02 मार्च, 2022

आने को है महिला दिवस...


 


आने को है महिला दिवस... नवरात्र की तरह याद करेंगे सभी महिला को सिंहवाहिनी माँ दुर्गा के नौ रूप में, लेकिन आदिशक्ति बन वह तो आदिकाल से है ... !!!
यशोधरा,सीता,राधा,रुक्मिणी,
गांधारी, द्रौपदी, मणिकर्णिका, दुर्गा भाभी,
निर्भया...
अरे ! हतप्रभ,स्तब्ध क्यूँ हो गए ?
शाश्वत सत्य है यह ।
पीछे मुड़कर देखो _
अहिल्या, अम्बा,
या हमारी सिया सुकुमारी को
कैसे भूल सकते हैं आप या हम !!!
काली,रक्तदंतिका रुप
माँ ने ऐसे ही तो नहीं धरा होगा न !
अन्तरराष्ट्रीय स्तर तक पहुँचने में,
वह जाने कितनी मौत मरी होगी,
कितनों की मौत की मन्नत मांगी होगी,
कितनों के आगे चामुण्डा बन उतरी होगी,
खुद में त्रिवेणी बनकर,
खुद को तर्पण अर्पण किया होगा ।
धरती बनकर,
भारत बनकर
अभिशप्त कैद से
अपने आप को मुक्त करने का
प्रलाप और निनाद किया होगा,
अपनी उज्जवल छवि को स्थापित करते हुए,
मातृत्व का विराट रुप लिए
ब्रह्माण्ड सा शंखनाद किया होगा ...
आओ,
उस विशेष दिन के नाम
उसकी जिजीविषा के पट खोलें,
सहस्रों दीप जलाए,
बिना किसी जद्दोजहद के
उसके सम्मान में सर झुकाएं,
माँ,बहन,पत्नी, बेटी,गुरु, सखी के नाम पर
महिला दिवस मनाएं ।

11 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!गज़ब 👌
    सही कहा याद करेंगे सभी को....
    यशोधरा,सीता,राधा,रुक्मिणी,
    गांधारी, द्रौपदी, मणिकर्णिका, दुर्गा भाभी,
    निर्भया...
    अरे ! हतप्रभ,स्तब्ध क्यूँ हो गए ?
    शाश्वत सत्य है यह.. वाह!

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  2. नारी शक्ति को शत शत प्रणाम

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक चर्चा मंच पर चर्चा - 4358 में दिया जाएगा | चर्चा मंच पर आपकी उपस्थिति चर्चाकारों की हौसला अफजाई करेगी
    धन्यवाद
    दिलबाग

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  4. सभी है शामिल इस शक्ति में निर्भया भी सीता भी.
    बहुत सुंदर व सटीक अभिव्यक्ति.
    Welcom To My New Post- धरती की नागरिक: श्वेता सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
  5. आओ,
    उस विशेष दिन के नाम
    उसकी जिजीविषा के पट खोलें,
    सहस्रों दीप जलाए,
    बिना किसी जद्दोजहद के
    उसके सम्मान में सर झुकाएं,
    माँ,बहन,पत्नी, बेटी,गुरु, सखी के नाम पर
    महिला दिवस मनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  6. शानदार अभिव्यक्ति !
    वह जाने कितनी मौत मरी होगी,
    कितनों की मौत की मन्नत मांगी होगी,
    कितनों के आगे चामुण्डा बन उतरी होगी,
    खुद में त्रिवेणी बनकर,
    खुद को तर्पण अर्पण किया होगा ।
    धरती बनकर,
    भारत बनकर
    अभिशप्त कैद से
    अपने आप को मुक्त करने का
    प्रलाप और निनाद किया होगा
    बहुत ही सुंदर सृजन।

    जवाब देंहटाएं
  7. शाश्वत सत्य को कहती सुंदर अभिव्यक्ति ।।

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