवी हैं
जिसे जब चाहें गलत साबित कर सकते हैं
... कितनी आसानी से हमने मासूमों को भी
पैसे का असली गणित समझा दिया है
... भारत को अब और कोई नहीं लूट सकता हमारे सिवा
यह दिखा दिया है ...
अरे अंग्रेजों ने तो तब भी गाँधी का मान रखा था
कोई भी नीति अपनाई हो-
पर चले गए ....
लेकिन आज
हमारी मनोवृति
सिर्फ अपनी स्वतंत्रता की
अपने स्वार्थ की - कभी नहीं जाएगी
अब हम खुद से आज़ाद
कभी नहीं होंगे !!!!!!

49 टिप्‍पणियां:

  1. बिल्कुल सही कहा …………खुद की मनोवृत्ति से आज़ाद होना इतना आसान नही।

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  2. सिर्फ अपनी स्वतंत्रता की
    अपने स्वार्थ की - कभी नहीं जाएगी
    अब हम खुद से आज़ाद
    कभी नहीं होंगे !!!!!!

    सटीक विश्लेषण करती गहन अभिव्यक्ति ...

    आज़ाद हैं बस
    वो नेता
    जिनको बैठा दिया है
    हमने ही कुर्सियों पर
    और काट लिए हैं
    अपने ही हाथ
    यदि चाहिए
    सशक्त लोकशाही
    तो बदलना होगा
    संविधान को ,
    बदलने की प्रक्रिया भी
    संसद में नहीं
    सड़क पर होगी
    तभी आएगा बदलाव ..

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  3. लेकिन आज
    हमारी मनोवृति
    सिर्फ अपनी स्वतंत्रता की
    अपने स्वार्थ की - कभी नहीं जाएगी
    अब हम खुद से आज़ाद
    कभी नहीं होंगे !!!!!!

    सही कहा आपने।

    सादर

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  4. कल 15/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  5. बहुत सुन्दर भावमयी प्रस्तुति....

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  6. खूबसूरत काव्य, सटीक भी . स्वतंत्रता दिवस की बधाई. शहीदों की कुर्बानी याद रखें और स्वतंत्रता दिवस मनाएं

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  7. जो शहीद हुए उन्होने कभी नहीं सोचा होगा की आज़ाद भारत ऐसा होगा, बहुत कुछ सोचने पर विवश करती है रचना।

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  8. कितने गहरे दर्द को छिपाए है आपकी यह रचना सचमुच अपने से आजाद कोई नहीं होता और जीवन भर इसका खामियाजा भुगतता रहता है....

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  9. सही कहा आपने.... हमें पहले खुद को बदलना होगा....

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  10. अपने कर्तव्यों को भूल कर केवल अपने अधिकारों के बारे में जो सोचेंगे...वो क्या करेंगे देश के लिए...
    बढ़िया रचना !!!

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  11. लेकिन आज
    हमारी मनोवृति
    सिर्फ अपनी स्वतंत्रता की
    अपने स्वार्थ की - कभी नहीं जाएगी
    अब हम खुद से आज़ाद
    कभी नहीं होंगे !!!!!!

    ...बहुत सच कहा है..जबतक हम अपनी मनोवृति नहीं बदलेंगे, कुछ नहीं होगा..बहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति ...

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  12. समस्याओं के दलदल में धँसते जा रहे हैं।

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  13. सत्याभिव्यक्ति दी... सटीक रचना...
    सादर...

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  14. बहुत बेहतरीन कविता रश्मि जी बधाई और शुभकामनायें

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  15. सच को प्रतिबिम्बित करती बेहतरीन रचना...

    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.

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  16. जबतक हम अपनी मनोवृति नहीं बदलेंगे, कुछ नहीं होगा..बहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति ...स्वत्नत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामना...

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  17. ये समझना होगा आपकी स्वतंत्रता वहीँ ख़त्म होती है जहाँ मेरी नाक शुरू होती है...

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  18. आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 15-08-2011 को चर्चा मंच http://charchamanch.blogspot.com/ पर भी होगी। सूचनार्थ

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  19. हम हों न हों..वह सुबह कभी तो आएगी।

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  20. कडवा सच तो यही है देश का ...जिन्हें सेवक नियुक्त किया , वही राजा बन गए !

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  21. बहुत सही बात लिखी है दी ...!!अपनी ही और अपने आस-पास दिखाती हुई बुराईयों से मुँह मोड़ लेना ...ठीक नहीं है ....वही काम हम सब को करना है अब ...उन्हीं बुराइयों से आज़ादी चाहिए है अब ......शुभकामनायें....!!

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  22. स्वतंत्रता एक जज़्बा है. गाँधी, तिलक, नेहरू, अंबेडकर, सुभाष, भगत सिंह सभी को स्वतंत्रता चाहिए थी और इन सब की स्वतंत्रता की परिकल्पना अलग-अलग थी.

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  23. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें.

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  24. बहुत ही सच्ची कविता सच है अपने दुश्मन आज हम ख़ुद हैं किसी दूसरे की ज़रूरत ही नहीं है
    हमें पहले स्वयं को सुधारना होगा

    जवाब देंहटाएं
  25. बहुत ही सच्ची कविता सच है अपने दुश्मन आज हम ख़ुद हैं किसी दूसरे की ज़रूरत ही नहीं है
    हमें पहले स्वयं को सुधारना होगा

    जवाब देंहटाएं
  26. रश्मि जी, परिवर्तन प्रकृति का कभी न बदलने वाला सिद्धांत है...बदलाव आएगा...यक़ीन रखिए...
    स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.

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  27. अब हम खुद से आज़ाद
    कभी नहीं होंगे !!!!!!

    कितना कटु सत्य कहा है आपने...

    नीरज

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  28. कितनी आसानी से हमने मासूमों को भी पैसे का असली गणित समझा दिया है ... भारत को अब और कोई नहीं लूट सकता हमारे सिवा यह दिखा दिया है ... जिंदगी का याह कितना भयानक सच हैं ....

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  29. लेकिन आज
    हमारी मनोवृति
    सिर्फ अपनी स्वतंत्रता की
    अपने स्वार्थ की - कभी नहीं जाएगी
    अब हम खुद से आज़ाद
    कभी नहीं होंगे !!!!!!
    ..एकदम सही बात
    बहुत चिंतन मनन को बाध्य करती सामयिक प्रस्तुति के लिए आभार और स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!

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  30. सुन्दर अभिव्यक्ति के साथ भावपूर्ण कविता लिखा है आपने! शानदार प्रस्तुती!
    आपको एवं आपके परिवार को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  31. हमारे बीच कौन है अंग्रेज ?

    हमारी यही तो खूबी है ...
    हम गलत चीजों को जल्द सीख जाते हैं ...
    आपने जलते सवाल खड़े किये हैं
    विचार करने लायक ....

    जवाब देंहटाएं
  32. लेकिन आज
    हमारी मनोवृति
    सिर्फ अपनी स्वतंत्रता की
    अपने स्वार्थ की - कभी नहीं जाएगी
    अब हम खुद से आज़ाद
    कभी नहीं होंगे !!!!!!
    bilkul sahi kah rahi hai ,inse hatkar kuchh sochenge to aage badh paayenge ,ati sundar ,swatantrata divas ki dhero badhai .

    जवाब देंहटाएं
  33. सारगर्भित और सटीक अभिव्यक्ति. आभार. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...
    सादर,
    डोरोथी.

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  34. बहुत अच्‍छी प्रस्‍तुति ... आपके इस सुंदर सी प्रस्‍तुति से हमारी वार्ता भी समृद्ध हुई है !!

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  35. aapane bilkul sahi baat kahi hai, ab saans lene kee aazadi bhi chheen lee jayegi. ye satta ke kaabij koi bhi ho apane svarth ke alava kuchh bhi na dekh skate hain.
    ham kal angrejon ke gulam the to aj kabil logon ke gulam hain jaise rakhenge rahana hoga.

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  36. आजादी को हमने उश्रन्ख्लता का जम पहना दिया है और उसकी आड लेकर आजादी की गरिमा खो चुके है |

    बहुत सही लिखा है आपने |

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  37. लेकिन आज
    हमारी मनोवृति
    सिर्फ अपनी स्वतंत्रता की
    अपने स्वार्थ की - कभी नहीं जाएगी
    अब हम खुद से आज़ाद
    कभी नहीं होंगे !!!!!!
    हर शब्‍द अपने आप से सवाल करता हुआ बेहद विचारणीय प्रस्‍तुति ।

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  38. ohh kya khubb likha aapne.......... vakai aapne se aazad hum kab honge..... agar prashn hai aazadi ka... to prathan khud ko azad karo..... badhiya rachna

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  39. लेकिन आज
    हमारी मनोवृति
    सिर्फ अपनी स्वतंत्रता की
    अपने स्वार्थ की - कभी नहीं जाएगी
    अब हम खुद से आज़ाद
    कभी नहीं होंगे !!!!!!
    .......बहुत सही बात लिखी है माँ आपने
    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं….!

    जय हिंद जय भारत
    ********************

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  40. बिलकुल सही कहा आपने अंग्रेज तो चले गए पर देश के हालातों में कोई अंतर नहीं आया / यथार्थ को बताती हुई सार्थक रचना /बधाई आपको /
    ब्लोगर्स मीट वीकली (४)के मंच पर आपका स्वागत है आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/आभार/ इसका लिंक हैhttp://hbfint.blogspot.com/2011/08/4-happy-independence-day-india.htmlधन्यवाद /

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  41. very true.. we are slaves of our mentality, our attitude abd what not.
    Coincidentally my latest post speaks same :)
    I'd love to get your comment on that.

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  42. कोई घर से खींच ले जाया जाता था
    और वह 'इन्कलाब जिंदाबाद' कहता
    शहीद हो जाता था ....

    नेहरु की चाल , गाँधी की बेवकूफी...
    और न जाने क्या क्या !

    अगर सर उठाता है किसी युवा में
    तो आज़ाद मुल्क के हाथों
    टुकड़े टुकड़े कर दिया जाता है !!!

    भारत को अब और कोई नहीं लूट सकता हमारे सिवा
    यह दिखा दिया है ...


    आभार....

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  43. bohot acha likha hai, mai ak baat sochti hu aise lekh ya kavita oadh ke jaise mere dil mei apne desh k liye bhav umadte hai waise har hindustani ke dil mei bhi umadte hi honge , fir kyun kyun ye bhav humare desh ke un dilo mei nahi umadte jin logo ko desh ko chalane ka jimma sopa gaya h

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  44. bahut sahi kaha, hum kabhi aazad nahin honge. hamari soch aazad nahin hoti, fir hum kaise? bahut achchhi rachna.

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  45. बहुत प्रभावी ... सच में असल आजादी वो नहीं जो हम सोचते हैं ...

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