25 अप्रैल, 2019

कृष्ण मुझे क्षमा करना या आशीष देना



कृष्ण,
मुझे क्षमा करना यदि तुम्हें अति लगा हो,
या फिर मेरे सर पर अपना हाथ रख देना,
यदि तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान आई हो
यह सुनकर -
कि,
तुमने कुरुक्षेत्र में जिस तरह अर्जुन का रथ दौड़ाया,
उससे कहीं अधिक कुशलता से
मैं अपने मन का रथ दौड़ाती हूँ ।
केशव,
यह मेरा अभिमान नहीं,
यह तुम ही हो,
जिसने अर्जुन से कहीं अधिक,
अपना विराट स्वरूप दिखाकर
मेरे भव्य स्वरूप को उभारा ।
गीता का सार अपने मुख से सुनाया,
और उतना ही सुनाया,
जितना मेरे लिए ज़रूरी था ।
उंगली थामकर
एक नहीं,
कई बार मुझे ब्रह्मांड दिखाया ...
मुझ लघु को
मेरे अस्तित्व की पहचान दी
और बिना कोई प्रश्न उठाये
मुझमें अपनी पहचान दे दी ।

8 टिप्‍पणियां:

  1. कृष्ण हाथ रखेंगे सर पर
    और मुस्कुरायेंगे भी ।

    सुन्दर।

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  2. जय मां हाटेशवरी.......
    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    28/04/2019 को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में......
    सादर आमंत्रित है......

    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    https://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

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  3. विश्वास और दृढ़ आस्था का सुंदर संगम है रचना बहुत सुंदर।

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  4. भावपूर्ण रचना आदरणीय रश्मि जी | आपका लेखन विस्मय भरा है | सादर --

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एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...