16 नवंबर, 2007

मुश्किल है


सिद्धांत , आदर्श , भक्तियुक्त पाखंडी उपदेश
नरभक्षी शेर, गली के लिजलिजे कुत्ते -
मुश्किल है मन के मनकों में सिर्फ प्यार भरना .
हर पग पर घृणा,आँखों के अंगारे
आखिर कितने आंसू बहाएँगे?
ममता की प्रतिमूर्ति स्त्री- एक माँ
जब अपने बच्चे को आँचल की लोरी नहीं सुना पाती
तो फिर ममता की देवी नहीं रह जाती
कोई फर्क नहीं पड़ता तुम्हारी गालियों से
लोरी छीन कर,
तुमने ही उसे काली का रूप दिया है
और इस रूप में वह संहार ही करेगी!
सिर्फ संहार!
फिर रचना का सिद्धांत क्या?
आदर्श क्या?
भक्तियुक्त उपदेश क्या?
मुश्किल है मन के मनकों में सिर्फ प्यार भरना....

3 टिप्‍पणियां:

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 कितनी आसानी से हम कहते हैं  कि जो गरजते हैं वे बरसते नहीं ..." बिना बरसे ये बादल  अपने मन में उमड़ते घुमड़ते भावों को लेकर  आखिर कहां!...