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जीवन की आपाधापी में मैंने सपनो का मूल्य जाना, और टूटे फूटे शब्दों में उसे अर्थ देने को आतुर हुई। खामोशियों के रेगिस....
शोर से अधिक एकांत का असर होता है, शोर में एकांत नहीं सुनाई देता -पर एकांत मे काल,शोर,रिश्ते,प्रेम, दुश्मनी,मित्रता, लोभ,क्रोध, बेईमानी,चालाकी … सबके अस्तित्व मुखर हो सत्य कहते हैं ! शोर में मन जिन तत्वों को अस्वीकार करता है - एकांत में स्वीकार करना ही होता है
कोई रेस तो है सामने !!! किसके साथ ? क्यों ? कब तक ? - पता नहीं ! पर सरपट दौड़ की तेज़, तीखी आवाज़ से बहुत घबराहट होती है ! प्रश्न डराता है,...
सुन्दर प्रयोग है। जारी रहे।
जवाब देंहटाएंसमय ही सबसे बड़ा निर्णायक है। बहुत प्रभावी और सारगर्भित अभिव्यक्ति...
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