15 अक्तूबर, 2018

एक कविता हूँ - अतुकांत !




मैं कोई कहानी नहीं,
एक कविता हूँ - अतुकांत !
पढ़ सकते हो इसे सिलसिले से
यदि तुमने कुछ काटने के दौरान
काट ली हो अपनी ऊँगली,
और उसका भय,
उसका दर्द याद रह गया हो !
तुम समझ सकोगे अर्थ,
यदि तुमने थोड़े बचे अन्न के दानों को देखकर सोचा हो,
कि लूँ या किसी और के लिए रहने दूँ ।
तुम्हारी ख़ास पसन्द की लाइब्रेरी में शामिल हो जाएगी,
यदि किसी भी चकाचौंध में तुम,
पैबन्द भरी जिंदगी के मायने न भूल पाओ तो !
यत्र तत्र बिखरे से शब्द,
तुम्हारी आँखों में पनाह पा लेंगे,
यदि आकस्मिक आँधियों में,
तुम्हारा बहुत कुछ सहेजा हुआ
बिखर गया हो,
गुम हो गया हो !
सर से पांव तक लिखी कविता,
जरा भी लम्बी नहीं,
बेतुकी भी उनके लिए है,
जो ज़िन्दगी के गहरे अंधे कुंए से नहीं गुजरे,
रास्तों को पुख़्ता नहीं किया,
बस पैसे की कोटपीस खेलते रहे ...

10 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 16 अक्टूबर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (16-10-2018) को "सब के सब चुप हैं" (चर्चा अंक-3126) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. तुक होना ठीक भी नहीं अतुकांत बनी रहे चलती रहे
    बहुत सुन्दर

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  4. बहुत ही सुन्दर रचना कविता की संपूर्ण व्याख्या कर
    रही है

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  5. जिंदगी की धूप-छाँव और उधेड़बुन से संवरती, लरजती कविता..जिंदगी के अँधेरे हिस्सों को भी रोशन करती कविता..बहुत सुंदर !

    जवाब देंहटाएं
  6. कविता पर कविता।
    सच छंदो का बंधन हो या अतुकांत मन के भावों को जो उकेर दे और पढने वाले को सम्मोहित कर दे फिर क्या तुक बंदी क्या तुकांत।
    अप्रतिम रचना ।

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  7. कविता अतुकांत हो या तुकांत ...मन की गहराई से निकलती हैसही कहा उथले में रहने वालो को कविता के भाव कहाँँ समझ आयेंगे दिल की गहराई से पिरोये शब्दमोतियों की कीमत वही जानते हैं जिन्हें उस गहराई का अंदाजा होता है ...
    बहुत लाजवाब रचना आपकी...
    वाह!!!!

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  8. बस पैसे की कोट पीस ...
    अद्भुत। प्रणाम।

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