05 अप्रैल, 2008

असली रंग....


पिता ने 'ईमान' के पौधे को सींचा,

जिसकी शाखों पर' अभाव ' के फल लगे,

घर के बाहर न कभी कोई भीड़ लगी,

न पक्षियों का दल आँगन में उतरा,

हर जीत के बाद भी-

'अभाव'के कसैले फल मुझे मिले............

ऊँचे कॉलेज में दाखिला उनको मिला,

जहाँ भ्रष्टाचार का बसेरा था,

और पैसे की भरमार थी,

मेरे लिए तो वह , बस सपनों की बात थी!

निज पैरों की ताकत ने,

मन में नफरत की आग भरी,

बनकर टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं कागज़ पर वो जा उतरी,............

मंद-मंद फिर हवा चली,

कुछ हटकर लोग नज़र आए,

उनकी सारगर्भित आंखों में

अपना सम्मान नज़र आया...

जिस फल का स्वाद कसैला था,

उसकी ठोस जड़ें नज़र आयीं,

अब जाकर मैंने जाना-

ईमान का रंग क्या होता है!

बहुत खून बहते हैं राहों में,

पर रंग उनका ही असली होता है...............

15 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खून बहते हैं राहों में,

    पर रंग उनका ही असली होता है...............

    sach hai aur mujhe garv hai ki mere khoon ka rang bhi asli hai.........behtareen rachna......dil ke bahut hi jyada kareeb

    avinash

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  2. मेरे लिए तो वह , बस सपनों की बात थी!


    निज पैरों की ताकत ने,


    मन में नफरत की आग भरी,


    बनकर टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं कागज़ पर वो जा उतरी,............
    kya likha hai aapne ......................
    kuch define nahi kar sakta...........
    iske bare main...............
    shbdo ki kami par gai.............
    mannprasan ho gaya..................
    bas aap aise hi apni kavitaon aur apna aashirwaad hum par baye rakhiye.................aapka beta........

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  3. ईमान का रंग क्या होता है!


    बहुत खून बहते हैं राहों में,


    पर रंग उनका ही असली होता है...............

    sahi kaha aapne........
    unka rang asli hota hai.............
    jivan ke kathnaiyo se sincha hota hai...........
    baimaani k khoon se kahin guna ghada hota hai.....
    jivan ki har kasoti par parkha hota hai.......

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  4. sach imaan ka rang hi sacha pakka rang hai,bahut khub

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  5. अब जाकर मैंने जाना-

    ईमान का रंग क्या होता है!

    बहुत खून बहते हैं राहों में,

    पर रंग उनका ही असली होता है...........
    puri kavita lajavab hai . ye line dil ko chu gayi . aapne bhav ko purntah hi 100 pratishat prastut kiya hai.
    badhai meri taraf se aur aane wali kavita ka intajar besabri se....

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  6. gr8 work mam . now i don't have to say anything ...........i think u know why ..............?

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  7. bahut achchha likhti hein Rashmi ji aap.Yuu.n hi likhtii rahiyee.
    Thanks for visiting my blog and liking my poetry.

    Wish you all the best...
    -- P K Kush 'tanha'

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  8. रश्मि जी ''असली रंग ....'' यह विचारशील रचना है ...ईमानदारी के सामने भ्रष्टाचारियों ka रंग सदैव फीका ही रहेगा .......... बहुत ही गंभीरता के साथ आपने रचना को अंजाम दिया है ..... यह बात एकदम सही है कि ''सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं हो सकता'' इस सफल रचना के माध्यम के साथ ईमानदारी ka रंग दिखाने के लिए ...आपका आभार..........

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  9. "असली रंग" हमेशा की तरह एक बेहतरीन रचना |
    आपने सही कहा की ईमान को संबल बनाकर चलने वाले मुसाफिर भले ही आभाव ग्रस्त और परेशानियों से भरा हुआ जीवन व्यतीत करते हुए दिख पड़ते है, परन्तु अंततः ईमान रंग लाती है और दुनिया ये महसूस करती है की ईमान ने उसमे वो ताकत भर दी है जिसके सम्मान में फरिस्ते भी सर झुकाते है |

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  10. Rashmi ji

    Aaj aapka scarp mila aoe chalte chalte aapke blog par paunch gayi.
    aapko padhna acha laga.

    Assli ranj

    apne bahut khubi se apne jazbaat aor rishwat se ache college mein milne wali addmition ki sachai byaan ki hai.
    'अभाव'के कसैले फल मुझे मिले............


    ऊँचे कॉलेज में दाखिला उनको मिला,


    जहाँ भ्रष्टाचार का बसेरा था,


    और पैसे की भरमार थी,


    मेरे लिए तो वह , बस सपनों की बात थी.

    dil cheer jayein aise aksaas hain.

    ईमान का रंग क्या होता है!


    बहुत खून बहते हैं राहों में,


    पर रंग उनका ही असली होता है.
    kabhi kisi ke khoon ka rang is tarha naa badle.

    in panktiyon ne bezubaan kar diya hai. bahut hi behtareen rachna hai.

    Nira

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