05 जनवरी, 2012

मेरे ख्वाब



सघन मेघों की तरह कुछ मेरे ख्वाब हैं
जो बरसना चाहते हैं
पनपना चाहते हैं
किसी मीठे फल की तरह !
कुछ ख्वाब हैं इन्द्रधनुषी
जिनसे एक यादगार होली खेलना चाहती हूँ !
एक ख्याल है हिन्दुस्तां की राजकुमारी जैसे
जो जिल्लेइलाही के खून की सज़ा
माफ़ कर देना चाहती है
क्योंकि सलीम में ही वो आग नहीं थी
उसके कान ही हल्के थे
चाहता गर सलीम
तो होश में आते उन दीवारों को गिरा देता
जिसमें अनारकली चुनी गई थी !
एक वजूद है अलादीन के चिराग सा
जादुई छड़ी है
धरती को आसमां
आसमां को धरती बनाने का
बियाबान रास्तों में बिखेरने के लिए
कुछ खिलखिलाते बीज हैं
जिसकी खनक हर दरख्तों पे होगी
गानेवाली एक चिड़िया है
जो कभी खामोश नहीं होगी
प्रकृति के सन्देश देती रहेगी
सूर्योदय की चहक बन
चनाब से सोहणी को पुकारेगी
महिवाल की जीत बन
प्रेम को अमर कर जाएगी ...

31 टिप्‍पणियां:

  1. "सच्चा प्यार तो अमर ही होता है "

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  2. प्रेम को अमर कर जायेगी,सुंदर पन्तियाँ,एक अच्छी रचना,,,

    WELCOME to new post--जिन्दगीं--

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  3. वाह रश्मि जी बहुत खूबसूरत रचना..
    बेमिसाल ख़्वाबों से सजी..
    सादर.

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  4. माफ़ कर देना चाहती है
    क्योंकि सलीम में ही वो आग नहीं थी
    उसके कान ही हल्के थे
    चाहता गर सलीम
    तो होश में आते उन दीवारों को गिरा देता
    जिसमें अनारकली चुनी गई थी बहुत बढ़िया प्रस्तुति!

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  5. चारो तरफ घूमती हुयी आपकी लेखनी प्रभाव छोड़ जाती है बेहतरीन बिम्बों के साथ बधाई

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  6. सुन्दर अभिव्यक्ति।
    नये वर्ष की शुभकामनायें।

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  7. bahut sundar rachna ..prem me kitna apnapan kitna junoon tha .. isko bhi darshati rachna ...Prithak see..sundar

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  8. ऊपर से गुजरती हुई खूबसूरत रचना !

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  9. सलीम में ही वह आग नहीं थी , उसके कान हल्के थे ...
    एक पंक्ति में कितनी बड़ी बात छिपी है !

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  10. ख़ामोशी में ख्वाब उभरते हैं पर ख्वाब खामोश नहीं होते ...

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  11. इन ख्‍यालों से ही तो कुछ बातें आज भी क़ायम हैं ...बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  12. क्योंकि सलीम में ही वो आग नहीं थी
    उसके कान ही हल्के थे
    चाहता गर सलीम
    तो होश में आते उन दीवारों को गिरा देता
    जिसमें अनारकली चुनी गई थी !

    सुंदरता से कही गई सार्थक बात...

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  13. आप इसी तरह ख्वाबों को देखती रहें कुदरत उन्हें सच करती रहेगी...आमीन!

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  14. सूर्योदय की चहक बन
    चनाब से सोहणी को पुकारेगी
    महिवाल की जीत बन
    प्रेम को अमर कर जाएगी ..

    सुन्दर रचना

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  15. सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर और खूबसूरत कविता

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  16. गानेवाली एक चिड़िया है
    जो कभी खामोश नहीं होगी
    प्रकृति के सन्देश देती रहेगी
    सूर्योदय की चहक बन
    चनाब से सोहणी को पुकारेगी
    महिवाल की जीत बन
    प्रेम को अमर कर जाएगी ...
    ..prakriti aur pyar kabhi nahi mitta..
    bahut badiya prernadayee rachna...

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  17. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति, आभार|

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  18. एक ख्याल है हिन्दुस्तां की राजकुमारी जैसे
    जो जिल्लेइलाही के खून की सज़ा
    माफ़ कर देना चाहती है

    bahut khoob.

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  19. जग से सोखे,
    बादल बनकर,
    जग में फिर,
    बरसा आयेंगे।

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  20. रश्मि जी ....बेमिसाल कितने खूबसूरत हैं भाव

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  21. एक वजूद है अलादीन के चिराग सा
    जादुई छड़ी है
    धरती को आसमां
    आसमां को धरती बनाने का

    महसूस किया हमने इसे अभी-अभी... आभार

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  22. ख्वाब कुछ ऐसे ही होने चाहिए...जैसा हम चाहें वैसा ही देखें...

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  23. प्रकृति और सच्चा प्यार कभी नहीं मिटता...बहुत ही प्रभावशाली रचना ...

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