24 मई, 2010

इन्हें आता है







यह तो होना था ...
मैं नहीं रही !
मेरी आँखों , मेरे स्वर
मेरे स्पर्श की गर्माहट से सुरक्षित मेरे बच्चे
शून्य में हैं !

यूँ समझा दिया था सब -
'जब भी यह दिन आए
अपना हौसला मत खोना
जैसे अब तक मेरे पास
अपनी बात रखते आए हो
तब भी रखना - जब मैं ना रहूँ
यकीन रखना
मैं सब सुनूंगी अपनी दुआओं के साथ
सारी ख्वाहिशों को रूप देती रहूंगी ...'

अभी अचानक मेरा सो जाना
उन्हें हतप्रभ, हताश कर गया है !
जल्द ही
वे मेरे शब्दों के विश्वास की रास थाम लेंगे
बचपन से
इसी रास पर तो ऐतबार किया है !

कोई है?
इनके नाम जो मैंने शुभकामनाओं
और रक्षामंत्रों की असली थाती जमा की है
वह इनके हाथ, इनके मस्तिष्क
इनके मन में रख दो
और बस....

फिर इनका स्वाभिमान , इनका आत्मविश्वास
इनके साथ होगा
आंसू पोछकर
एक दूसरे की हथेली मजबूती से पकड़ना
इन्हें आता है
राहों को मोड़ना
इन्हें आता है
सबकुछ सहकर चलना
इन्हें आता है ...

43 टिप्‍पणियां:

  1. bahut hi umdaah rachna....
    inhein aata hai...
    bahut khub
    yun hi likhte rahein...

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  2. अपने जीवन की पूर्णता को जीते जी समझाना, अनुभव करना और अभिव्यक्त करके अपने बच्चों के लिएं संस्कार के बीज बोना... पूर्ण संवेदनात्मक और आत्मभाव से सहज शब्दों में पिरोई हुई पवित्र माला | धन्यवाद |

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  3. इन्हें आता है ...
    मां के बल का ही संबल बनाता है समर्थ हमें !

    " यकीन रखना
    मैं सब सुनूंगी अपनी दुआओं के साथ
    सारी ख्वाहिशों को रूप देती रहूंगी ..."

    हे मातृशक्ति !
    शत शत वंदन है तुम्हे !

    रश्मि प्रभाजी ,
    भावों का शांत सागर समाहित है इस रचना के शब्द शब्द में !
    भावपूर्ण कविता के लिए साधुवाद !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    शस्वरं

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  4. क्या कविता है!
    आँखें नाम हो उठीं.
    सुंदर अभिव्यक्ति. आपकी कविताएँ विशेष होती हैं.
    बधाई.

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  5. ये कविता पढ़कर वो मां याद आ रही है जो अपनी असाध्य बीमारी के बारे में जानकर रोती नहीं ..बच्चों को सीने से लगा कर समझाती है कि ये दुनिया नश्वर है ...एक दिन सबको जाना है ...तुम्हे अपने पैरों पर खड़े होना है ..खुद संभलना है और एक दूसरे को संभालना है ...मैं रहूँ तो भी ...ना रहूँ तो भी ...
    कि
    यकीन रखना
    मैं सब सुनूंगी अपनी दुआओं के साथ
    सारी ख्वाहिशों को रूप देती रहूंगी ....

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  6. म्रत्यु पर लिखना सहज नहीं होता ,यह वो सत्य है जिसको जानकर भी मानने का सहस नहीं होता
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

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  7. फिर इनका स्वाभिमान , इनका आत्मविश्वास
    इनके साथ होगा
    आंसू पोछकर
    एक दूसरे की हथेली मजबूती से पकड़ना
    इन्हें आता है
    राहों को मोड़ना
    इन्हें आता है
    सबकुछ सहकर चलना
    इन्हें आता है ...

    ***********************************
    माँ !
    अत्यंत मार्मिक रचना !
    आभार ! अति सुन्दर !

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  8. बहुत ही बेहतरीन रचना है.....दिल को छूती हुई एक रचना।बहुत सुन्दर!!

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  9. वाह ! बेहद भावनात्मक और सुन्दर रचना ...

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  10. ek maan ka pyaar, uska swaabhimaan uski chintaayein sab kuch samet diya aapne...bahut maarmik laga...bahut sundar...

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  11. जीवन और मृत्यु के सच को बताती एक सार्थक रचना....माँ के हृदय को दर्शाती...माँ कभी बच्चों को कमज़ोर नहीं करती ...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

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  12. ऐसी विलक्षण रचना कोई माँ ही लिख सकती है...शब्द हीन हूँ.... क्या कहूँ...??
    वाह...
    neeraj

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  13. गहरे भाव में लिपटे आपके शब्द

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  14. बेहद भावनात्मक और सुन्दर रचना .

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  15. बहुत ही सुन्दर और उम्दा रचना!

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  16. फिर इनका स्वाभिमान , इनका आत्मविश्वास
    इनके साथ होगा
    आंसू पोछकर
    एक दूसरे की हथेली मजबूती से पकड़ना
    इन्हें आता है
    राहों को मोड़ना
    इन्हें आता है
    सबकुछ सहकर चलना


    waah !

    jai ho !

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  17. फिर इनका स्वाभिमान , इनका आत्मविश्वास
    इनके साथ होगा
    आंसू पोछकर
    एक दूसरे की हथेली मजबूती से पकड़ना
    इन्हें आता है
    राहों को मोड़ना
    इन्हें आता है
    सबकुछ सहकर चलना
    इन्हें आता है ...
    जिस दिन एक माँ को ये विशवास हो जायेगा वो जीते जी स्वर्ग पहुँच जायगी. बहुत विलक्षण रचना

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  18. वाह जी बहुत सुंदर लगी आप की कविता.
    धन्यवाद

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  19. भावुक करती बहुत ही सुन्दर भावुक अभिव्यक्ति....

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  20. Rongte khade ho gaaye, maa hain to aap likh sakti hain.

    Par main santaan ki haisiyat se kah raha hun........mat likha kariye aisa.

    Har laadlaa bachcha sihar sihar saa jaata hai.

    mat kaha kariye aisa...
    saans me jahar jahar saa aata hai.

    Vinti hai, par mat likhiye aisa..

    Pranam

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  21. @ rashmi mausi: charan sparsh!





    @ topic:
    एक दूसरे की हथेली मजबूती से पकड़ना
    इन्हें आता है
    राहों को मोड़ना
    इन्हें आता है
    सबकुछ सहकर चलना
    इन्हें आता है ..




    bahut he sundar or bhawnaatmak rachna..

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  22. आंसू पोछकर
    एक दूसरे की हथेली मजबूती से पकड़ना
    इन्हें आता है
    राहों को मोड़ना
    इन्हें आता है
    सबकुछ सहकर चलना
    इन्हें आता है ..

    बहुत खूब ... दिल से निकले शब्द ... माँ के अंतर्मन को जिया है आपने ....

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  23. मम्मी जी...आपकी यह कविता दिल को छू गई.... बहुत ही संवेदनशील....और सार्थक.... और वाणी दी.... का कमेन्ट बहुत अच्छा लगा.....

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  24. वाह! सुंदर कविता.
    ..इनके मन में रख दो = इनके मन में रख दे
    ..बधाई.

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  25. अभी अचानक मेरा सो जाना
    उन्हें हतप्रभ, हताश कर गया है !
    जल्द ही
    वे मेरे शब्दों के विश्वास की रास थाम लेंगे
    बचपन से
    इसी रास पर तो ऐतबार किया है !
    ........ममतामयी गहरी भावुकता से परिपूर्ण प्रस्तुति के लिए आभार

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  26. क्या कविता है!
    आँखें नाम हो उठीं

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  27. Sorry! I can't praise you! Hamko nahi achcha laga padh kar. Might be hamko aisa sochna hi nahi achcha lagta....Jisne saanse di hain uske bina saans lene ki kalpna bhi darati hai....Aisi baatein nahi kartey... Just giving feedback... hope you dont take otherwise.

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  28. यूँ शबदो के मर्म का आकलन एक टिप्पणी मात्र तो नही हो सकता , लेकिन वेदना को शबदो पक्तियों मे उकेरना कर सार्थक कर दया अपने !
    यूँ तो दूसरों की कविताओं को पड़ कर भाव आकलन कर सकते भावना आकलन नही !
    इसलिए हमेशा स्कूल मे हिंदी के कविताओं को जिज्ञासा पूर्ण होकर पूछता सर इन पक्तियों मे कवी की क्या भावना थी !
    बस कभी हो तो कविता के भावनात्मक पक्ष को रख्यिएगा !

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  29. फिर इनका स्वाभिमान , इनका आत्मविश्वास
    इनके साथ होगा
    आंसू पोछकर
    एक दूसरे की हथेली मजबूती से पकड़ना
    इन्हें आता है
    राहों को मोड़ना
    इन्हें आता है
    सबकुछ सहकर चलना
    इन्हें आता है .....................sachmuch ..dil ko chu jane wali post .............. hats offfff

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  30. priya,

    सॉरी, .......... कान पकडूँ क्या ? अपनी ही?

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  31. Rashmi ji..

    Kavita ki drushti se to kavita bhavnatmak hai parantu mujhe kavita main sab sakaratmak hone ke bavajud Maa ke na hone ki baat hruday par kutharaghat kar gayi..

    Aap badi kavitri hain..har vishay par likhna aapka hunar hai..par krupya kavita main hi kyon na ho..bachchon se unki Maa to na chhinne ka pryatn karen.. Theek hai kal tak jo ungli pakad ke chalte the aaj swalambi ho gaye hain..khud ko sambhal lenge, par kya Maa ke na hone ke dard se kabhi ubar payenge..??? Aur wo bhi aisi Maa jisne unke liye sare jagat, sare smaaj se akele lad kar jeevan bhar unhen apni matrtv ki chhaya main sambhal kar rakha ho..

    Maaf keejiyega Mujhe aapki kavita padh kar dukh hua..

    DEEPAK..

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  32. व्यक्ति कई सोच से गुजरता है, अंजना भय जब उसे उद्वेलित करता है तो सोच की दिशा इन रास्तों से भी गुजरती है.
    यूँ मैंने हर हाल में साथ होने के भावों को भी संजोया है.....
    पर मैं अपनी कलम से किसी को दुःख नहीं पहुन्चाऊंगी

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  33. maa ka sparsh.........bachche ki jindagi me ek alag hi anubhuti bhar deta hai...!!

    lekin iss sparsh ki tajindagi jarurat hoti hai.........

    aur waise bhi chunki bhagwan har ke pass nahi aa sakta hai, isliye to maa ke roop me har ke pass hai.....

    Rashmi di!! please iss isthithi ko aap please banaye rakhen......aur aage ki na hi sochen to behtar rahega.....

    God bless di............

    Kavita kaisee hai, ye to main kah hi nahi sakta..........:)

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  34. Rashmi ji..
    Sahi kahti hain aap.. Ek anjana bhay to sabko laga rahta hai aur jo sabse ajeej ho unse sada ke liye door jane ki soch hi man ko kasaila kar deti hai..aur ye shashwat satya hai fir bhi koi bhi kinhi bhi paristhition main agar aisa apne muhn se kahega to us se har aatmeeya vyakti ke hruday main dard hota hai..

    Dhanyawad ki aapne manobhavon ko samjha..

    ESHWAR aapko lambi aayu de..jis se es 'RASHMI' ki rashmi se sabke man ka andhiyara door hota rahe..aur aap hamesha sabke hrudayon ko apni kalam ke jaadu se mahkati rahen..

    DEEPAK..

    जवाब देंहटाएं
  35. apki chintan prakriya aur bhavon ka sanyojan adbhut hai. kai mamlon mein mai apse prerna grahan karta hun. Jeevan ki sachchai se rubaroo karati apki kavita ka darshan bahut madadgar hai agali pidhi ke liye.Mujhe bhi kuch margdarshan dein kavita ke kshetra mein.
    Rajiv

    जवाब देंहटाएं
  36. कोई है?
    इनके नाम जो मैंने शुभकामनाओं
    और रक्षामंत्रों की असली थाती जमा की है
    वह इनके हाथ, इनके मस्तिष्क
    इनके मन में रख दो
    और बस....

    फिर इनका स्वाभिमान , इनका आत्मविश्वास
    इनके साथ होगा
    आंसू पोछकर
    एक दूसरे की हथेली मजबूती से पकड़ना
    इन्हें आता है
    राहों को मोड़ना
    इन्हें आता है
    सबकुछ सहकर चलना
    इन्हें आता है ..

    Umda abhivyaqti.

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दौड़ जारी है...

 कोई रेस तो है सामने !!! किसके साथ ? क्यों ? कब तक ? - पता नहीं ! पर सरपट दौड़ की तेज़, तीखी आवाज़ से बहुत घबराहट होती है ! प्रश्न डराता है,...