19 मई, 2021

सुना तुमने ?


 

सुना तुमने ?
गणपति ने महीनों से मोदक को हाथ नहीं लगाया है
माँ सरस्वती ने वीणा के तार झंकृत नहीं किये
भोग से विमुख हर देवी देवता
शिव का त्रिनेत्र बन
माँ दुर्गा की हुंकार बन
दसों दिशाओं में विचर रहे ...
फिर नीलकंठ बनने को तत्पर शिव
देव दानव के मध्य
एक मंथन देख रहे
विष निकलता जा रहा है
शिव नीले पड़ते जा रहे हैं
माँ पार्वती ने अपनी हथेलियों से
विष का प्रकोप रोक रखा है
मनुष्य की गलती की सज़ा
मनुष्य भोग रहा है
अभिभावक की तरह अश्रुओं को रोक
देवी देवता अपने कर्तव्य को पूरा कर रहे
रात के सन्नाटे में
शमशान के निकट
उनकी सिसकियां ...
सुनी तुमने ???

जो गरजते हैं वे बरसते नहीं

 कितनी आसानी से हम कहते हैं  कि जो गरजते हैं वे बरसते नहीं ..." बिना बरसे ये बादल  अपने मन में उमड़ते घुमड़ते भावों को लेकर  आखिर कहां!...