21 फ़रवरी, 2019

कहानी जहाँ से शुरू होती है वहीं रहती है




किसी कहानी के पात्र बदले जा सकते हैं,
बदल जाते हैं !,
दिशा बदल सकती है,
पर जो कहानी जहाँ से शुरू होती है,
वहीं रहती है ।
कथा की समाप्ति की घोषणा के बाद भी,
कुछ छिटपुट एहसास
नहीं लिखे गए पन्नों पर
लेते रहते हैं शक्ल !
उसे कितना भी अर्थहीन कह लें,
अर्थहीन होता नहीं है !
- उसका कोई न कोई  प्रयोजन होता है
दीवार बनने या ढह जाने में
आत्मावलोकन में अन्यथा आत्मग्लानि में  !!!

2 टिप्‍पणियां:

  1. कहानी इतिहास नहीं होती है। समय के साथ जीती है। सटीक।

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  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...