नहीं लिखूँगी मैं उनका नाम
स्वर्णाक्षरों में,
जिन्होंने तार तार होकर भी
विनम्रता का पाठ पढ़ाया
सम्मान खोकर
झुकना सिखाया
और रात भर देखते रहे छत
और अचानक
बन्द कर ली आँखें !!!
इस स्वभाव ने जो भी सुकून दिया हो
उनके घाव हरे रहे।
...
मैं उनका नाम कत्तई नहीं लिखूँगी,
जो हर सही ग़लत पर
अपने हठ की मुहर लगाते हैं,
लेकिन सहनशीलता का पाठ पढ़ाते हैं,
और बड़ी सख़्ती से !!!
...
कुछ नाम बड़े ज़िद्दी होते हैं,
हाथ झटककर आगे बढ़ जाते हैं
ख़ुद को ऐसा दिखाते हैं
कि उन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता
लेकिन किसी मोहक सम्बन्ध से
यादों से
वे नहीं उबरते,
आवेश में भी उनका अनिष्ट नहीं चाहते,
ना ही उनकी प्रतीक्षा से निर्विकार होते हैं
मैं लिखूँगी उनका नाम
हर जगह की मिट्टी पर
एक बीज की तरह
ताकि उनकी जड़ें मजबूत रहें !
कभी जब सारे रास्ते बंद मिलें
तब उनके नाम की सरसराहट
शीतल,मंद हवा की तरह
कई अनोखे पल याद दिलाये
सच का सामना कराते हुए
ये पौधे,
ये वृक्ष
आपको अपने पास जी भरकर रोने का मौका दें
आपके घाव सूख जायें ... !
झूठे अहम के कीचड़ से
आप मुक्ति पायें
स्वर्ण और मिट्टी का अंतर
आपके रोम रोम में स्थापित हो
समय ऐतिहासिक गवाह बन जाए ।
जय मां हाटेशवरी...
जवाब देंहटाएंआप सभी को नव-वर्ष 2019 की पांच लिंक परिवार की ओर से अग्रिम शुभकामनाएं.....
अनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 15/01/2019
को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
जीवन को और संबंधों को इतनी गहराई से परख कर चलने वाले को मुक्ति का पथ अपनी ओर सदा आमन्त्रण देता है..
जवाब देंहटाएंवाह ।
जवाब देंहटाएंमैं लिखूँगी उनका नाम
हर जगह की मिट्टी पर
एक बीज की तरह
ताकि उनकी जड़ें मजबूत रहें !
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (15-01-2019) को "कुछ अर्ज़ियाँ" (चर्चा अंक-3210) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
उत्तरायणी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 14/01/2019 की बुलेटिन, " अंग्रेजी के "C" से हुआ सिरदर्द - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंवाह वाह .क्या खूब कहा है .ऐसे लोगों जरूरत ही नहीं लिखने की .
जवाब देंहटाएंवाह सुंदर अप्रतिम भाव रचना।
जवाब देंहटाएंसच है ऐसे लोग कई बार दिशा नहीं दे पाते ... अपनी पहचान कहाँ रहती है उनकी ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर.....
जवाब देंहटाएंमैं लिखूँगी उनका नाम
हर जगह की मिट्टी पर
एक बीज की तरह
ताकि उनकी जड़ें मजबूत रहें !
मैं लिखूँगी उनका नाम
जवाब देंहटाएंहर जगह की मिट्टी पर
एक बीज की तरह
ताकि उनकी जड़ें मजबूत रहें !
कभी जब सारे रास्ते बंद मिलें
तब उनके नाम की सरसराहट
शीतल,मंद हवा की तरह
कई अनोखे पल याद दिलाये
सच का सामना कराते हुए
ये पौधे,
ये वृक्ष
आपको अपने पास जी भरकर रोने का मौका दें!!!!!
क्या बात है रश्मि जी !!!!!!आपके दर्शन का कोई जवाब नहीं | अद्भुत !!!सादर --
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जवाब देंहटाएंnice
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