सिद्धांत , आदर्श , भक्तियुक्त पाखंडी उपदेश
नरभक्षी शेर, गली के लिजलिजे कुत्ते -
मुश्किल है मन के मनकों में सिर्फ प्यार भरना .
हर पग पर घृणा,आँखों के अंगारे
आखिर कितने आंसू बहाएँगे?
ममता की प्रतिमूर्ति स्त्री- एक माँ
जब अपने बच्चे को आँचल की लोरी नहीं सुना पाती
तो फिर ममता की देवी नहीं रह जाती
कोई फर्क नहीं पड़ता तुम्हारी गालियों से
लोरी छीन कर,
तुमने ही उसे काली का रूप दिया है
और इस रूप में वह संहार ही करेगी!
सिर्फ संहार!
फिर रचना का सिद्धांत क्या?
आदर्श क्या?
भक्तियुक्त उपदेश क्या?
मुश्किल है मन के मनकों में सिर्फ प्यार भरना....
नरभक्षी शेर, गली के लिजलिजे कुत्ते -
मुश्किल है मन के मनकों में सिर्फ प्यार भरना .
हर पग पर घृणा,आँखों के अंगारे
आखिर कितने आंसू बहाएँगे?
ममता की प्रतिमूर्ति स्त्री- एक माँ
जब अपने बच्चे को आँचल की लोरी नहीं सुना पाती
तो फिर ममता की देवी नहीं रह जाती
कोई फर्क नहीं पड़ता तुम्हारी गालियों से
लोरी छीन कर,
तुमने ही उसे काली का रूप दिया है
और इस रूप में वह संहार ही करेगी!
सिर्फ संहार!
फिर रचना का सिद्धांत क्या?
आदर्श क्या?
भक्तियुक्त उपदेश क्या?
मुश्किल है मन के मनकों में सिर्फ प्यार भरना....
सराहनीय प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंसार गर्भित रचना. वाह जवाब नहीं
जवाब देंहटाएंयूं ही लिखती रहें
नीरज
मुश्किल है मन के मनकों में सिर्फ प्यार भरना....
जवाब देंहटाएंकडुआ सच
बहुत खूब
नीरज