काश! उसने मुझसे पूछा होता
'तेरी कुड़माई हो गई है ?'
मैं कहती,
"नहीं रे बाबा,
तू करेगा क्या कुड़माई ?
तू सूबेदार बनना
मैं तेरी सूबेदारनी
फिर सारी उम्र तू ऐसे ही सवाल करना
ताकि मेरी शोखी को
धीमी धीमी आंच मिलती रहे !"
काश!
उसने यह पूछा होता,
"तू करेगी मुझसे कुड़माई ?"
और मैं धत् कहकर
उसके गले लग जाती
उसकी लंबी आयु बन जाती ।
रश्मि प्रभा
वाह
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत खूबसूरत
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया रश्मि जी! साहित्य की सबसे मार्मिक प्रेम कथा ना जाने कितने प्रेम से रिक्त हृदय में उसी अमर प्रेम की कामना जगाती है पर किसी
जवाब देंहटाएंसुबेदारनी का धत! कहकर जाना भी कहाँ उसके प्रेमी की लंबी आयु का कारण बन सका!! 😞
बहुत बहुत पुरानी कहानी उसने कहा था कि याद दिलादी। बहुत सुन्दर
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