02 जुलाई, 2008

अतीत का दर्द.........




जब दर्द के शीशे गहरे चुभते हैं,
तो हर उपचार के बाद,
उसके निशान,
प्राकृतिक,शारीरिक चुभन रह जाते हैं!
अति सरल है,
'भूल जाने का परामर्श' देना!
इमारत जिंदगी की अतीत के खंडहर पर होती है...........
अतीत भूत बनकर इन कमरों में घुमा करते हैं,
नींद में भी एक दहशत ताउम्र होती है!
पागलपन कहो या-
मनोविज्ञान का सहारा लो.....
बातें ख़त्म नहीं होतीं,
खुदाई यादों की चलती ही रहती है,
कभी खुशी,कभी दुर्गन्ध बन
साथ ही रहती है!
गूंजते सन्नाटों की भाषा वही जानते हैं,
जो सन्नाटों से गुजरते हैं ,
अतीत का दर्द - दर्द का मारा ही जान पाता है!

16 टिप्‍पणियां:

  1. खुदाई यादों की चलती ही रहती है,

    कभी खुशी,कभी दुर्गन्ध बन

    साथ ही रहती है!


    bahut achha hai
    Anil

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  2. बहुत गहरी.. और सच्ची... संवेदनाएं हैं.. "दर्द" ना जाने कोए
    फिर वही बात के .. बाज़ार में अजान सिर्फ उस फ़कीर को ही सुनाई दे सकती है...
    आपके एक एक शब्द मरहम की तरह लग रहे हैं.... बहुत प्यारी रचना है.. करीब है..अपनी है....!!

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  3. वाह.. बहुत खूब दी..
    दर्द को जी कर शब्दों में पिरो दिया है आपने दर्द को..
    बधाई..!!



    दर्द तब तक ही
    दर्द देता है..
    जब तक हम उसे
    पराया समझते हैं..
    जब उसे
    सहते सहते..
    उसके आदी हो जाते हैं तो
    वही दर्द
    हमे प्यारा भी लगने लगता है..
    क्यूंकि..
    वो दर्द बेवफा तो नहीं होता..
    खुशियों की तरह..
    जो जरा जरा सी बात पर
    रूठ जाती है..
    चली जाती है तन्हा छोड़ कर..
    बिलकुल तन्हा..
    जहां अपनी परछाई भी साथ न दे..
    ऐसे अन्धकार में धकेल कर..
    कब तक?
    आखिर कब तक भागूं ?
    इन खुशियों के पीछे..??
    जो हमे देख कर भी रहती है..
    अपनी आँखें मीचे..
    इन खुशियों से अच्छी तो ये दर्द हैं..
    जो बिना बुलाये आ जाती हैं..
    वो भी अपने पुरे परिवार के साथ..
    निभाने को साथ
    दिन हो या रात..
    जो कभी बेवफाई तो नहीं करती
    दिल में आबाद रहती है..
    शायद जिंदगी भी यही कहती है..
    कि सुख दुःख तो जीवन का अंग है..
    सबके अपने-अपने जीने का ढंग है..
    कहीं अँधेरा कहीं उजाला
    यही तो जिंदगी का रंग है..!!
    --GOPAL K DAS

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  4. 'भूल जाने का परामर्श' देना!

    satay hi kaha aapne
    kahna aasan hota he
    par us kahe par amal karna kathin

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  5. bahut sahi baat kahi,jis par gujarti hai,wo hi janta hai,atit ke nishan bhar jate hai magar nishan nahi mitate.sundar kavita badhai

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  6. खुदाई यादों की चलती ही रहती है,


    कभी खुशी,कभी दुर्गन्ध बन


    साथ ही रहती है!


    गूंजते सन्नाटों की भाषा वही जानते हैं,


    जो सन्नाटों से गुजरते हैं ,


    अतीत का दर्द - दर्द का मारा ही जान पाता है!

    sachchai ko prabhavshali andaj me beya kiya hai aapne. Simply excellent expression of bittar truth.

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  7. haaan didi...
    aaapne sahi kaha main bahut chhota hoon... lekin kuch aise dour maine bhi dekhe hain jinki... gandh aate hi sirhan doud jaati hai jism me...

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  8. बातें ख़त्म नहीं होतीं,


    खुदाई यादों की चलती ही रहती है,


    कभी खुशी,कभी दुर्गन्ध बन


    साथ ही रहती है!
    इससे बड़ा सच शायद नहीं

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  9. बिल्कुल सही..एक गहरी रचना के लिए बधाई.

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  10. रश्मि जी आपकी रचना ''अतीत का दर्द''..... शानदार है ...........'' गूंजते सन्नाटों की भाषा वही जानते हैं, जो सन्नाटों से गुजरते हैं '',....... प्रभाव शाली पंक्तियाँ है ..... शुभकामनाएं......

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  11. very well said maasi...but we should try to forget bad moments and recall pleasent moment again and again...

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  12. गूंजते सन्नाटों की भाषा वही जानते हैं,


    जो सन्नाटों से गुजरते हैं ,


    अतीत का दर्द - दर्द का मारा ही जान पाता है!
    bahut hi aasan dhang se bahut hi sacchi baat khedi aapne ji haan atit ka dard dard ka maara hi jaan sakta hai hum humdardi jaroor de sakte hain magar us dard ko jaan nahi sakte na koi hamare dard ko juaan sakta sirf sahanbhuti hi de sakta hai aur kuch nahi..........

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  13. गूंजते सन्नाटों की भाषा वही जानते हैं,
    जो सन्नाटों से गुजरते हैं....

    सच कहा दी...
    सादर।

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