22 नवंबर, 2007

आदमी वही है


आसान है अपने दर्द को समझना

पर आदमी वही निखरता है

जो दूसरे के दर्द को समझता है

और एक ऐसे मुकाम पर आता है

जब दूसरे का दर्द मरहम का काम करता है

फिर अपना दर्द कम लगने लगता है.

आसान है हर बात पे रोना

पर आदमी वही निखरता है

जो आँसू पीकर हँसता है,हँसाता है

अपने दर्द को भुलाकर

दूसरे के दर्द में साथ देता है

आसान है नसीहतें देना

स्नेह का हवाला देकर उलझनें बढ़ाना

पर आदमी वही निखरता है

जो अपनी नसीहतों पर चलता है

स्नेह की ताकत से उलझनों को राह देता है...

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर ! सही कहा है पतन्तु करना सरल नहीं है ।
    घुघूती बासूती

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  2. अच्छे भाव है. अच्छा लिखा है. थोड़ा शब्दों की वर्तनी पर ध्यान दीजिये

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  3. अनुभव बढ़ने के साथ व्यक्ति अपनी नसीहतों पर चलने लगता है. बहुत सुंदर रचना.

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