22 अप्रैल, 2020

मनवा प्रीतनदी में डूबा राधेकृष्ण ही रहता है।






प्रेम नहीं मिलता
तो प्रेम का अर्थ नहीं खो जाता,
वह अर्धनारीश्वर का रूप धर
मन को वृंदावन बना ही लेता है ।
राधा कृष्ण !
प्रेम,वियोग,संघर्ष,
सहनशीलता के मार्ग हैं,
ज़िन्दगी की कोई भी उपेक्षा
इन सपनों
इन लक्ष्यों से विमुख नहीं करती ।
अवसाद, प्रेम की चरम स्थिति है
मृत्यु वरण, अगले जन्म की
सकारात्मक चाह है ।
निरन्तर बहते आँसू
अपमान की ही कथा नहीं कहते,
सम्मान को नए सिरे से परिभाषित करते हैं ।
शुष्क हो गई आंखें बताती हैं,
क्या पाना था,
क्या खोया ...
यह चाह की वह पुनरावृति है
जो मन को मीरा बनाती है ।
कृष्ण और राधा
राधा और कृष्ण
कंस की गर्जना से नहीं घबराते,
समाज जो भी निर्णय दे,
मन राधेकृष्ण ही रहता है ।
कृष्ण और राधा,
राधा और कृष्ण
मधुवन, बंसीवट
बरसाने की होरी
रासलीला, कदंब की छांव
और यमुना का तट .....!
कंस का अत्याचार
इनको छू भी नहीं सकता है,
समाज इन्हें जो भी कहे
क्या फर्क पड़ता है !
कि धड़कनों में दिन_ रात
गूंजता है गोधन,
और मनवा प्रीतनदी में डूबा
राधेकृष्ण ही रहता है।

6 टिप्‍पणियां:

  1. राधा कृष्ण !
    प्रेम,वियोग,संघर्ष,
    सहनशीलता के मार्ग हैं,
    ज़िन्दगी की कोई भी उपेक्षा
    इन सपनों
    इन लक्ष्यों से विमुख नहीं करती ।
    वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर सार्थक लाजवाब सृजन।

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  2. A good informative post that you have shared and thankful your work for sharing the information. I appreciate your efforts and all the best Motivational Quotes in Hindi

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