08 अगस्त, 2015

याद है तुम्हें ?







ओ अमरुद के पेड़ 
याद है तुम्हें मेरे वो नन्हें कदम 
जो डगमगाते हुए 
खुद को नापतौल कर साधते हुए 
तेरी टहनियों से होकर 
तेरी फुनगियों तक हथेली उचकाते थे  … 

ओ गोलम्बर 
याद है तुम्हें 
वो एक सिरे से हर सिरे तक 
मेरे पैरों का गोल गोल नाचना 
रजनीगंधा की खुशबू का गुनगुनाना  
हँसी की धारा जो फूटती थी 
वो शिव जटाओं से निकली गंगा ही लगती थी 
और तुम गंगोत्री  … 

ओ आँगन 
आज भी एक लड़की 
तेरे किनारे खड़े चांपाकल को चलाती है 
ढक ढक की आवाज़ सुनते हो न ?
दिखती है न वो लड़की 
जो चांपेकल का मुँह बंदकर 
ढेर सारे पानी इकट्ठे कर 
अचानक हटा देती है हाथ 
कित्ता मज़ा आता है न  … याद है न तुम्हें ?

हमें तो अच्छी तरह याद है 
बरामदा,ड्राइंग रूम,आवाज़ करता वहाँ का पंखा 
दो कमरे,एक लम्बा पूजा रूम,
भंडार घर 
रसोई, मिटटी का चूल्हा 
.... 
.... 
आज भी सपनों में चढ़ती हूँ अमरुद के पेड़ पर 
एड़ी उचकाकर फुनगियों को छूने की कोशिश करती हूँ 
फ्रॉक के घेरे में अमरुद लेकर 
आँगन में जाती हूँ !
पानीवाला आइसक्रीम बेचते हुए 
आइसक्रीमवाले का डमरू बजाना 
ननखटाईवाले का काला चेहरा 
मूँगफली वाले की पुकार 
चनाजोर गरम वाले का गाना 
"मैं लाया मज़ेदार चनाजोर गरम"
सब गुजरे कल की बात की तरह 
आज में तरोताजा है  … 
वो फागुन का गीत 
वो ढोलक की थाप 
वो शनिचरी का नमकीन 
वो बगेरीवाले की पुकार !!

आईने में उम्र हो गई 
लेकिन आईने से बाहर 
वो घेरेवाला फ्रॉक याद आता है 
वो ऊँची नीची पगडंडियाँ  … 
कहो पगडण्डी 
वो नन्हीं सी लड़की तुम्हें याद है ?
क्या आज भी तुम वैसी हो 
जैसी उसकी याद में उभरती हो ?

बोलो ना  … 

8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 10 अगस्त 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद! "

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  2. याद आती है कभी कभी
    धुँधली से कुछ यादों
    के बादलों के बीच
    और चश्मा बादलों
    के बीच वाष्प से
    द्र्वित हो जाता है
    धुंधला और धुंधला
    सा और हो जाता है ।

    बहुत सुंदर ।

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  3. बचपन की यादों की पगडंडियों का सफर बहुत बढ़िया है.

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  4. बहुत सुंदर....समय पंख लगाकर उड़ जाता है और पीछे यादें छोड़ जाता है। हर किसी को अपना बचपन याद आता है। शायद ही कोई होगा, जिसे अपना बचपन याद न आता हो।

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  5. सच है दुनियादारी के टेड़े-मेढ़े मोड़ पर बचपन बार-बार बहुत याद आता है..
    बहुत सुन्दर

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  6. अब तो यादों का संसार ही तो है ....जो आज भी अपना है |

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  7. आईने में उम्र हो गई
    लेकिन आईने से बाहर
    वो घेरेवाला फ्रॉक याद आता है
    वो ऊँची नीची पगडंडियाँ …
    कहो पगडण्डी
    वो नन्हीं सी लड़की तुम्हें याद है ?
    क्या आज भी तुम वैसी हो
    जैसी उसकी याद में उभरती हो ?

    बोलो ना … bachpan ki yaaden dhundhali nahi padati di

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