ख्वाबों का कुंभ क्या लगा
मेरे सारे ख्वाब मचल उठे
हमें भी डुबकी लगानी है ।
मैंने कहा भी,
बड़ी भीड़ होगी ख्वाबों की
कहीं तुम गुम न हो जाओ,
या फिर
किसी मझदार में न फंस जाओ ...
ख्वाब खिलखिला उठे,
ख्वाबों का कुंभ है,
किसकी बिसात है
जो हमें खत्म कर दे
तुम हो तो हम हैं
हम हैं तो तुम
चलो, एक डुबकी लगा लेते हैं ।
रश्मि प्रभा